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एक पडताल:क्या मोदी सरकार छात्र विरोधी है ?

कोरोना वायरस के हवाले से संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) और राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) को स्थगित करने की याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से खारिज़ होने के बाद भी इनके आयोजन पर सवालिया निशान लगा हुआ है।

इसका कारण कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र विभिन्न वर्गों का अलग-अलग नज़रिया है। एक तरफ इसे छात्रों के भविष्य के लिए ज़रूरी बताया जा रहा है, तो दूसरी तरफ इसके विरोधी आपदा में स्टूडेंट्स की मुश्किलों का हवाला देकर इसे रुकवाने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं। इस मामले में राजनीति भी ज़ोर पकड़ रही है।

इन दोनों परीक्षाओं को लेकर स्टूडेंट्स की राय बंटी हुई है। बिहार, असम जैसे बाढ़ प्रभावित राज्यों के स्टूडेंट्स इन परीक्षाओं में शामिल होने की राह में मुश्किलें गिना रहे हैं। हालांकि, उन छात्रों की संख्या बहुत बड़ी है जो चाहते हैं कि अब जेईई और नीट की परीक्षाएं नहीं टलें, क्योंकि वायरस के कारण इनमें पहले से ही विलंब हो चुका है।

उनका कहना है कि अगर परीक्षाएं नहीं हुईं तो उनका एक वर्ष बेकार हो जाएगा। उनका कहना है कि परीक्षा को लेकर काफी तनाव होता है और परीक्षाएं स्थगित हुईं तो उनका तनाव लंबे समय तक बरकरार रहेगा जो उनके लिए उचित नहीं होगा। तमिलनाडु में तो नीट परीक्षा के डर से एक छात्रा ने अपने घर पर ही आत्महत्या कर ली।

कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण नीट और जेईई एग्जाम रद्द को लेकर पूरे देश में विरोध शुरू हो गया है। वहीं, कांग्रेस पार्टी की बैठक में सात राज्यों के सीएम ने इस मामले को कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। जेईई और नीट एग्जाम का एडमिट कार्ड भी आ गया है।

इसी बीच भारत और विदेशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 150 से अधिक शिक्षाविदों (प्रोफेसर्स) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई (मुख्य) और नीट में यदि और देरी हुई, तो छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा।

बढ़ते कोविड-19 मामलों के मद्देनज़र सितंबर में इन परीक्षाओं के आयोजन के खिलाफ हो रहे विरोध का उल्लेख करते हुए शिक्षाविदों ने अपने पत्र में कहा, कुछ लोग अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों के भविष्य के साथ खेलने की कोशिश कर रहे हैं।

पत्र में कहा गया कि युवा और छात्र राष्ट्र का भविष्य हैं लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण, उनके करियर पर अनिश्चितताओं के बादल छा गए हैं। प्रवेश और कक्षाओं के बारे में बहुत सारी आशंकाएं हैं, जिन्हें जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता है। पत्र में कहा गया है कि हर साल की तरह इस साल भी लाखों छात्रों ने अपनी कक्षा 12 की परीक्षाएं दी हैं और अब प्रवेश परीक्षाओं का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।

पत्र में कहा गया है कि सरकार ने जेईई (मुख्य) और नीट की तारीखों की घोषणा की है। परीक्षा आयोजित करने में किसी भी तरह की देरी से छात्रों का कीमती वर्ष बर्बाद हो जाएगा।

हमारे युवाओं और छात्रों के सपनों और भविष्य के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कुछ लोग बस अपने राजनीतिक एजेंडे को चलाने और सरकार का विरोध करने के लिए हमारे छात्रों के भविष्य के साथ खेलने की कोशिश कर रहे हैं।

हस्ताक्षरकर्ताओं में दिल्ली विश्वविद्यालय, इग्नू, लखनऊ विश्वविद्यालय, जेएनयू, बीएचयू, आईआईटी दिल्ली और लंदन विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ यरुशलम और इज़राइल के बेन गुरियन विश्वविद्यालय के भारतीय शिक्षाविद शामिल हैं।

उन्होंने कहा, हम मानते हैं कि केंद्र सरकार पूरी सावधानी बरतते हुए जेईई और नीट परीक्षाएं आयोजित कर लेगी, ताकि छात्रों के भविष्य का ध्यान रखा जा सके और 2020-21 के लिए अकादमिक कैलेंडर तैयार किया जा सके।

तो वहीं दूसरी ओर भारत में विपक्ष शासित प्रदेशों के सात मुख्यमंत्रियों ने संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। द्रमुक और आम आदमी पार्टी ने भी कोरोना संकट के समय इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग का समर्थन किया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ वर्चुअल मीटिंग में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि इन परीक्षाओं को रोकने के लिए राज्यों को उच्चतम न्यायालय का रुख करना चाहिए।

हालांकि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि न्यायालय जाने से पहले मुख्यमंत्रियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर परीक्षाओं को टालने की मांग करनी चाहिए।

तो वहीं दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा, ‘तमाम ऐहतियाती कदम उठाने के बावजूद बहुत सारे शीर्ष नेता संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में हम 28 लाख छात्रों को परीक्षा केन्द्र भेजने का जोखिम कैसे उठा सकते हैं? और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे इसकी चपेट में नहीं आएंगे।’ द्रमुक के मुखिया एम. के. स्टालिन ने इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग करते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार को इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का रुख करना चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी भी जेईई और नीट परीक्षाओं का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दोनों परीक्षाओं को दिवाली तक स्थगित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की है। उन्होंने चेताया है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो विद्यार्थी आत्महत्या का रास्ता अपनाएंगे।

मोदी को लिखे अपने महत्वपूर्ण पत्र में स्वामी ने कहा, ‘मेरी राय में परीक्षा आयोजित करने से देश भर के युवाओं द्वारा बड़ी संख्या में आत्महत्याएं की जा सकती हैं।’ इससे पहले बीजेपी सांसद स्वामी ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल से भी परीक्षाएं स्थगित करने का आग्रह किया था। उन्होंने इसका जिक्र करते हुए पत्र में कहा कि दिवाली तक परीक्षाएं स्थगित करने के सुझाव के प्रति पोखरियाल को भी सहानुभूति है। उन्होंने कहा कि हालांकि इसे प्रधानमंत्री की सहमति की जरूरत है।

लेकिन एनटीए के महानिदेशक विनीत जोशी का कहना है कि- ‘जेईई परीक्षा कंप्यूटर पर होती हैं। यहां दो कंप्यूटर के बीच 1 मीटर की दूरी है लेकिन इसके बाद भी हमने ऑड-इवन की व्यवस्था की है। दो शिफ्ट में परीक्षा होगी। सुबह की शिफ्ट में छात्र ऑड नंबर वाले कंप्यूटर और शाम की शिफ्ट में इवन नंबर वाले कंप्यूटर पर बैठकर परीक्षा देंगे।’ जोशी ने कहा, ‘जिन छात्रों को विश्वास नहीं हो पा रहा है, उन बच्चों को मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि परीक्षा के दौरान पूरी सावधानी बरती जाएगी। बचाव का पूरा ध्यान रखा जाएगा। निर्णय हुआ है कि एक कक्षा में 12 से अधिक छात्र नहीं होंगे। इसके लिए परीक्षा केंद्रों को बढ़ाया गया है। हालांकि किसी बड़े सेंटर को बहुत बड़ा भी नहीं कर सकते, क्योंकि भीड़ को इकट्ठा होने से भी रोकना है।

नैशनल टेस्टिंग एजेंसी ने ये सुनिश्चित किया है कि 99 प्रतिशत से अधिक उम्मीदवारों को उनकी पसंद के परीक्षा केंद्र मिले। इन परीक्षाओं के लिए छात्रों को उनकी पसंद एवं घरों के नजदीक परीक्षा केंद्र चुनने का विकल्प दिया गया था। छात्रों को वरीयता क्रम के हिसाब से परीक्षा केंद्रों के विकल्प को चुनना था।
एनटीए के मुताबिक 99 फीसदी छात्रों को उनकी पहली पसंद के आधार पर परीक्षा केंद्र आवंटित किए गए हैं। विनीत जोशी ने परीक्षाओं के विषय में जानकारी देते हुए कहा, ‘जेईई परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या भी 570 से बढ़ाकर 660 कर दी गई है। वहीं नीट के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या 2546 से बढ़ाकर 3843 की गई है।’ नीट और जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में 27 लाख से अधिक छात्रों को अपनी पसंद का परीक्षा केंद्र चुनने का अवसर दिया गया है।

आपको बता दूं कि देश की सर्वोच्च अदालत ने दोनों परीक्षाओं को रोकने की मांग वाली याचिका पर फैसला देते हुए कहा कि वायरस के प्रकोप के बावजूद जीवन गुजर रहा है और सितंबर में नैशनल टेस्टिंग एजेंसी के फैसले में दखल देकर वह छात्रों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकता है।
कोरोना वायरस के चलते नीट और जेईई मेन परीक्षाओं को दो बार स्थगित किया जा चुका है। पहले ये परीक्षाएं मई में होनी थीं, जिन्हें बाद में जुलाई में करवाने का फैसला किया गया। हालांकि संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर नीट और जेईई मेन की परीक्षाएं सितंबर में कराने का फैसला किया गया।
अब जेईई मेन की परीक्षाएं 1 से 6 सितंबर और नीट की परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित की जानी है।

तो वहीं कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने जेईई और नीट परीक्षाओं के आयोजन के विरोध में बुधवार को अनिश्चितकाल सत्याग्रह शुरू कर दिया। एनएसयूआई की मांग है कि वर्तमान समय मे इन परीक्षाओं का होना सही नहीं है। एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में ये विरोध हो रहा है, वहीं एनएसयूआई के कई अन्य कार्यकर्ता भी उनके समर्थन में दिल्ली स्थित शास्त्री भवन पर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं।

– लेखक

शिव चौधरी

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