Site icon Youth Ki Awaaz

चेन्नई पोर्ट पर रखे 740 टन अमोनियम नाइट्रेट के डिस्पोजल में क्यों देरी कर रही कस्टम विभाग

लेबनान की राजधानी बेरुत में कई सालों से रखे अमोनियम नाइट्रेट के विस्फोट में 130 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और 5000 से अधिक लोग घायल हैं। साल 2013 में अफ्रीकी देश मोजांबिक ले जा रहे एक जहाज में 2740 टन अमोनियम नाइट्रेट को बेरुत पोर्ट पर कस्टम विभाग ने जब्त कर लिया। इस दुखद हादसे के बाद लेबनान के लोगों के आरोप हैं सरकारी एजेंसियों और कस्टम विभाग ने इस घटना को कई सालों  तक नजरअंदाज किया।

इस विस्फोट ने पूरे विश्व भर में सरकारी एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। करीब 5 साल पहले चेन्नई एयरपोर्ट पर भी कस्टम विभाग ने 740 टन अमोनियम नाइट्रेट जब्त किया था। आरोप है कि अमन केमिकल्स नामक एक कंपनी ने दक्षिण कोरिया से 37 कंटेनर अमोनियम नाइट्रेट आयात किए थे। कंपनी के पास लाइसेंस नहीं था, इसीलिए कस्टम विभाग ने जब्त कर लिया।  अब सबसे बड़ा सवाल यही है इतने सालों में इस कारगो को हटाया क्यों नहीं क्या?
आखिर संबंधित बंदरगाह अधिकारी अब भी यह क्यों कह रहे हैं कि ई नीलामी के तहत इसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा?

चेन्नई कस्टम विभाग कह रही है यह कंसाइनमेंट फ्रेट स्टेशन ( CFS) है, जो शहर से 20 किलोमीटर दूर है। और इसके 2 किलोमीटर के आसपास के इलाके में कोई आवासीय परिसर नहीं है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए बेरुत पोर्ट पर जब धमाका  हुआ तो इसकी गरज कई सौ किलोमीटर तक महसूस की गई। घरों के खिड़की, दरवाजे और गाड़ियों के शीशे तक चकनाचूर हो गए। 20 लाख आबादी वाले शहर में करीब 3 लाख लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर हो गए।
रिएक्टर स्केल भी इस धमाके से उत्पन्न हुए भूकंप की तीव्रता 3.3 मापी गई।

साल 2011 की जनगणना के अनुसार चेन्नई की आबादी करीब 71 लाख के करीब है। बेरुत की आबादी से करीब 3 गुना से भी अधिक आबादी वाले इस शहर को सुरक्षित रखने के लिए इस कार्गो को जल्द से जल्द हटाना जरूरी है। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर चेन्नई के फ्रेट स्टेशन पर अमोनियम नाइट्रेट रखे गए हैं। यह इलाका न केवल सघन आबादी वाला है बल्कि वहां बड़ी बड़ी संख्या में बिजली संयंत्र व केमिकल फैक्ट्रीयां भी हैं।   ऐसे में अब अब जल्द से जल्द नीलामी की प्रक्रिया पूरी कर ऐसे संवेदनशील रासायनिक पदार्थ को हटाना चाहिए।

Exit mobile version