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“गर्लफ्रेंड के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने पर मुहल्ले वालों ने मुझे बेइज्ज़त कर दिया”

‘सेक्स’ शब्द सुनने बाद जो पहला सवाल ज़हन में आता है, वो क्या है? गंदी बात! है ना? यह बात तब और भयानक रुप ले लेती है जब आपका घर किसी ग्रामीण परिवेश में हो। फिर तो दो लोगों की मर्ज़ी से स्थापित किए गए शारीरिक संपर्क को रेप का तमगा दे दिया जाता है।

कुछ मजबूरियां हैं जिस कारण मैं अपने इस बेहद ही निजी अनुभव को साझा करते हुए अपना नाम नहीं बता पा रहा हूं। बात लगभग 8 साल पुरानी है, मैं तब ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहा था। गाँव की ही सपना (बदला हुआ नाम) से मुझे प्यार हो गया।

हमारा प्यार फिल्मों वाले प्यार से कुछ कम नहीं था। यह वो वक्त था जब झारखंड के खासकर गोपीकांदर और काठीकुंड के इलाकों को लोग उग्र नक्सल इलाके के तौर पर जानते थे, जहां कुछ वर्ष पहले दुमका के एसपी अमरजीत बहिलाहार की नक्सलियों द्वारा निर्मम हत्या के साथ सूबे में खबलबी मच गई थी।

खैर, काठीकुंड और गोपीकंदर के इलाके के आसपास की पहाड़ियां मुझे हमेशा सुकून देती हैं। ऐसा लगता है जैसे बचपन से ये मेरे बेहद करीबी हैं। पहाड़ों से मेरे रिश्ते और भी प्रगाढ़ तब हो गए जब सपना मेरे जीवन में आई और आहिस्ता-आहिस्ता हमारा प्यार परवान चढ़ने लगा।

साल 2012 के दिसबंर में सपना मुझसे मिलने काठीकुंड की पहाड़ियों के बीच स्थित बस्ती नारगंज आई। नारगंज वो इलाका है, जहां कई दफा भीषण नक्सली मुठभेड़ हो चुके हैं। शाम के करीब पांच बजे हम पहाड़ी के एक कोने में चट्टान से छिपकर एक-दूसरे की बाहों में लिपटे थे, इतने ही में कुछ लड़के वहां से गुज़रे और जाकर ग्राम प्रधान को इसकी जानकारी दे दी।

अगले दिन सुबह सात बजे मैं नारगंज में अपने घर पर चाय पी रहा था। करीब साढ़े सात बजे सपना भी मुझसे मिलने मेरे यहां आई। हमने पहले से ही तय कर लिया था कि आज हम शारीरिक संपर्क बनाएंगे। दरअसल, रिश्ते में रहते हुए यह वो एहसास है जिसे शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता है मगर ग्रामीणों ने मिलकर हमारे अरमानों पर पानी फेर दिया।

हमने जैसे ही सेक्स करना शुरू किया कि कुछ लोग इकट्ठा होकर दरवाज़े को धक्का देने लगे। हमने जैसे-तैसे दरवाज़ा खोला और उन लोगों ने सपना को उसके घर भेज दिया और मुझे दो दिनों तक पंचायत भवन में एक कमरे में बंद करके रख दिया।

दो दिनों के बाद मेरे कुछ दोस्तों ने आकर मुझे उन लोगों से बचाया। यह वो घटना है जिसे मैं ताउम्र नहीं भूल सकता हूं। आज भी गाँव के लोग मुझे रेपिस्ट कहते हैं और कहीं पर भी ज़लील कर देते हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले वक्त में मेरी यह छवि बदले और किसी भी प्यार करने वाले को इस तरह की चीज़ों से दो-चार नहीं होना पड़े।

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