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सरकार के बड़े-बड़े दावों के बावजूद क्यों काबू में नहीं आ रहा है कोरोना?

देश भर में तेज़ी से फैलते कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के बीच सरकार की तैयारी और उसकी सतर्कता सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसे में, जब संक्रमण के मामले 11 लाख से अधिक भी अधिक हो गए हों तब थोड़ी-सी भी चूक अधिक मुश्किल खड़ी कर सकती है।

गौरतलब है कि पिछले 24 घंटे में देशभर में कोरोना संक्रमण के 37,148 नए मामले मिले हैं जब कि 596 लोगों ने इस वायरस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा दी है।

कोरोना के बाद एम्स दिल्ली की तस्वीर, तस्वीर साभार: गेटी इमेजेज

दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि ऐसी भयावह परिस्थितियों में भी सरकार ने कुछ बेहद ही ज़रूरी बातों को नज़रअंदाज़ किया है और लगातार कर रही है। कुछ ऐसे ज़रूरी पहलू हैं जिन पर इस संकट के दौर में सरकार का ध्यान देना नितांत आवश्यक है लेकिन सरकार लगातार चूकती हुई दिखाई दे रही है।

भक्त ही नहीं रहेंगे तो क्या करेंगे भगवान

भारत एक ऐसा देश है जहां धर्म को सबसे संवेदनशील विषय कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। दशकों से चले आ रहे आयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद का निपटारा होने के बाद मंदिर बनने की राह साफ हो गई है। ऐसे में, आगामी 5 अगस्त को मंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

साथ ही यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो सकते हैं। एक ओर जहां उचित स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए पीएम केयर फंड के तहत जनता से सहयोग करने की अपील की गई थी। वहीं, दूसरी ओर मंदिर के नाम पर यह कहना है कि मंदिर के निर्माण में धन की कोई कमी नहीं होगी। कहाँ तक उचित है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तस्वीर साभार: गेटी इमेजेज

साथ ही यदि मंदिर शिलान्यास के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री पहुंचते हैं, तो पंद्रह दिन पहले से ही सरकारी महकमे को तैयारी करनी पड़ेगी। जिस देश की अर्थव्यवस्था संकटग्रस्त है। लोगों के पास रोज़गार नहीं है उस देश में इतने गंभीर संकट के दौर में भगवान के नाम पर दिखावा करना कितना न्याय संगत है?

बाढ़ के बाद की स्थिति से निपटने के लिए अभी से ध्यान देने की ज़रूरत

इस वक्त असम और बिहार भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। असम के मुख्यमंत्री सर्वांदन सोनवाल के अनुसार असम में इस बाढ़ से करीब 70 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। जिनमें बहुत से लोग बेघर हो गए हैं और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 105 लोगों की बाढ़ के कारण मौत भी हो चुकी है।

इतनी विशाल बाढ़ को भी मुख्यधारा की मीडिया सही से रिपोर्ट नहीं कर रही है। साथ ही सरकार की ओर से भी इस विषय पर कोई बड़ी घोषणा करने की कोई खबर अब तक सामने नहीं आई है।

असम में बाढ़ के बाद की तस्वीर

पहले से देश भर फैले कोरोना वायरस के कहर के बीच इस बाढ़ ने इन दोनों राज्यों की मुसीबतों को बढ़ा दिया है। बाढ़ के दौरान लोगों को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, वह तो चिंता का विषय हैं ही लेकिन बाढ़ के बाद परिस्थितियों के और ज़्यादा खराब होने की आशंका है, क्योंकि बाढ़ के बाद फैली गंदगी से बीमारियों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है।

बाढ़ राहत कैंप में लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना, उन्हें उचित चिकित्सकीय सुविधाएं देना यह सभी कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण हैं। ऐसे में, सरकार को इससे निपटने के लिए पहले से एक रणनीति के तहत काम करने की ज़रूरत है लेकिन सरकार इस विषय पर पूरी तरह आंख मूंदे दिखाई दे रही है।

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