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उज्जैन की भस्म आरती में उड़ गई सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां?

27 जुलाई 2020, सावन का चौथा सोमवार। भक्त भगवान भोले नाथ कि पूजा के लिए पहुंच रहे थे। मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्तिथ ‘महाकालेश्वर मंदिर’ देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से उज्जैन का ज्योतिर्लिंग सबसे ज़्यादा महत्व रखता है।

यहां भोर के समय चार बजे भस्म आरती का आयोजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है। अत्यंत मनोहारी दृश्य की छटा भस्म के धुएं में अतिशयोक्ति मालूम पड़ती है। ऐसा लगता है मानो भगवान शिव के साक्षात दर्शन हो रहे हैं।

महाकालेश्वर मंदिर, तस्वीर साभार: गेटी इमेजेज

माना जाता है कि भगवान शिव को सावन मास सबसे अधिक पसंद है और इस वर्ष का सावन पूरे 300 साल बाद इस संयोग में आया है। कोरोना काल के दौरान जून में ही मंदिर समिति ने फैसला लिया था कि इस बार भस्म आरती ऑनलाइन करवाई जाएगी। मगर यह घोषणा सिर्फ घोषणा बन कर ही रह गई।

सभी जानते हैं कि कोरोना का प्रकोप अभी समाप्त नहीं हुआ है। ऐसे में, आम जनता को सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखना बहुत ही ज़रूरी है। मगर दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इस समय मंदिर में जो भीड़ दर्शन के लिए उमड़ी उसकी कोई सीमा नहीं थी।

प्रशासन को होना होगा चौकन्ना और सतर्क

देश में कोरोना काल में कितनी ही जानें चली गईं हैं। बावजूद इसके सभी श्रद्धालुओं को नियमित दर्शन करने की छूट दी जा रही है, जो आगे चलकर खतरनाक साबित हो सकती है। हालांकि मंदिर समिति ने केवल मध्यप्रदेश के श्रद्धालुओं को दर्शन करने की इजाज़त दी है। बाहरी लोगों को किसी भी कीमत पर दर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई है।

वहीं, बात करें उज्जैन में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की, तो लगातार उसमें वृद्धि देखी जा रही है। 27 जुलाई 2020 तक उज्जैन में 1,141 मरीज़ हैं जो एक्टिव केस में गिने जा रहे हैं जबकि 73 लोगों को कोरोना मौत के घाट पर उतार चुका है। स्तिथि बिगड़ती ही जा रही है। राज्य में मुख्यमंत्री भी कोरोना की चपेट में आने के कारण हॉस्पिटल में भर्ती हैं।

ऐसे में, प्रशासन को एक नई रूपरेखा के तहत श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए निमंत्रण देना चाहिए था। एक नीति बनाई जानी चाहिए जिसके अंतर्गत कोरोना से बचने के हर उपायों का उपयोग होना चाहिए। यह एक बहुत बड़ी लापरवाही मानी जा रही है।

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