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क्या ओटीटी प्लेटफॉर्म्स सिर्फ सेक्स, एडल्ट टॉक और बोल्ड सीन्स में फंसते जा रहे हैं?

OTT Platforms

आजकल बॉलीवुड की फिल्मों और इंडियन टेलीविज़न के सीरिअल्स में बोल्ड सीन्स की बाढ़-सी आई हुई हैं। अब तो निर्माताओं को अपनी हर तरीके की सामग्री बेचने का नया फार्मूला जो मिल गया हैं कि अगर फिल्म या सीरियल के कहानी में कोई दम ना भी तो भी सेक्स सीन, बोल्ड सीन के सहारे उसकी टीआरपी बढ़कर लागत से ज़्यादा ही मुनाफा कमा लिया जाएगा।

पहले नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम पर अच्छी कहानी और गुणवत्ता वाली सीरीज़ देखने को मिली पर अब जो भी नई सीरीज़ आ रही हैं उसमें सिर्फ सेक्स, अडल्ट टॉक और बोल्ड सीन्स इससे ज़्यादा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है।

अब या तो निर्माताओं की पसंद बदल बदल गई जो घुमा-फिराकर वही कंटेंट बार-बार दोहराते हैं या फिर दर्शकों की पसंद बदल गई है जो सिर्फ वही देखना चाहते हैं।

सच क्या है?

वैसे तो कहने को हम भारतीय सेक्स से 100 कदम की दूरी पर रहते हैं लेकिन सबसे ज़्यादा पोर्न फिल्मों की नेट सर्फिंग यहीं की जाती है। हमें हर सीरियल, हर फिल्म में सेक्स का तड़का ज़रूर चाहिए। यहां तक की रोमांटिक गाने सेक्स, बोल्ड सीन के बिना कहा पूरे हो पाते हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर

बाकि बची हुई कसर भोजपुरी फिल्मों के गानों ने पूरी कर रखी हैं। जिसमे कई बार तो सीन्स के साथ कुछ ज़्यादा ही अच्छे शब्दों का प्रयोग भी हो जाता हैं जिससे सोने पर सुहागा होते देर नहीं लगती हैं।

तय करना होगा एक दायरा

एक तरफ हम ऐसी फिल्मों को जी भरके कोसते हैं कि यह सब देखकर देश में युवाओं और बच्चों की मानसिकता पर गहरा असर पड़ रहा है।

वहीं, दूसरी तरफ डी जे में बजते हुए अश्लील गानों पर हमारे कदम भी थिरकते हुए नहीं रुकते हैं। हम ना ना करते हुए भी अश्लीलता से भरी हुई फिल्में और गाने ज़्यादा पसंद करते हैं।

हॉलीवुड फिल्मों में कई बार सेक्स सीन और बोल्ड सीन यहां तक कि न्यूड सीन भी होते हैं (जो हमारे लिए हमेशा से सिर्फ सेक्ससिंबल की तरह रहे हैं) लेकिन वो इतने असहज नहीं लगते हैं, क्योंकि उन्होंने इसे बड़ी ही सरलता और एक सामान्य तौर पर अपनी फिल्मों में जगह दी होती है।

लेकिन इंडिया में तो पूरी कहानी को ताक पर रखकर दर्शकों तक सिर्फ उस 2 मिनट के या उससे भी कम समय के बोल्ड सीन को पोस्टर और टीवी विज्ञापनों के ज़रिए पहुंचाया जाता है।

सेक्स, बोल्ड सीन या फिर किसी भी तरह के एडल्ट मैटेरिअल को दिखाने या देखने में कोई बुराई नहीं हैं लेकिन इसे किस तरीके से दिखाया जा रहा हैं यह ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं। आजकल तो वैसे भी हर तरह का ज्ञान गूगल पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। अश्लीलता के बारे में हम सबको पता होता है लेकिन उसको परोसने की सीमाएं तय करनी होगी।

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