30 जनवरी 2020 को कोरोना का पहला केस भारत में पाया गया। जुलाई के पहले हफ्ते में साढ़े सात लाख से भी अधिक लोगों में कोरोना संक्रमण भारत में दर्ज किया जा चुका है।
लॉकडाउन से लेकर अनलॉक और अब फिर कई राज्य लॉकडाउन की ओर बढ़ रहे हैं। इस बीच सरकार ने तमाम कदम उठाए लेकिन क्या उनकी कोशिशें कारगर साबित हुई?
कैसे ग्लोबल हॉटस्पॉट बनने की ओर बढ़ रहा है भारत?
पहले केस के आने के छह महीने बाद भारत कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में तीसरे स्थान पर आ चुका है। आबादी के आधार पर अनुमान लगाने पर भारत को ग्लोबल हाट्स्पॉट बनने में अब ज़्यादा समय नहीं रह गया है। भारत के शहरों में घनी आबादी रहती है। यह ग्लोबल हॉटस्पॉट बनने के लिए अपने-आप में पर्याप्त कारण है।
हालंकि भारत के आंकड़ों पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल है। कोरोना संक्रमण और इस महामारी से मरने वालों के जो आंकड़े दिए जा रहे हैं, उस पर सवाल उठने लाज़मी हैं। भारत में कोविड टेस्टिंग पर्याप्त पैमाने पर नहीं हो रही और महामारी से जितनी कम संख्या में लोगों की मौतों का आंकड़ा दिया जा रहा है, उससे भी कई वैज्ञानिक आश्चर्यचकित हैं।
कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर डॉ. शाहिद जमील ने विश्लेषण करते हुए कुछ सटीक निष्कर्ष निकाले हैं। भारत में कोरोना संक्रमण को लेकर डॉ. जमील द्वारा कही गई इन पांच बातों को जानना बहुत ज़रूरी है –
- भारत में कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामले जून में दर्ज किए गए। बेहद सख्ती से लागू किए गए लॉकडाउन को खोलने के कुछ ही हफ़्तों के भीतर यह हुआ।
- संख्या के लिहाज़ से भारत में कोरोना संक्रमण के मामले अधिक हैं लेकिन आबादी के अनुपात से संक्रमण के मामलों को देखें तो यह तुलनात्मक रूप से कम लगते हैं।
- आंकड़ें बताते हैं कि भारत में जितने लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं या फिर इस महामारी के कारण मर रहे हैं, उससे ज़्यादा लोग संक्रमित होने के बाद ठीक हो रहे हैं।
- भारत में कोरोना महामारी से अब तक 20,160 लोगों की जान जा चुकी है। मरने वालों की संख्या के लिहाज़ से देखें तो भारत दुनिया का आठवां सबसे ज़्यादा प्रभावित देश है।
- अमेरिका और यूरोपीय संघ में कोरोना वायरस से जुड़े आंकड़ों में जितनी विविधता है, कमोबेश भारतीय राज्यों का भी वही हाल है। हर राज्य में संक्रमण फैलने की अपनी कहानी है।
सरकार पर उठते हैं कुछ सवाल
अब जो बातें सोचने लायक हैं उनमें सबसे पहले तो सरकार के दावों और नीतियों पर सवाल उठता है। 24 मार्च से ही लॉकडाउन लागू हो चुका था। तब मामले 600 के करीब थे।
इस बीच मज़दूरों की त्रासदी अलग चलती रही। ऐसे में कोरोना को रोकने में कहीं-न-कहीं यह सरकार विफल हुई है। भारत की जनसंख्या के मुताबिक मौजूदा आंकड़ों पर विश्वास नहीं हो पा रहा है। अपनी आबादी के आधार पर ही भारत ग्लोबल हॉटस्पॉट बनने की फेहरिस्त में सबसे आगे चल रहा है।