हमने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस मनाया है, यानी देश की आज़ादी का दिन। इसी दिन सन् 1947 को हमारा प्यारा हिंदुस्तान पूर्ण रूप से अंग्रेजों के नापाक चंगुल से छूटकर खुले हवा में सांस ले सका।
तब से अब तक हम सब भारतवासी इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। इस दिन हमारे देश के प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर से देश का आन बान और शान यानी तिरंगें झण्डे को फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं।
हम सब इस दिन अपने स्वतंत्रतता सेनानियों को याद करते हैं जिन्होंने अपने जान की आहुति देकर हमारे प्यारे हिंदुस्तान को आज़ाद करवाया। इन वीरों का बलिदान हम कभी नहीं भूल सकते। आज जिन खुली फिज़ाओं में हम खुल के ज़िंदगी का एक-एक पल गुज़ार रहें हैं, यह उन्हीं वीरों के बलिदान का फल है।
आज भी हमारे देश के वीर सरहदों की रखवाली के लिए 24 घंटें डटे हैं जिससे हम अपने घरों में आराम से चैन की नींद सो सकें और हमारे देश की तरफ कोई भी आंख उठाकर देखने की हिम्मत ना कर सके।
स्वतंत्रता दिवस की तैयारियां जो इससे पहले के सालों में होती रही थीं
जुलाई महीने की शुरुआत होते ही स्कूलों में शिक्षक और बच्चे मिलकर स्वतंत्रता दिवस के जश्न की तैयारी को लेकर बातें शुरू कर देते थे। 15 दिन बीत जाने के बाद स्वतंत्रता दिवस के करीब एक महीने पहले से बच्चों को प्रोग्राम के लिए तैयार करने का काम शुरू हो चुका होता था।
शिक्षकों, ट्रेनर्स और बच्चों के अथक प्रयास और मेहनत के बाद 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के जश्न को खूब धूमधाम से मनाने को लेकर तैयारियां पूरी कर ली जाती थी।
बच्चों की सुबह
15 अगस्त की सुबह सभी बच्चों और बड़ों की नींद अपने आप ही खुल जाती और सब अपने अपने तैयारियों में लग जाते थे। स्कूल के छोटे-छोटे प्यारे बच्चे अपने सफेद लिबास में माथे पर ‘I LOVE MY INDIA’, ‘भारत माता की जय’, ‘वन्दे मातरम्’ लिखा पट्टी बांधकर अपने कलाईयों में तिरंगा रिबन बांधे हाथों में तिरंगा लिए अपने अपने घरों से बड़े ही जोश-ओ-खरोश के साथ अपने स्कूलों की तरफ चल पड़ते थे।
हर तरफ जश्न का माहौल होता और चारों दिशाओं से देशप्रेम से लबरेज़ गानों की धुन सुनाई देती रहती थी। स्कूलों, कॉलेजों, निजी एवं सरकारी कार्यालयों में सभी जगह तिरंगा फहराया जाता और सभी लोग झण्डे को सलामी देते दिख रहे होते और फिर राष्ट्रगान के बाद आगे के कार्यक्रम की शुरुआत होती।
इस खुशी के मौके पर सभी जगह जलेबी बांटी जाती और हर कोई एक-दूसरे का मुंह मीठा कराने के साथ स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता दिख जाता।
मिठाईयों के दुकानों के अलावा हर चौक-चौराहों पर जलेबियों की दुकानें सज चुकी होती। सुबह से शाम तक हलवाई जलेबी बनाने में मशगुल है। आज़ादी के जश्न के मौके पर हर आम-ओ-खास आदमी जलेबी ज़रूर खाता है और घर जाते वक्त जलेबी घर ले जाना नहीं भूलता।
कोरोना काल में ऐसा कुछ भी नहीं हो सका
ऊपर जो कुछ भी मैंने लिखा अफसोस इस साल ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। शाम के वक्त मोहल्ले में ज़रूर कुछ बच्चे हाथों में तिरंगा लिए दिखाई पड़े। यह लेख मैंने दूसरे दिन इसीलिए लिए लिखा क्योंकि मैं इस कोरोना काल के 15 अगस्त को पहले देख लेना चाहता था, सब तरफ शांति ही लगी।
हर दिन की तरह यह दिन भी रहा सभी जगह तिरंगा ज़रूर लहराया गया लेकिन सिर्फ औपचारिकता ही होती दिखी। इसके अलावा कोई भी प्रोग्राम नहीं हो सका। अगर सोशल मीडिया पर लोगों के सन्देश ना आते, तो लगता ही नहीं कि आज स्वतंत्रता दिवस भी है।
कोरोना ने कर दिया है मज़बूर
ये सब इसलिए हुआ क्योंकि आज हम सब कोरोना काल में जीने को मज़बूर हैं। पांच महीने होने को है पूरे विश्व के साथ-साथ हम भारतीय भी घरों के अन्दर ही रहने को मजबूर हैं। वक्त-बे-वक्त डर के साए के साथ अपनी मूलभूत ज़रूरतों के लिए ही घरों से बाहर निकल रहे हैं।
पूरे विश्व में कोरोना ने हाहाकार मचा रखा है। इस साल की शुरूआत से ही पूरी दुनिया इस महामारी से परेशान है और आगे क्या होगा किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है। हमसब की ईश्वर से यही प्रार्थना है कि जल्द से जल्द इस महामारी से निजात दिलाए, जिससे हम फिर से पहले की तरह खुली हवा में सांस ले सकें।