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भारत कोरोना की ‘कोवैक्सीन’ बनाने के किस चरण तक पहुंच पाया है?

corona virus vaccine

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भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 11 लाख का आंकड़ा पार कर चुके हैं। इसके बाद विश्व के अन्य देशों के साथ भारत में भी कोरोना संकट से लड़ने के लिए वैक्सीन खोजने की कोशिशें तेज़ हो रही हैं।

भारत ‘कोवैक्सीन’ नाम की स्वदेशी वैक्सीन बनाने पर काम कर रहा है। इस वैक्सीन का कई चरणों में परीक्षण होने के बाद ही इसे मान्यता दी जाएगी।

प्रतीकात्मक तस्वीर, तस्वीर साभार: पिक्साबे

इस दिशा में प्रयास के चरणों में आज से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली में (दिल्ली एम्स ) कोरोना वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू होने जा रहा है। 100 लोगों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा। यह देश में अब तक का सबसे बड़ा मानवीय परीक्षण होगा।

किसने बनाया है ‘कोवैक्सीन’ और कैसे होगा मानव परीक्षण ?

हैदराबाद के भारत बायोटेक और अहमदाबाद के जाइडस कैडिला कंपनी ने इस ‘कोवैक्सीन’ को बनाया है। आज से इसका मानव परीक्षण भी शुरू कर दिया गया है। इस मानव परीक्षण से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें:

मानव परीक्षण के लिए क्या प्रतिभागियों को भुगतान भी होता है?

भारतीय मेडिकल रिसर्च काउंसिल यानी आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के अनुसार तो मानव परीक्षण में वॉलेंटिय करने वाले लोगों को भुगतान किया जाता है। उनके लिए अतिरिक्त चिकित्सकीय सेवाओं को मुफ्त कर दिया जाता है।

इन भुगतानों पर नज़र रखने की ज़िम्मेदारी एथिक्स कमेटी की होती है। इसके अलावा यदि इस परीक्षण के दौरान किसी प्रतिभागी को किसी तरह का स्वास्थ्य नुकसान होता है तो उसके लिए अलग से मुआवजे का भी प्रावधान है।

कितने चरण में होता है मानव परीक्षण?

मानव पर किसी वैक्सीन का परीक्षण कुल चार चरणों में होता है। पहला चरण में इस बात का पता लगाने की कोशिश की जाती है कि वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट तो नहीं है। यानी वैक्सीन सुरक्षित तो है और इंसान इसे आसानी से ले सकते हैं या नहीं।

दूसरे चरण में यह देखा जाएगा कि वैक्सीन का शरीर में प्रवेश रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक साबित हो रहा है या नहीं। जिससे इंसान इस वायरस से लड़ सके।

प्रतीकात्मक तस्वीर, तस्वीर साभार: पिक्साबे

तीसरे चरण में शोधकर्ता अपने निष्कर्षों की पुष्टि करते हैं कि उनके द्वारा बनाई वैक्सीन सही साबित हुई या नहीं। इसे सबसे महत्वपूर्ण अंतिम चरण माना गया है।

चौथे चरण में शोधकर्ता वास्तविक दुनिया में वैक्सीन के प्रभाव पर नज़र बनाए रखते हैं कि वैक्सीन प्रभावकारी साबित हो रही है या नहीं।

कब तक बाज़ार में आ सकती है वैक्सीन?

वैक्सीन के बाज़ार में आने के बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है। अगर कोरोना वायरस वैक्सीन का परीक्षण असफल नहीं हुआ, तो भी उसके बावजूद भी एक साल से ऊपर समय लग ही सकता है।

आपको बता दें कि एचआईवी को खोजे हुए लगभग चार दशक हो चुके हैं लेकिन अभी तक इसकी वैक्सीन नहीं बन पाई है। हालांकि, वर्तमान में विशेषज्ञों का यह अनुमान है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन अगले साल के मध्य या अंत तक सार्वजनिक रूप से बाज़ार में आ जाएगी। साथ ही कुछ वैज्ञानिकों ने चेतावनी भी दी है कि ज़्यादा आशावादी बनने से अपना ही नुकसान है।

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