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“विकास दुबे का एनकाउंटर एक सोची-समझी साज़िश तो नहीं?”

Vikas Dubey Encounter

Vikas Dubey Encounter

उत्तर प्रदेश प्रदेश में एक बार फिर अपराधियों और धोखेबाज़ों की जीत हुई। विकास दुबे की पहले गिरफ्तारी और फिर एनकाउंटर में उसकी मौत कोई उपलब्धि नहीं, बल्कि यूपी के लिए एक शर्मसार करने वाली नाकामी है।

कानपुर के बिकरु गाँव मे विकास दुबे ने 8 पुलिसवालों की अपने साथियों के साथ निर्मम हत्या कर दी थी। उसके बाद से ही उसकी धरपकड़ करने के लिए एसटीएफ और यूपी पुलिस की सौ टीमों के साथ पांच राज्यों की पुलिस भी उसको ढूंढ रही थी।

शुरूआती जांच और मीडिया ट्रायल के दौरान यह भी सामने आया कि कई दिग्गज नेताओं और अफसरों का संरक्षण विकास दुबे को प्राप्त था। विकास दुबे को हमेशा से किसी एक राजनीतिक पार्टी का ही नहीं, बल्कि हर राजनीतिक दल का सहयोग था।

विकास दुबे की तस्वीर, तस्वीर साभार: सोशल मीडिया

विकास दुबे जिंदा होता तो कई सफेद पोश होते बेनकाब

इसमें कोई दो राय नहीं था कि यदि विकास दुबे पकड़ा जाता है, तो वह निश्चित रूप से कई बड़े नेताओं और बड़े पुलिस के अधिकारियों के अपने साथ होने का दावा करता। इसके साथ ही कई सफेद पोश लोग यानी नेता भी बेनकाब हो जाते।

प्राथमिक जांच में ही यह बात सामने आई थी कि चौबेपुर थाने की पुलिस समेत कई बड़े पुलिस अधिकारी विकास दुबे के नजदीकी थे। इन सबके बीच विकास दुबे का तथाकथित एनकाउंटर कर उसे मौत के घाट सुला दिया गया।

यदि यूपी पुलिस या फिर यूपी सरकार चाहती कि विकास दुबे से मिले हुए सभी लोगों के चेहरे सामने आने चाहिए और उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए, तो शायद ऐसा बिल्कुल ना होता। सरकार और पुलिस के अधिकारियों को इस बात का डर था कि यदि विकास दुबे ने अपनी ज़ुबान खोली तो बड़े-बड़े लोगों की पोल खुल जाएगी।

गाड़ी पलटने के बाद की तस्वीर, तस्वीर साभार: सोशल मीडिया

क्या यह एनकाउंटर एक सोची-समझी साज़िश है?

यूपी पुलिस और यूपी सरकार भले ही इस तथाकथित एनकाउंटर को अपनी उपलब्धि मान रही हो लेकिन कहीं-न-कहीं यह एक सोची समझी साज़िश भी जान पड़ रही है। इस एनकाउंटर से एक विकास दुबे तो खत्म हो गया लेकिन जिन लोगों ने विकास दुबे को संरक्षण दिया था, उनके संरक्षण में अब ऐसे ही और हज़ारों विकास दुबे जन्म लेंगे।

यूपी एसटीएफ और यूपी सरकार के इस कृत्य से ना सिर्फ अब ऐसे अपराधों में बढ़ोत्तरी होगी, बल्कि अपराधियों को संरक्षण देने वाले लोगों के हौसले अब और भी बुलन्द हो जाएंगे। संरक्षण देने वाले नेता, मंत्री, पुलिस अधिकारी सब बच जाएंगे।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अब इन संरक्षण देने वालों की शक्ल से पर्दा उठाने का साहस करने वाला कोई नहीं है। यूपी की व्यवस्था जस की तस बनी रहेगी। योगी सरकार की जीरो टॉलरेन्स की नीति धरी की धरी रह जाएगी और ऐसे अपराधी दोबारा पैदा होते रहेंगे।

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