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पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी का संदिग्ध परिस्थितियों में निधन…. अथवा संस्थागत हत्या..

अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनमोहन शाह बट्टी का संदिग्ध परिस्थितियों में निधन…. अथवा हत्या….गोंडवाना आंदोलन को क्षति………

    स्मृति शेष ……..

. सक्रिय साथी अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक एवं अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनमोहन शाह बट्टी के दुखद निधन का समाचार 02/08/2020 को प्राप्त हुआ मनमोहन शाह बट्टी मेरे अच्छे मित्रों में शुमार रहे है गोंडवाना आंदोलन को छिन्दवाड़ा से पूरे मध्यप्रदेश में पहुँचाने वाले सक्रिय इस आदिवासी साथी के संबंध मे प्राप्त जानकारी के अनुसार मनमोहन शाह बट्टी कोरोना संक्रमण के चलते भोपाल के चिरायु अस्पताल में इलाज रत थे अचानक 02/08/2020 को दोपहर में आर्ट अटैक आने से उनकी मृत्यु हो गई जैसे ही यह समाचार लोगो तक पहुंचा हर कोई स्तब्ध  हो गया सहसा किसी को यह विश्वास नहीं हो रहा था की आखिर यह कैसे हुआ ज्ञात हो श्री बट्टी के चिरायु हॉस्पिटल मे भर्ती होने की खबर देश एवं प्रदेश के उनके किसी भी शुभ चिंतको पार्टी कार्यकर्ताओ यहां तक की मुझे भी इस आशय की जानकारी नहीं थी  मनमोहन शाह बट्टी के निधन गोंडवाना आंदोलन के लिए अपूर्णीय क्षति है मध्यप्रदेश में गोंडवाना आंदोलन को गति देने वाले ऊर्जावान आदिवासी नेता का कोई दूसरा विकल्प नहीं है जल जंगल जमीन के मुद्दों पर लगातार संघर्ष करने वाले सक्रिय आदिवासी नेता मनमोहन शाह बट्टी की लोकप्रियता छत्तीसगढ़ राजस्थान दिल्ली हरियाणा एवं अन्य प्रदेशों में थी हाल ही में इस कोरोना काल में उन्होंने अपने पार्टी के विस्तार के लिए लगातार मेहनत की है और पार्टी का विस्तार मध्य प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में बहुत तेजी से किया प्रतिदिन लगातार विभिन्न प्रदेशों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्तियां एवं अन्य इकाइयों की नियुक्तियां उनके द्वारा की जाती रही जिसकी जानकारी फेसबुक एवं सोशल मीडिया के माध्यम से उनके साथियों को प्राप्त होती रही मनमोहन शाह बट्टी के निधन से गोंडवाना आंदोलन में शून्यता आना सुनिश्चित है आने वाले समय में मनमोहन शाह बट्टी जैसा नेता गोंडवाना को नेतृत्व देने के लिए मिल पाना असंभव है मनमोहन शाह बट्टी आदिवासियों के ऐसे लोकप्रिय नेता थे उनको सुनने जन सैलाब उमड़ पड़ता था किसी भी पार्टी के नेता में या सत्तारूढ़ दल के किसी भी नेता में मनमोहन शाह बट्टी जैसी क्षमता नहीं है इस आदिवासी नेता के मात्र 24 घंटे के कॉल पर 10000 आदिवासियों का आंदोलन में पहुंच जाना  बहुत ही मामूली बात थी सबसे ताज्जुब की बात तो यह है मनमोहन शाह बट्टी के समर्थक आदिवासी स्वयं के खर्चे पर अपने इस लोकप्रिय नेता के लिए खड़े हो जाते थे अपने समर्थकों के लिए 24 घंटे सक्रीय रहने इस आदिवासी नेता ने अपनी एक अलग पहचान बनाई बेशक मध्यप्रदेश में किसी भी दल में मनमोहन शाह बट्टी जैसा ऊर्जावान और चमत्कारी नेता नहीं हैजल जंगल ज़मीन और पांचवी एवं छटी अनुसूची लागु करवाने एवं गोंडी भाषा को दर्जा दिए जाने के मामले में वह सबसे ज्यादा मुखर थे इस चमत्कारी नेता ने आदिवासियों के बीच ना केवळ अपनी लोकप्रिय छबि बनायीं बल्कि आदिवासियों के हर मुद्दे को पूरी ताकत के साथ विधान सभा मे उठाने का काम पूरी ईमानदारी के साथ किया बट्टी निश्चित रूप से एक पारदर्शी नेता थे अपने हर कार्यकर्त्ता के दुःख तकलीफ मे उसके साथ खड़े रहते थे हाल ही मे उन्होंने अपनी पार्टी के विस्तार के चले विभिन्न प्रदेशो मे प्रदेश अधयक्षो की नियुक्तियां की थी छिंदवाड़ा जिले के तत्कालीन सांसद और तत्कालीन मुख्यमंत्री के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़कर उन्होंने इस मिथक को तोडा की कोई भी कमलनाथ को चुनौती नहीं दे सकता  सीमित साधनों के बल पर बड़ी बड़ी रैलियां करना और आदिवासियों की समस्याओं के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री एवं जिले के कलेक्टरों को समस्याओं के निदान के लिए पत्राचार करने का काम निरंतर करने वाला यह नेता काल के क्रूर गाल में समा गया बेशक हम सभी जन आंदोलनों के साथियों के लिए यह अपूर्णनिय क्षति है समान विचारधारा वाले जन संगठनों और तीसरे मोर्चे के राजनीतिक दलों के साथ मनमोहन शाह बट्टी के मधुर संपर्क रहे

तीसरे मोर्चे के हर नेता को पूरा सम्मान देना इस नेता की फितरत थी छात्र राजनीति से चलते हुए गोंडवाना आंदोलन को गति दे कर अमरवाड़ाविधानसभा क्षेत्र का विधायक निर्वाचित होना किसी जादू से कम नहीं था जब उन्होंने मध्यप्रदेश के कद्दावर स्वास्थ्य मंत्री प्रेम नारायण ठाकुर को हराकर जीत हासिल की थी स्व.मनमोहन शाह बट्टी की चिरायु अस्पताल भोपाल में चिकित्सा के दौरान संदिग्ध परिस्थिति में हुई मृत्यु की न्यायिक जांच  करने की मांग अब तेज होती जा रही है क्योंकि जिन परिस्थितियों मे उन्हें चिरायु हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा मृत घोषित किया गया उस सवालिया निशान इस कारण से भी लग रहे है क्योंकि मनमोहन शाह बट्टी कोई आम नागरिक नहीं बल्कि एक ताकतवर एवं सशक्त आदिवासी लीडर थे तीन दिनों तक चले इलाज के दौरान उनका हेल्थ बुलेटिन जारी नहीं जाना मिडिया रिपोर्ट्स मे इस बाबद कोई जानकारी नहीं होना डाक्टर द्वारा कार्डियक अटैक एवं कोरोना पॉजिटिव बताना मृत्यु के बाद मृत देह परिजनों को उनके गृह जिले छिंदवाड़ा नहीं ले जाने देकर भोपाल मे ही उनका अंतिम संस्कार कर देना यह सब किसी संदेहास्पद स्थिति को दर्शाता है साथ ही इलाज के दौरान कौन कौन से उनके टेस्ट हुए क्या दवाइया दी गयी इसकी कोई जानकारी नहीं देने से मामला गंभीर हो जाता है शंका यह जाहिर की जा रही है की यह साधारण मौत नहीं बल्कि संस्थागत हत्या है आदिवासीओ मे अपने लोकप्रिय नेता की मृत्यु पर भयानक आक्रोश है इस सम्बन्ध मे कांग्रेस भी अब मुखर हो चली है कांग्रेस के मनावर के विधायक एवं जयस नेता डाक्टर हीरालाल आलावा ने तो मुख्यमंत्री को सम्बोधित पत्र  लिखकर इस प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की है

वंही छिंदवाड़ा के कांग्रेस के 3 आदिवासी विधायकों ने भी प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है स्व.मनमोहन शाह बट्टी की चिरायु अस्पताल भोपाल में चिकित्सा के दौरान संदिग्ध परिस्थिति में हुई मृत्यु की न्यायिक जांच  करने की मांग के बिंदु इस प्रकार है

1-स्व.मनमोहन शाह बट्टी की चिरायु अस्पताल भोपाल में चिकित्सा के दौरान संदिग्ध परिस्थिति में हुई मृत्यु की न्यायिक जांच कराई जावे

2-चिरायु अस्पताल भोपाल में श्री बट्टी को किस चिकित्सक ने रेफर किया था तथा वहाँ उनकी कौन- कौन सी जांच की गयी एवं किस बीमारी का इलाज किया जा रहा था

3-स्व.मनमोहन शाह बट्टी देश के प्रसिद्द आदिवासी मुखर नेता थे उनके संक्रमित होने एवं चिरायु अस्पताल भोपाल में इलाज किये जाने की खबर किसी को भी नहीं होने एवं मिडिया में इस खबर को नहीं दिए जाने के पीछे क्या मंशा थी इसकी जांच की जावे

4-चिरायु अस्पताल भोपाल दवरा स्व.मनमोहन शाह बट्टी  के स्वास्थ्य सम्बन्धी बुलेटिन जारी नहीं करने एवं उनकी मृत्यु हार्टअटैक से बताने की जानकारी संदिग्ध प्रतीत होती है इसकी उच्च स्तरीय जांच की जावे

5-स्व.मनमोहन शाह बट्टी की जांच किस चिकित्सक द्वारा की गयी एवं इलाज के दौरान किये गए सभी परिक्षण एवं चिकित्सा रिपोर्ट भी सार्वजनिक की जावे एवं संदिग्ध मृत्यु की जांच की जावे

स्व.मनमोहन शाह बट्टी की मृत्यु पर उठाये जा रहे सवालों के चलते यह प्रकरण अब गंभीर हो चला है की उनके समर्थक एवं उनके शुभचिंतक यह माने को तैयार बिलकुल भी नहीं है की उनकी मौत स्वाभाविक है वह इसे संस्थागत हत्या मान रहे है

       छिंदवाड़ा जिले के तीसरे मोर्चे के साथियों के लिए इसलिए भी यह अपूर्ण क्षति है कि हाल ही में कुछ माह पूर्व कोयलांचल के सबसे सक्रिय लाल झंडा कोल माइंस मजदूर यूनियन के संघर्षशील साथी कामरेड पी के मूर्ति का निधन भी मार्च महीने में लॉक डाउन लगने के 2दिन बाद हुआ जो जनांदोलनों के सबसे ज्यादा सक्रीय नेता थे हुआ है और अब आदिवासी ऊर्जावान नेता मनमोहन शाह बट्टी का अचानक चले जाना निश्चित रूप से बहुत बड़ी क्षति है जिले के जन आंदोलनों के इस संघर्षशील साथी को हिंद मजदूर किसान पंचायत आजादी बचाओ आंदोलन जन संघर्ष मोर्चा राष्ट्रीय गोंडवाना किसान मजदूर पंचायत जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय ,किसान संघर्ष समिति ,अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति सहित सेकड़ो जनसंगठनों ने अपने इस प्रिय साथी को भावभीनी श्रद्धांजलि इस शब्दों के साथ दी है

साथी तेरे सपनों को मंजिल तक पहुंचाएंगे…… इंकलाब जिंदाबाद…..

डीकेप्रजापति
महासचिव

हिंद मजदूर किसान पंचायत
मध्य प्रदेश

9425146513

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