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क्यों ज़रूरी है ज़िन्दगी की सड़क में गिरकर फटाफट उठने का जज़्बा रखना

प्रिय दोस्तों,

अलग-अलग राज्यों के बोर्ड परीक्षाओं के रिज़ल्ट आ चुके हैं या आ रहे हैं। मेरिट में आने वाले तथा पास होने वाले सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं। जिन विद्यार्थियों का रिज़ल्ट अपेक्षानुसार नहीं रहा, वे भी मायूस ना हों। अच्छे से अगले साल तैयारी करें। आप भी यह कक्षा पार कर जाएंगे।

मैं बहुत से लोगों के स्टेटस पढ़ रहा हूं कि आपका परीक्षा परिणाम केवल एक कागज़ का टुकड़ा है और मार्क्स संख्याओं से बढ़कर कुछ नहीं है। यह आपका भविष्य तय नहीं कर सकते और भी बहुत कुछ मगर मेरा मानना कुछ और है।

ज़िन्दगी बहुत अलग तरह की क्लास है। इसमें उन बच्चों की भी कद्र है जिनके मार्क्स अच्छे हैं और उन बच्चों की भी जिन्होंने एक ही क्लास पंचवर्षीय योजना के तहत पास की और दोनों ही इम्पॉर्टेन्ट है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Getty Images

पिछले कुछ सालों के युवाओं और बच्चों के साथ काम कर रहा हूं। मेरा अनुभव रहा है कि ज़िन्दगी के रास्ते में 2 लोग सही से नहीं चल पाते हैं। एक वो जो स्कूल या कॉलेज के टॉपर  होते हैं और दूसरे वो जो क्लास या कॉलेज के हिसाब किताब में बहुत ही पीछे होते हैं, क्योंकि दोनों में ही सर्वाइवल स्किल्स नहीं होती हैं।

एक को यह नहीं पता कि ज़िन्दगी में फेल हो गया तो आगे कैसे बढ़ना है और दूसरे को यह नहीं पता कि कैसे अपनी लाइफ को रास्ते में लाना है।

जी सभी लेते हैं, ज़िन्दगी इतनी दयालू होती है कि वो सब के सामने कुछ ना कुछ रखकर ही जाती है। वे बच्चे जो बीच वाली कैटेगरी के होते हैं, उनकी सर्वाइवल स्किल बहुत हाई होती है, क्योंकि उन्हें मस्ती करनी भी आती है और क्लास टेस्ट में फेल हो जाने के बाद हाई स्कूल के बोर्ड एग्ज़ाम या सेमेस्टर एग्जाम में पास होना और ठीक ठाक मार्क्स लाना भी आता है और शायद दुनिया यही लोग चला रहे हैं।

आपका रिज़ल्ट जो भी रहा हो, बस ज़िन्दगी की सड़क में गिरकर फटाफट उठने का जज़्बा ज़रूर रखना क्योंकि ज़िन्दगी के एग्जाम का रिज़ल्ट केवल 3 घंटे के एग्जाम पर डिपेंड नहीं करता है।

और यह बात आज ज़रूरी इसलिए हो जाती है कि क्योंकि कोरोना की वजह से इस बार बोर्ड एग्ज़ाम के रिज़ल्ट जुलाई और अगस्त में आ रहे हैं। ऐसी हालत कब तक रहेगी पता नहीं मगर आपको इतनी हिम्मत रखनी है और खुद को मानसिक रूप से इतना ताकतवर बनाना है कि आप इस कठनाई को अच्छे से पार कर जाएं, क्योंकि किसी भी कठिन परीक्षा के बाद आप और ताकतवर बनकर निकलते हैं और हां याद रखना इस अंधेरे की सुबह ज़रूर होगी।

और हां, आखिर में आप ज़िन्दगी में सोशल फ्रेमवर्क के हिसाब से डॉक्टर बनो या इंजीनियर बनो या “माई लाईफ माई रूल्स”  के हिसाब से कुछ भी बनो बस अपनी ज़िन्दगी में इंसान बनना मत भूल जाना।

आज की चिट्ठी में इतना ही

आप का दोस्त

बिमल रतूड़ी

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