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टिकटॉक बैन होने से चीनी कंपनी को करीब 100 करोड़ के घाटे का अनुमान

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भारत-चीन पड़ोसी एवं विश्व के दो बड़े विकासशील देश हैं। दोनों में प्राचीन काल से सांस्कृतिक तथा आर्थिक संबंध रहे हैं लेकिन सीमा विवाद पर दोनों देशों के संबंध सदैव तनावपूर्ण रहे हैं। वर्तमान समय में लद्दाख विवाद से दोनों के संबंधों में पुन: कटुता उत्पन्न हो गयी है।

लद्दाख के गलवान घाटी में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच सीमा विवाद चरम पर है। इस बीच दोनों ओर से शांति बहाली के लिए कमांडर स्तरीय वार्ता भी जारी है लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है।

दूसरी ओर, चीन सीमा पर लगातार सैन्य शक्ति बढ़ाता जा रहा है लेकिन इस बार भारत के साथ सीमा विवाद भड़काने का खामियाजा चीन को ना केवल सामरिक रूप से उठाना पड़ा है, बल्कि उसे भारी आर्थिक झटका भी लगा है।

आर्थिक प्रतिबंध हो सकता है कारगर हथियार

भारत डिजिटल स्ट्राइक के ज़रिए चीन को सबक सीखाने की राह पर निकल पड़ा है। डिजिटल स्ट्राइक ने यह साबित कर दिया है कि आधुनिक युग में युद्ध जीतने के लिए मिसाइलों की जरूरत नहीं होती, आर्थिक प्रतिबंध भी एक कारगर हथियार साबित हो सकता है।

लद्दाख में चीन के साथ विवाद बढ़ने पर उसकी ‘सॉफ्ट पावर’ पर भारत ने सबसे बड़ी कारवाई करते हुए 59 मोबाइल ऐप पर आईटी कानून की धारा 69 ए के तहत सूचना प्रौद्योगिकी नियम के अंतर्गत मिले अधिकारों के ज़रिए प्रतिबंध लगा दिया है।

इसके पीछे भारत का तर्क है कि यह देश की संप्रभुता, अखंडता उसकी सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए नुकसानदेह है। इन 59 ऐप के ज़रिए जनता के डाटा की निजता को खतरा था। विशेषज्ञों के मुताबिक इस वर्चुअल स्ट्राइक के ज़रिए भारत चीन को ज़्यादा प्रभावी और मजबूत जवाब दे सकता है।

हिंदुस्तान में ऐप प्रतिबंध के निर्णय को कैसे देखा जा रहा है?  

रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल अश्विनी सिवाच का कहना है कि चीन ऐसा देश है जो साइबर युद्ध, सूचना और मनोवैज्ञानिक युद्ध का महारथी हैं। चीन के ऐप दूसरों के मुकाबले 45 प्रतिशत ज़्यादा इजाज़त मांगते हैं। यह हमारे देश की सुरक्षा व अखंडता के लिए एक खतरा थे।

वहीं, साइबर एक्सपर्ट तरुण विज बताते हैं कि उनके द्वारा किए गए विश्लेषण में पाया गया कि यूसी ब्राउज़र पर यदि आप कुछ भी टाइप करते हैं तो वह सब कुछ चीन तक जा रहा है। वह उसकी पूरी प्रोफाइलिंग कर रहा हैं। इस तरह चीन हमारे देश के हर एक इंसान की प्रोफाइलिंग करने की कोशिश कर रहा है।

ऐसे में, सरकार द्वारा इन ऐपों पर प्रतिबंध लगाने से हमारा डाटा वहां जाना बंद हो जाएगा। यूसी ब्राउज़र के खिलाफ दिल्ली के पटयाला कोर्ट में मुकदमा भी चल रहा है जिसमें याचिकाकर्ता ने यह आरोप लगाया है कि यहां से सूचना चीन भेजी जा रही है।

इन ऐप्स के ज़रिए चीन हमारी जासूसी कर रहा था। ऐसे में, यह प्रतिबंध उसकी जासूसी पर एक प्रतिबंध है। ऐसा नहीं है कि चीन पर ऐसा आरोप सिर्फ भारत ने ही लगाया है, बल्कि दुनिया के दूसरे देश भी चीन पर साइबर अटैक का आरोप लगाते रहे हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर

डिजिटल स्ट्राइक का भारत को फायदा या नुकसान?

भारत दुनिया में अपनी तकनीक के लिए जाना जाता है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था को भारतीय पेशेवर चलाते हैं। यहां सवाल यह उठता है कि भारत सरकार ने आर्थिक अतिक्रमण पर जो डिजिटल स्ट्राइक की है उससे चीन को तो नुकसान होगा लेकिन भारत को कितना बड़ा फायदा होने वाला है।

चीन के ऐप्स भारत में किस तरह से मुनाफा कमा रहे हैं, इसका विश्लेषण करते हुए अर्थशास्त्री शरद कोहली बताते हैं कि आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में अकेले टिकटॉक के दो अरब से ज़्यादा यूज़र्स हैं। इनमें करीब 30 प्रतिशत भारतीय हैं। इसके बाद चीन और अमेरिका में इसके यूज़र्स हैं।

इस ऐप का मूल्य निर्धारण (Valuation) करीब 100 बिलियन डॉलर है। ऐप की कुल कमाई का 30 प्रतिशत राजस्व केवल भारत से आता है। यह कंपनियां स्टार्टअप्स में दो तरह से मुनाफा कमाती हैं, पहला मूल्य निर्धारण से और दूसरा उनको जो लाभ होता है। इन ऐप्स को प्रतिबंधित करने से इनका मूल्य निर्धारण तुरंत नीचे आ जाएगा क्योंकि भारत इनके लिए बहुत बड़ा मार्केट है।

पिछले पांच साल में चीनी कंपनियों द्वारा स्टार्टअप्स में करीब 8 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया है। भारत पिछले तीन साल में दुनिया में चीन के बाद सबसे ज़्यादा ऐप डाउनलोड करने वाला देश है। चीन मोबाइल ऐप पर 48 बिलियन डॉलर खर्च करता है जिससे चीन 40 प्रतिशत राजस्व प्राप्त करता है। ऐसे में ऐप्स प्रतिबंधित लगाने से चीन को आर्थिक तौर पर झटका तो लगेगा।

टिकटॉक के बैन होने से कंपनी को करीब 100 करोड़ के घाटे का अनुमान

अकेले टिकटॉक के बैन होने से ही कंपनी को करीब 100 करोड़ रूपए का घाटा लगने का अनुमान जताया जा रहा है। इस हिसाब से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि चीन को कितना बड़ा नुकसान होने जा रहा है। उधर भारत को इससे यह फायदा है कि भारतीय ऐपों को आगे आने का मौका मिलेगा। भारत में इस तरह के एप्स की कमी नहीं है।

यूजर्स इन चीनी ऐप के विकल्प के तौर पर भारत में पहले से मौजूद ऐप टिकटॉक की जगह चिंगारी एवं रोपोसो, शेयरइट की जगह फाइल्स गो, कैम स्कैनर की जगह एडोब स्कैन, हेलो की जगह शेयर चैट ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर इन ऐप्स को भारत में बढ़ावा मिलेगा तो यह चीनी ऐपों से भी ज़्यादा बड़े स्तर पर पहुंच सकते हैं।

यह कदम हमारे उद्योगों को मज़बूती प्रदान करेगा। इसके साथ ही साइबर अटैक से निजात दिलाएगा, क्योंकि यह शस्त्र-बल और सेना आक्रमण के समान ही घातक है। यह पूरे देश को आर्थिक तौर पर खत्म कर सकता है। इसके अतिरिक्त भारतीय ऐपों का प्रयोग बड़ी मात्रा में रोज़गार सृजन में भी मदद करेगा।

चीनी सामानों के बहिष्कार का भारत पर असर

एक तरफ हम भूमंडलीकृत जगत में सर्वदेशीय (Cosmopolitan) समाज निर्माण की बात कर रहे हैं। जहां एक देश का दूसरे देशों के साथ आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और वैचारिक आदान-प्रदान हो रहा है। वहीं, ऐसे में डिजिटल स्ट्राइक का क्या औचित्य है?

बहिष्कार से यह प्रश्न उठने लगा है कि यदि हम चीनी सामान का बहिष्कार करते हैं, तो कहीं हम अपने उद्योगों को तो नुकसान नहीं पंहुचा रहे हैं? अगर हम आर्थिक जगत में चीन पर अपनी निर्भरता को देखें तो वह कहीं ज़्यादा है। इस वास्तविकता को नकारा नहीं जा सकता। जटिल परस्पर निर्भरता वाले विश्व में भारत पर भी इसका असर दिख सकता है।

उदहारण के लिए, दवाइयों में इस्तेमाल होने वाला एपीआई (Active Pharmaceutical Ingredient) जिससे जैनेरिक ड्रग्स बनते हैं, भारत बहुत बड़ी मात्रा में इसका निर्यात भी करता है। इस निर्यात का करीब 90 प्रतिशत संघटक और दो-तिहाई जेनेरिक ड्रग्स चीन से आता हैं।

भविष्य में ऐसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं कि चीन से एपीआई नहीं आने की वजह से भारत से होने वाला जेनेरिक ड्रग्स का निर्यात रुक जाए, क्योंकि हम उदारीकृत और वैश्वीकृत विश्व में जी रहे है। अत: हम सामान का आदान-प्रदान तुरंत नहीं रोक सकते हैं।

इस दिशा में धीरे-धीरे कदम उठाने की आवश्यकता है, क्योंकि कई वस्तुओं पर हमारी इतनी आत्मनिर्भरता नहीं हैं, दूसरा सभी चाइनीज सामानों का विकल्प मौजूद नहीं है।

चीन भी है एप्स पर प्रतिबंध लगाने से चिंतित

ग्लोबल टाइम्स के कई लेखों में भारत से घट रहे व्यापार के प्रति चिंताएं व्यक्त की गई हैं। भले ही चीन लगातार यह कह रहा हो कि व्यापार घटने का भारत को ज़्यादा नुकसान है लेकिन चीन खुद भी डरा हुआ है।

चीनी मीडिया ने माना है कि तनाव के बाद और कोविड-19 के चलते भारत-चीन के बीच होने वाले व्यापार में इस साल 30 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है। चीन के मुताबिक, कई क्षेत्रों में व्यापार घटने की शुरुआत हो चुकी है जो कि दोनों देशों के लिए महंगा सौदा साबित होने जा रहा है।

इन सब के वाबजूद सरकार ने इस फैसले से जहां चीन को सख्त संदेश दिया है। वहीं, इससे भारत में मोटा मुनाफा कमाते हुए यूजर्स डेटा से खिलवाड़ करने वाली कंपनियों को बड़ा धक्का लगा है।

एप्स को प्रतिबंधित करने के बाद चीन की प्रतिक्रिया सामने आई है। वह अब अंतरराष्ट्रीय कानूनों का हवाला देने लगा है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजीयान ने कहा कि हम इससे चिंतित है और स्थिति का आकलन कर रहे हैं।

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