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दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कपिल मिश्रा का ज़िक्र क्यों नहीं है?

दिल्ली दंगों में जिस नेता का नाम सबसे ज़्यादा सामने आ रहा है, वह है कपिल मिश्रा। हर दिन एक नई रिपोर्ट सामने आती है जिसमें कोई चश्मदीद गवाह यह कह रहा होता है कि उसने कपिल मिश्रा को खुद दंगाई भीड़ का नेतृत्व करते हुए और मुसलमानों पर हमला करते हुए देखा था।

इन गवाहों ने ऐसी कई शिकायतें दिल्ली पुलिस और यहां तक कि पीएमओ को भी सौंपी। अत: यह साफ है कि कपिल मिश्रा की भूमिका केवल भड़काऊ भाषण देने तक ही सीमित नहीं थी। उन शिकायतों में यह भी लिखा है कि दिल्ली पुलिस के अफसर यह कहते थे कि कपिल मिश्रा आज तुम लोगों को आज़ादी दिला देंगे। 

कपिल‌ मिश्रा कैसे इतना बड़ा नेता बना?

आखिर ये कपिल मिश्रा है कौन? क्या कपिल मिश्रा इतना बड़ा नेता है कि उसके एक इशारे पर हिन्दू गोलबंद हो सकते हैं? कपिल मिश्रा ने अगस्त 2019 में ही बीजेपी ज्वाइन की थी।

आखिर 6 महीनों में ही वह इतना बड़ा नेता कैसे बना कि भड़काऊ भाषण देते समय दिल्ली पुलिस के डीसीपी से विकेटकीपिंग करवा रहा था?

कपिल मिश्रा क्यों बन गए प्रेरणा

दिल्ली पुलिस की ही चार्जशीट के अनुसार, एक व्हाट्सएप ग्रुप था जिसमें मुसलमानों को मारने की योजना बनाई जा रही थी। उस ग्रुप में कई बार यह लिखा गया कि उन्हें कपिल भैया की बात सुननी चाहिए और उस पर अमल भी करना चाहिए। इससे साफ है कि कपिल मिश्रा उनकी प्रेरणा थे।

सोचिए उन विराट हिन्दुओं को कितना बड़ा झटका लगेगा जब उन्हें पता चलेगा कि बस चार साल पहले उनके कपिल भैया उनके पिता तुल्य शख्सियत को आईएसआई एजेंट कह रहे थे। कपिल भैया को ऐसा नहीं कहना चाहिए था। अपने हिन्दू भाइयों की भावनाओं का थोड़ा तो ख्याल कर लेते वह।

विराट हिन्दुओं का दिल भी इतना विराट है

हमारे विराट हिन्दुओं का दिल बड़ा विराट है कि उन्होंने कपिल मिश्रा के इस पाप को क्षमा करके उसे अपना नेता बना लिया। धिक्कार है ऐसे हिन्दुओं पर जो अपने पिता का इतना बड़ा अपमान बर्दाश्त कर जाए। इससे साफ है कि उनमें रैडिकलाइज़ेशन का स्तर इस हद तक बढ़ चुका है कि वे किसी को भी अपना नेता मान लेंगे जो मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगलेगा।

इसके लिए वे अपने सारे सिद्धांत दांव पर लगा देंगे। उनमें एक प्रकार की डेस्परेशन है। एक ऐसा नेता ढूंढने की जो खुलकर मुसलमानों को मारने की बात करे। वो उन्हें गारंटी दे कि वो उनके साथ खड़ा रहेगा।

दिल्ली बीजेपी के शीर्ष नेता खुलकर यह कह नहीं पाते। इसलिए यह भरोसा उनको कपिल भैया से मिला कि वह मुसलमानों के खिलाफ उनकी नफरत को अंजाम तक पहुंचाने में उनका नेतृत्व करेंगे।

एक सत्य यह भी

पीआर में पैसा फूंककर मोदी की तस्वीर आगे करके “सबका साथ सबका विकास” चिल्लाने वाली बीजेपी को कपिल मिश्रा से बेहतर कोई एक्सपोज़ नहीं कर सकता है। मतलब, एक ऐसा आदमी भी बीजेपी में शीर्ष पर पहुंच सकता है जो उनके पिता तुल्य शख्सियत को आईएसआई एजेंट बोले और वह भी बस पांच महीनों में ही हिन्दू हृदय सम्राट बन सकता है अगर मुसलमानों के खिलाफ‌ ज़हर उगले।

दिल्ली पुलिस की किसी चार्जशीट में कपिल मिश्रा का ज़िक्र तक नहीं है। शायद आगे भी नहीं होगा। अब तो कपिल मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग करते हुए हम ऐसे लगते हैं जैसे दीवार के आगे चिल्ला रहे हैं।

उम्मीद है एक दिन यह दीवार टूटेगी और इतिहास की किताबों तक हमारी आवाज़ पहुंचेगी ताकि कपिल मिश्रा का नाम एक आतंकी के रूप में दर्ज़ हो सके।

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