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“डेंटिस्ट ने चेकअप के बहाने मेरे सीने को गलत तरीके से छुआ था”

यूं तो लिखते वक्त मेरे सामने से कई तस्वीरें गुज़र गई हैं लेकिन एक अनुभव कुछ पुरानी है, जिसका ज़िक्र मैं इस लेख के ज़रिये करने जा रही हूं। मैं दांत की थोड़ी समस्या से जूझ रही थी, जिसके इलाज के लिए डेन्टिस के पास गई।

उसने कहा दांतों की सफाई करनी होगी जिसके लिए आपको तीन से चार बार तक आना होगा। मैं पहली बार पहुंची तब सब कुछ सामान्य था। एक छोटे से ऑपरेशन थिएटर नुमा कमरे में कुछ मशीनें और थोड़े बहुत औज़र थे।

लेकिन जब मैं दूसरी बार पहुंची तब मैंने महसूस किया कि डॉक्टर मेरे मुंह में औजार डालते वक्त मेरे सीने पर ज़रूरत से कुछ ज़्यादा ही बल दे रहा था।

आदतन मेरे दिमाग ने मुझे कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है, तुम कुछ ज़्यादा ही सोचती हो। खैर, यदि आप कभी इस प्रक्रिया से गुज़रे हों तब जानिएगा कि बार-बार यह दोहराया जाता है। फिर जब दोबारा उसने मुंह में औजार दिया तब उसने वापस मुझे उसी ढंग से छूना चाहा।

पहले मैं समझ नहीं पाई कि कहूं क्या? फिर मैंने डॉक्टर का हाथ हटाते हुए थोड़ा कड़ी आवाज़ में कहा, “आप ढंग से खड़े नहीं हो सकते तो मुझे अपना नाम बता दीजिए। मैं शिकायत दर्ज़ कर दूं कि आपको खड़ा होना नहीं आता।” उसके चेहरे की हवाईयां मुझे अब भी साफ याद हैं।

वो इतना घबराया कि मेरा काम अधूरा ही रह गया। मुझे याद है उसके बाद अगली सीटिंग पर उसकी बजाय किसी और डॉक्टर ने मेरे दांतों का इलाज़ किया था।

आप कह सकते हैं ये किस तरह के अनुभव गढ़े जा रहे हैं। मुझ पर, मेरे लिखे पर शर्मिंदा होते लोग यकीन मानिए यही इस समाज की हकीकत है।

मैं ऐसे कितने ही अपने ओर दूसरों के छोटे-बड़े अनुभव गिना सकती हूं। खुद में झांककर देखिए कि ऐसी कितनी घटनाओं के आप चश्मदीद रहे हैं और गुनाहगार भी।

महाराष्ट्र से आई शर्मनाक खबर!

साल 2020 में महाराष्ट्र के कोथरूड से एक खबर सामने आई थी, जिसमें तीन लोगों ने पैसों के विवाद के चलते एक 30 वर्षीय युवक अर्थात अपने ही कर्मचारी को प्रताड़ित किया और प्रताड़ना के चलते उसके प्राइवेट पार्ट पर सैनिटाइज़र डाल दिया था।

बता दें कि घटना 13-14 जून की थी और यह घटना उस जगह की थी, जहां वह व्यक्ति कार्यरत था। इसकी एफआईआर 2 जुलाई को पौड, पुणे पुलिस स्टेशन में दर्ज़ की गई थी।

यह एफआईआर फर्म में मैनेजर के पद पर कार्य कर रहे व्यक्ति ने की है, जो कि पेंटिंग एक्सीवेशन का कार्यभार संभालते हैं। वहीं कंपनी का कहना है,

वे बीते मार्च ऑफिस के किसी काम से दिल्ली गये हुए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते वे वहीं फंसकर रह गए थे। दिल्ली में वे एक लॉज़ में रह रहे थे जिसका खर्च हमारी कम्पनी द्वारा वहन किया जा रहा था।

शिकायतकर्ता ने अपनी एफआईआर में लिखा है, “7 मई को दिल्ली से लौटने पर शिकायतकर्ता ने खुद को एक होटल में 17 दिन के लिए क्वारंटाइन करने की बात कही। उसके पास पैसे ना होने पर उसने अपना मोबाइल और डेबिट कार्ड होटल में ही गिरवी रखा था।”

आखिर क्या हुआ था उस रोज़?

13 जून को कंपनी का मालिक अपने दो सहयोगियों के साथ आया और शिकायतकर्ता को बंदी बनाकर अपनी कार में ले गया। वे लोग शिकायतकर्ता को अपने फर्म पर ले गए, जहां पहले उसके साथ मारपीट की गई और उसके बाद उसके प्राइवेट पार्ट पर सैनिटाइजर डाल दिया गया। उसके कुछ देर बाद शिकायतकर्ता को छोड़ दिया गया।

शिकायतकर्ता ने किसी प्राइवेट अस्पताल में अपना उपचार करवाया और उसके बाद एफआईआर दर्ज़ करवाई। मामले की जांच-पड़ताल जारी है और साथ ही अभी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

यदि आप सैनिटाइजर पर सामान्य जानकारी भी रखते हैं, तब आपको मालूम होगा यह किस तरह हमारे शरीर के अंगों के लिए हानिकारक है। इसमें मिली हुई ट्राइक्लोसन और बेंजालकोनियम क्लोराइड होता है, जो हमारी त्वचा के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं होता है। साथ ही यह शरीर के नाज़ुक अंगों और खून में मिलने पर घातक परिणाम दे सकता है।

पड़ताल के बाद कार्रवाई की उम्मीद

क्या किसी से बदला लेने और आपसी विवाद पर उलझने के लिए उसके साथ इस तरह की अमानवीयता की जा सकती है? यह पहली घटना तो नहीं है! पुरुष प्रधान समाज के लिए यह थोड़ी नई हो सकती है वरना तो हम रोज़ ही सुनते, देखते हैं। कई दफे इस तरह अमानवीयता भुगतते भी चले आ रहे हैं।

यूं किसी को शारीरिक क्षति पहुंचाना और इस तरह प्रताड़ित करना कोई नया नहीं है। हमारे अखबार इन खबरों से रोज़ ही पटे पड़े होते हैं और यदि आप एक लड़की हैं, तो ऐसी घटनाएं आपको बेहतर और साफ याद होती हैं। 

जब भीड़ में लोग आपको छूने का एक बहाना खोज ही लेते हैं

आप इस खबर को और इसकी हेडलाइन को वाहियात मान सकते हैं। आप कह सकते हैं कि इस तरह की खबरों को लिखे-पढ़े जाने का क्या औचित्य है? लेकिन यही खबरें हकीकत हैं और हमारे समाज का एक अंधेरा आईना भी।

मेरा अपना अनुभव रहा है जिसका ज़िक्र मैंने किया है कि यदि आप एक लड़की हैं, तो लोग आपको गलत तरीके से छूने के बहाने ढूंढने में नहीं कतराते। वो चाहे अपनों की भीड़ रही हो या अजनबियो के बीच कटता कोई सफर।

यदि वाद-विवाद हो तब किसी को प्रताड़ित करने का सबसे आसान तरीका उसको शारीरिक रूप से तकलीफ देना ही है।ऐसे अनुभव हम लड़कियों के लिए आम होते हैं। बस इनसे बचने का एक ही तरीका है आवाज़ उठाना।


संदर्भ- इंडियन एक्सप्रेस

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