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स्कूल-कॉलेजों से भेदभाव कैसे खत्म करें ?

  1.         जातीय श्रेष्ठता के झूठे दंभ के कारण भारतीय समाज के निचले तबके के विरूद्ध शोषण तथा उत्पीड़न की  घटनाएं अक्सर होती ही रहती हैं। स्कूल- कालेज भी ऐसी घटनाओं से अछूते नहीं हैं।सदियों से पिछाड़े गए समाज के इस तबके को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के प्रयास के क्रम में इन्हे प्रदान की गई संवैधानिक सुविधाओं को तथाकथित सवर्ण वर्ग आसानी से पचा नही पा रहा है।इसीलिए मेरिट एवं समानता के नाम पर इन सुविधाओं को समूल नष्ट करने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहता है।अनुसूचित जाति/जन जाति के मेधावी विद्यार्थियों को उनकी योग्यता के बाबजूद यथोचित सम्मान नहीं दिया जाता है तथा उन्हें प्रोत्साहित करने के बजाय येनकेन प्रकारेण हतोत्साहित कर मुख्यधारा से अलग करने का प्रयास किया जाता है।इसके विपरीत कम मेधा के सवर्ण छात्रों द्वारा डोनेशन अदाकर या अन्य आरक्षण का लाभ लेने के बाबजूद इस प्रकार के उत्पीड़न  की शिकार नहीं होना पड़ता।                                                    
  2.  इस प्रकार के  भेदभाव को समाप्त करने के लिए सर्वप्रथम जाति प्रथा जैसे नासूर को मनसा बाचा कर्मणा समूल नष्ट कर जाति विहीन समता मूलक समाज का निर्माण करना होगा तथा सरकारी शैक्षणिक संस्थानों को मूलभूत इन्फ्रास्ट्रक्चर से लैस कर,सभी के लिए सरकारी स्कूल / कालेजों के माध्यम से ही निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चत करनी  होगी ।समस्त नागरिकों के जीवन यापन के लिए मूलभूत सुविधाएं-खाना,कपड़ा और मकान की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।इन सबसे अधिक आवश्यक है कि एक-दूसरे के प्रति पूर्वधारणा(prejudice)को त्यागकर खुले मन से ऐसे बदलाव का स्वागत करते हुए प्रत्येक को अपनी सहभागिता देनी होगी। जय भारत
  3. आर.एस.विद्यार्थी, नोएडा
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