Site icon Youth Ki Awaaz

भागलपुर में हुई आठ साल की बच्ची के साथ रेप राष्ट्रीय मुद्दा क्यों नहीं बनता है?

मानवता को शर्मसार करती घटनाओं से हमारा यह समाज़ लदा पड़ा है। हाल ही में भागलपुर के ज़ीरो माइल थाने की एक घटना सामने आई है, जहां आठ वर्षीय बच्ची के साथ उसके ही चचेरे भाई और चचेरी बहन के बेटे ने रेप किया।

बच्ची की माँ ने थाने में इसकी शिकायत दर्ज़ करवाई और बताया कि कज़न भाईयों ने उसके साथ गलत काम किया है। बच्ची की माँ का कहना है कि 23 जुलाई को वो अपनी बच्ची को खाने के लिए बुलाने गई तो देखा कि बच्ची घबराई हुई थी।

पूछने पर बच्ची ने बताया कि 22 जुलाई की रात लगभग 11 बजे के आसपास दोनों भाईयों ने बाथरूम में उसके साथ रेप किया और जब वो रोई तो उसे जान से मारने की धमकी दी। वहीं, दोनों ही भाई नाबालिग बताए जा रहे हैं।

ज़ीरो माइल के थाना प्रभारी ने क्या कहा?

बहरहाल, बच्ची की मेडिकल जांच करवाई जाएगी। रिपोर्ट में दर्ज़ करवाया गया है कि बच्ची ने घटना की शिकायत आरोपी के माता-पिता को भी दी थी लेकिन उन्होंने उल्टा उसे डांटते हुए कहा तुम चुप रहो।

ज़ीरो माइल के थाना प्रभारी राजरतन ने बताया कि पुलिस ने बच्ची का बयान दर्ज़ कर लिया है और कोर्ट खुलने के बाद वहां भी उसका बयान दर्ज़ कराया जाएगा। हाल ही में तीन दिन पहले सबौर क्षेत्र में  सम्बन्धों को तार करती एक ससूर पर बहू के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आई थी।

क्या इस मानसिकता पर हमें शर्म नहीं आनी चाहिए?

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Getty Images

विचार कीजिए संस्कारों की आमद ओढ़ने वाला यह समाज किस तरफ जा रहा है? इसकी थाह ऐसी घटनाओं से ही मिल सकती है और आप इस घटना पर आश्चर्य मत कीजिए! अपने अपने गिरेवां में झांकिए और खुद से पूछिए कि इन सब घटनाओं से आप कितने अछूते रह पाएं हैं?

समाज़ कोई आज से ही नहीं, बल्कि बहुत पहले से ही इस ढर्रे पर चलता चला जा रहा है। नाबालिक आरोपियों की बात क्या ही की जाए। परफेक्ट समाज की थीम में आपको हर तरफ ऐसे बहुत से बालिग अपराधी भी मिल जाएंगे। पता नहीं यह कैसी  मानसिकता है जो अपनी ही गोद में पली-बढ़ी बच्चियों के थोड़े बड़े हो जाने पर मर्दानगी में बदलने लग जाती है।

खुद से पूछिए कि क्या हमारा पुरुष प्रधान समाज वास्तव में इतना ही कमज़ोर है? हां! यकीन मानिए इतना ही कमज़ोर है। तभी इस तरह की घटनाएं बहुत आम होती चली जाती हैं। कोई चुप रह जाता है, तो किसी को गंदे अंकल और भाईयओं से दूर रहने की सख्त हिदायत दी जाती है। ऐसी घटनाओं या अनुभवों  की फेहरिस्त आपकी सोच से भी कहीं ज़्यादा लम्बी हो सकती है।

सेक्स एजुकेशन की बात पर सन्नाटा क्यों पसर जाता है?

विचार कीजिए यदि एक ही घर में रहकर इस तरह शोषण की घटनाएं आसान हैं, तो आस-पड़ोस औऱ समाज में इन घटनाओं का घटित होना कोई मुश्किल बात तो हो ही नहीं सकती है। ऐसे कितने ही उदहारण मौजूद हैं, जहां लड़कियों के साथ आस-पड़ोस में कोई अभद्रता या अश्लीलता हुई होती है।

मैं ऐसी कितनी ही कहानियां जानती हूं, जहां इस तरह के शोषण बड़े ना सही छोटे रूप में रोज़ ही घट रहे हैं। बस कहीं बच्चे इसे समझ ही नहीं पाते, तो कभी डरे-सहमे चुपचाप सह जाते हैं।

मैं एक बार फिर कह रही हूं कि इन घटनाओं की जड़ हमारे संस्कारों से कहीं ज़्यादा हमारी दुराव-छुपाव वाली सोच में है। हम कभी यह सहजता से मान ही नहीं सकते कि एक स्वस्थ्य सेक्स एजुकेशन हमें इस तरह की कितनी ही घटनाओं से बचा सकती है।

एक अनाम आकर्षण किसी भी अपराध, दुष्कर्म की जड़ बन सकता है और बच्चों के हाथ में थमाए मोबाइल फोन और किसी भी कंटेंट पर आसानी से उनकी पहुंच उन्हें इन सब में धकेल रही है। वहीं, माँ-बाप का लापरवाही भरा रवैया उनकी जिज्ञासा को और बढ़ाता है। ऐसे ही एक दुष्कर्म से दूसरे दुष्कर्म का सीढ़ीनुमा रास्ता तैयार होता जाता है।

ऐसी कोई भी घटना अपराध है और अपराध ही रहेगी। यदि कोई उन नाबालिगों को पहले ही यह समझा पाता कि जो उन्होंने किया है, उसका आधार क्या है और यह सब करने के दायरे क्या हैं? काश हम इन घटनाओं को राष्ट्रीय मुद्दा भी बना पाने में सफल होते!

तब ऐसे अपराध शायद पनपते ही नहीं! मैं पहले भी लिख चुकी हूं और बार-बार लिखती रही हूं कि बच्चों के लिए सेक्स, यौन आकर्षण और शारीरिक बदलाव सबकी शिक्षा ज़रूर दी जानी चाहिए। यदि उन्हें इन विषयों पर साफ और सही जानकारी दी जाएगी तो वे अपनी जिज्ञासा के लिए प्रश्न करेंगे ना कि कोई अपराध या अश्लीलता।

Exit mobile version