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क्या मणिमंजरी की आत्महत्या का ज़िम्मेदार हमारा भ्रष्ट सिस्टम है?

Manimanjari Suicide Case

Manimanjari Suicide Case

नोट: इस आर्टिकल में आत्महत्या का ज़िक्र है।

यूपी बलिया में तैनात पीसीएस अधिकारी मणिमंजरी राय अपने कमरे में मृत पाई गईं। जनसत्ता में छपी जानकारी के मुताबिक शव पंखे की हुक से लटका हुआ मिला।

साथ में दो लाइन का सुसाइड नोट भी जिसमें लिखा है, “मैं दिल्ली-मुंबई से बचकर बलिया चली आई लेकिन यहां मुझे रणनीति के तहत फंसाया गया है। इससे काफी दुखी हूं। लिहाजा, मेरे पास आत्महत्या करने के लिए अलावा कोई विकल्प नहीं है।”

मणिमंजरी की तस्वीर, तस्वीर साभार: सोशल मीडिया

मंजरी के पिता का कहना है कि उनकी बेटी को मारकर पंखे से लटका दिया गया है। फिलहाल पुलिस हमेशा की तरह जांच में जुटी हुई है।एकबार फिर इस भ्रष्ट व्यवस्था ने किसी की हत्या कर दी है। ऐसा लगता है भ्रष्ट अधिकारयों के साथ भ्रष्ट हो जाना, इस सिस्टम में एक मजबूरी हो चला है। मणिमंजरी के पिता कहते हैं कि मेरी बेटी कागजों पर विकास के नाम पर फर्ज़ी भुगतान कराने वालों से परेशान रहती थी।

किसी को आत्महत्या करने पर मजबूर क्यों कर देता है यह सिस्टम?

जब हम विद्यार्थी किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं, तो आंखों में कितने सपने, कितना कुछ कर गुज़रने की इच्छा और जोश से लबरेज होते हैं। हम कसम खाते हैं कि भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ लड़ेंगे। ईमानदारी से काम करेंगे। समाज को संदेश देंगे।

दिल्ली-बंबई में संघर्ष कर जब अंतत: कुछ पाते हैं, तो फिर वही व्यवस्था धीरे-धारे हमारा लहू पीना शुरू कर देती है। इस भ्रष्ट व्यवस्था को डॉमिनेट करने वालों के लिए सांप भी मर जाता है और लाठी भी नहीं टूटती। यह काफी निराशाजनक है।

जब बात आत्महत्या की आती है तो पहली प्रतिक्रिया डॉमिनेंट क्लास की आती है कि ऐसा करने वाले मानसिक रूप से कमज़ोर होते हैं और दूसरा यह कि वे डिप्रेशन में थे। फिर पूरी बात-चीत डिप्रेशन पर केंद्रित हो जाती है।

यह प्रभुत्वशाली वर्ग इस पर बात नहीं करते हैं कि ऐसे लोग डिप्रेशन में जाते कैसे हैं? क्योंकि जब ये डिप्रेशन के कारणों पर बात करेंगे तो फिर कातिल का पता चल जाएगा इसलिए जब भी इस पर बहस होती है तो ये डिप्रेशन का इलाज़ बताते हैं, डिप्रेशन का कारण नहीं।

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