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NMCH में स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मारपीट के बाद हड़ताल

ये तो होना ही था। हर रोज़ इतने वीडियोज़ NMCH के वायरल हो रहे थे, मीडिया, सोशल मीडिया सब जगह ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे डॉक्टर्स काम नहीं कर रहे या जान बूझकर कोरोना से भाग रहे हैं। शायद ही किसी ने पूछा हो कि डॉक्टर्स को पूरी सुरक्षा के लिए ग्लव्स, मास्क, PPE किट भी मिल रहा या नहीं!

स्वास्थ्य मंत्री महोदय के फेसबुक पोस्ट से बस यही प्रतीत होता है कि उन्हें अभी के संकट से ज़्यादा चुनाव प्रचार की टेंशन है। बाकायदा पोस्ट डालते हैं कि क्वारंटाइन सेंटर में पच्चास रुपये रोज़ वहां रहने वालों को पीने की पानी के लिए दिया जाएगा।

मगर इस पर कोई चर्चा नहीं होती है कि सारे डॉक्टर्स को PPE किट, ग्लव्स या सैनिटाइज़र मिल रहा या नहीं! कल शायद NDTV या आज तक ने PMCH के डॉक्टर्स का वीडियो डाला था, जिसमें डॉक्टर्स ने साफ कहा कि एक सप्ताह के लिए एक मास्क मिल रहा है। कुछ लोगों को तो ग्लव्स, सैनिटाइज़र तक नहीं मिल पा रहा है।

अब राज्य के सबसे प्रमुख अस्पताल का यह हाल है, तो अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अन्य जगहों की व्यवस्था कैसी होगी? यह तो ठीक वैसा हो गया कि बॉर्डर पर सैनिकों को बिना सुरक्षा और हथियार खड़ा कर दिया गया हो। पिछले साल भी जब मुज़फ्पपुर में AES से बच्चे मर रहे थे, तो स्वास्थ्य मंत्री महोदय एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वर्ल्ड कप मैच का स्कोर पूछ रहे थे।

चलो अपने प्रदेश की जनता ही बुद्धिमान निकली जिसने प्रदेश की गिरी हुई स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने का हल निकाल लिया है, जो थोड़े बहुत संसाधन के बीच राज्य के चिकित्सक इस लड़ाई को लड़ रहे हैं। उनसे उलझकर इस लड़ाई को और मुश्किल करने का काम कर रहे हैं।

जितनी तत्परता से ये लोग डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों से उलझते हैं, अगर किसी दिन वैसे ही अपने चुने हुए नेताओं से स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल पूछने लगें तो शायद सच में अच्छे दिन नज़र आने लगें।

जनता को याद रखना चाहिए कि सुविधाओं के लिए आपने नेताओं को चुना था, डॉक्टर्स को नहीं! डॉक्टर्स का काम इलाज करना है, सुविधा देना नहीं। अगर सुविधाएं अच्छी होंगी तो हर चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी अधिक सकारात्मक ढंग से समाज के काम आ सकता है।

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