किसी भी आर्टिकल को किस तरह लिखा जाए, यह आप और हम तय नहीं कर सकते। यह हमारी समझ से कहीं ज़्यादा आर्टिकल की प्रकृति पर निर्भर करता है फिर चाहे वो कोई साहित्यिक वार्ता रही हो या कोई खबर।
लेकिन किसी आर्टिकल को लिखते वक्त किन बातों को ध्यान रखा जाना चाहिए और किन मुद्दो को छोड़ना, यह हम ज़रूर ध्यान रख सकते हैं। यूं भी किसी भी प्रभावी लेखन की पहली कड़ी शब्दों की सत्यनिष्ठा ही है। मेरा मानना है कुछ तथ्य ऐसे हैं, जिनका हमें आर्टिकल लिखते वक्त विशेषकर ख्याल रखना चाहिए।
- पहला और सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है अधूरे ज्ञान से बचना। आप किसी भी विषय को शब्दों के आधार पर प्रभावी नहीं बना सकते। उसकी पहली कड़ी है स्पष्ट और सही जानकारी। इसलिए आर्टिकल में हमें अधूरे ज्ञान से बचना चाहिए।
- फेक न्यूज़ आज के समय में संचार का सबसे तेज़ी से दौड़ता यंत्र है। फैक न्यूज़ से बचना बेहद ज़रूरी है। किसी भी आर्टिकल को लिखते वक्त तथ्यों और घटनाओं का सत्यापन पहली ज़रूरत है। ऐसे कितने ही उदहारण हैं, जहां फेक न्यूज़ में अंतर ना कर पाने की वजह से बड़े-बड़े संस्थानों ने गलत खबरों का प्रसार किया है।
- किसी भी आर्टिकल को लिखते वक्त पूर्वाग्रह को छोड़ देना चाहिए। पूर्वाग्रह के आधार पर किसी भी विचार को व्यक्त करना आर्टिकल को भेदभाव पूर्ण बनाता है और आपकी स्पष्ट समझ को प्रभावित करता है।
- आर्टिकल को लिखते वक्त अभद्र और व्यक्तिगत टिप्पणियों को नहीं रखना चाहिए। शब्दों की गरिमा किसी भी आर्टिकल का प्राण होती है।
- आर्टिकल बड़ा और बेमतलब की बातों से भरा नहीं होना चाहिए। यदि आर्टिकल स्पष्ट और विषय से रिलेटेड हो तो पढ़ने योग्य होता है।
- आर्टिकल को लिखने में जल्दबाज़ी नहीं दिखाना चाहिए, क्योंकि जिस लेख को आप सब्र के साथ लिख नहीं सकते, उसे भला कोई क्यों पढ़ना चाहेगा?
- यह सुनिश्चित कर लें कि कोई भी विचार किसी धर्म, जाति समूह और सम्प्रदाय को टारगेट ना करे।
- किसी भी आर्टिकल को लिखते वक्त व्यक्तिगत रूचि को बीच में नहीं रखना चाहिए, बल्कि पाठक को ध्यान में रखते हुए आर्टिकल लिखा जाना चाहिए।
- निष्कर्ष निकालने से बचना चाहिए। अर्थात आप का कोई भी आर्टिकल सम्पूर्ण नहीं हो सकता और उसके आधार पर पूरी तरह किसी हल पर पहुंचना सम्भव नहीं हो सकता।
किसी भी आर्टिकल को प्रभावी बनाने में आपकी रुचि सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। हम और आप ऊपर लिखे बिंदुओं पर कितना भी विचार-विमर्श कर लें, यदि हमारी रूचि हमारे लेखन से नहीं मिलती तो सारे प्रभावी कदम भी आर्टिकल में जान नहीं फूंक सकते।
घटनाओं, तथ्यों, विचारों और अनुभवों को महसूस कर कलम की नोक पर उतारना सहज नहीं होता है लेकिन एक प्रभावी आर्टिकल वही हो सकता है, जिसकी नोक पर ये सब ठहरे हों।