देश को क्या हो गया है? कहां गई देश की न्याययिक व्यवस्था और उसका प्रभाव? यह बहुत ही दुखद बात है, देश की सबसे बड़ी न्यायिक व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के नियम और कानून को ताक पर रख कर अपराधी जगत के लोग खुले तौर पर अपराध कर रहे हैं।
इसमें सिर्फ आम इंसान ही पिसा जा रहा है। लोग सरेआम लोगों का कत्ल कर रहे हैं। जान की कोई कीमत ही नहीं रह गई। वास्तव में अच्छे दिनों की चाहत ने हमको ज़िन्दगी के सबसे बुरे दौर में लाकर खड़ा कर दिया है।
पत्रकार विक्रम जोशी की गोली मारकर कर दी गई हत्या
गाज़ियाबाद के विजयनगर इलाके में पत्रकार विक्रम जोशी को हाल ही में उनके घर के पास ही अज्ञात बदमाशों ने गोली मार दी। जब उनको गोली मारी गई तब वह अपनी बेटियों के साथ थे। यह बहुत ही दुखद है।
जोशी की निगरानी करने वाले डॉक्टर ने कहा कि गोली लगने से पत्रकारों के सिर की नसें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थीं।मामले में कुल नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार करने के प्रयास चल रहे हैं। यह घटना सोमवार को हुई थी। इससे कुछ दिनों पहले विक्रम जोशी ने विजय नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि कुछ लोग उनकी भांजी को परेशान कर रहे थे।
पुलिस पर लग रहे हैं लापरवाही बरतने के आरोप
जोशी के भाई अनिकेत जोशी ने कहा था, “कुछ दिन पहले कुछ लोग उसकी भांजी को परेशान कर रहे थे और मेरे भाई ने इसका विरोध किया था और पुलिस शिकायत भी दर्ज की थी। एक मामला भी दर्ज किया गया था जिसके बाद उन बदमाशों ने उसे गोली मार दी थी।”
वहीं विक्रम कि बहन ने पुलिस पर कई आरोप लगाएं हैं। उन्होंने कहा कि हम पुलिस के पास अपनी शिकायत लेकर गए थे और ठीक उसके एक दिन बाद ही बदमाश हमारे घर आए और वे लगातार ऐसा ही करते रहे।
उनका कहना है कि मेरे भाई ने पुलिस को पहले ही आगाह किया था कि यह बदमाश कभी भी कुछ भी कर सकते हैं। कृपया आप हमारी मदद करें। इस बात पर पुलिस अधीक्षक ने खुद के बीमार होने की बात का बहाना बना कर बात को टाल दिया। अगर वास्तव में वो बीमार थे, तो क्या वे किसी और को नहीं भेज सकते थे?
पुलिस क्यों नहीं निभाती है अपनी ज़िम्मेदारी?
पुलिस की लापरवाही की कीमत विक्रम को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। वहीं कई विपक्षी नेताओं ने इस बात पर अपनी राय रखी है और इसको सीधे तौर पर गुंडाराज बताया है।
वहीं मायावती ने ट्वीट किया, “अभी हाल ही में, यू.पी के जंगलराज में गाज़ियाबाद में अपनी भांजी के साथ छेड़छाड़ करने के विरोध में पत्रकार श्री विक्रम जोशी को गोली मारकर बुरी तरह से घायल किया गया, जिनकी आज मृत्यु हो जाने पर दुःखी परिवार के प्रति बी.एस.पी की गहरी संवेदनाएं।”
पुलिस की इतनी बड़ी लापरवाही के कारण किसी का घर उजड़ गया है। यह जंगलराज का जीता-जागता सुबूत है। देश में महिलाओं की सुरक्षा की क्या स्तिथि है यह सभी को पता है। वहीं, बलात्कार और अगवा कर लेने की घटना आए दिन सुनने को मिलती है। हम तक तो बस इक्का दुक्का खबरें ही आती हैं।
कई केस तो ऐसे होते हैं जिनको पुलिस रजिस्टर ही नहीं करती इसलिए वह सुर्खियों में नहीं आते। पुलिस की लापरवाही की वजह से विक्रम ने तो दम तोड़ दिया और अब क्या गारंटी है कि उनकी भांजी के साथ भी न्याय हो? मगर ना तो प्रशासन इसके लिए कोई ज़िम्मेदारी लेगा और ना समाज।
क्या देश में संविधान मायने भी रखता है?
क्या ज़माना आ गया है लोग अगर शिकायत करें तो भी खतरा और ना करें तो भी। देश में महिलाओं के कितने ही केस आते हैं उसके बावजूद पुलिस इन सब बातों को संजीदगी से नहीं लेती है।
यह सरासर संविधान की बेइज़्ज़ती है। क्या संविधान का मायने भी रखता है? सरकार को फुर्सत नहीं हिन्दू-मुस्लिम दंगो से और झूठी बातों से तो वह ग्राउंड लेवल की समस्या को कैसे देखे? बस ज़रा से दिमाग को उस तरफ ले जाइए जहां किसी पिता की सरेआम गोली मारकर हत्या की जा रही हो और उसके सामने उनकी बेटियां हों। खुद पर ही रख कर यह बात सोचिए। आपके पैरों तले ज़मीन खिसक जाएगी।
न्याय और अन्याय की परिभाषा भूल चुके लोगों के लिए अब आवाज़ उठाना ज़रूरी हो गया है। वरना कल आप भी हो सकते हैं विक्रम की जगह और आपकी बेटी भी छेड़छाड़ का शिकार बन सकती है। अब जागरूक होने और आवाज़ उठाने का समय आ गया है।