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“काश देश के बेरोज़गारों की किस्मत प्रधानमंत्री आवास वाले मोर जैसी होती”

बधाई! बधाई! सरकार महामारी में बेरोज़गारों के लिए बेरोज़गारी भत्ते की स्कीम ला रही है। इस स्कीम का फायदा सिर्फ उन लोगों को ही होगा जिनके ऑफिस में कामगारों की ताकत कम-से-कम 10 से 15 लोगों की हो।

सिर्फ यही लोग इस बेरोज़गारी भत्ते का फायदा उठा पाएंगे मगर उनका क्या जो इस भत्ते के लिए बने निर्देशों के आस-पास भी नहीं ठहर रहें हैं, उनके लिए सरकार क्या सोच रही है?

क्या वाकई में सरकार जानती भी है कि देश में कितने बेरोज़गार हैं? 

कितने लोग कोरोना महामारी की मार के चलते अपनी अच्छी खासी नौकरियों से हाथ धो बैठे हैं। इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जिन्हें अपने घर की गाड़ी या अन्य किसी भी तरह के लिए बैकों से ली गई ईएमआई देना है।

शुरुआती समय में सरकार ने लॉकडाउन के कारण ईएमआई को थोड़ा रोका मगर अब नहीं, क्योंकि सरकार का मानना है कि अनलॉक की प्रकिया के चलते अब देश आर्थिक गतिविधियों के अंतर्गत आगे बढ़ रहा है।

हमारी जीडीपी अप्रैल 2020 से लेकर तीन महीने तक बेहतर हुई मगर कितनी यह नहीं पता! क्योंकि यह सब सरकारी फाइलों और उनके कंप्यूटर में बंद है।

देश के सत्ताधारियों को आकंड़ों से कुछ लगाव नहीं

बेरोज़गार युवा
प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

देश के सत्ताधारियों को इन आकंड़ों से कुछ लगाव नहीं है और ना ही उनसे जो कर्ज़ और इएमआई को ना चुकाने के लिए खुदकुशी तक के कदम उठाने की सोच रहे हैं। हमारे आलाकमान कभी पैकैज, कभी भत्ते जैसे जुमले दे देते हैं, क्योंकि उनके लिए बेरोज़गार केवल मज़दूर वर्ग हुआ, जिसने अपनी कर्मभूमि से पलायन किया है।

मगर नौकरीपेशा व्यक्ति का क्या? जो पढ़-लिखकर अपने भविष्य को बनाने के लिए उच्च शिक्षण संस्थान से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अपने सपनों को पंख देने के लिए एक नामी-गिरामी बहुउद्देशीय कंपनी में काम करने पहुंचते हैं। उनके सपने पूरा होने से पहले ही धूमिल हो जाते हैं।

इस कोरोना काल में नौकरी गंवाने वालों का आकंड़ा जितना भी भयावह हो, जिस अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार यह दंभ भर रही थी कि देश की सकल घरेलू उत्पाद यानि GDP अप्रैल माह के मुकाबले बेहतर हुई मगर सरकार के तीन माह पहले लॉन्च किए जॉब पोर्टल ने इसकी सच्चाई भी बाहर लाकर रख दी है।

वास्तविक तौर पर सरकार के आंकड़ों पर निगाह डालें तो 11 जुलाई 2020 को कोरोना प्रभावित बेरोज़गार लोगों ने इस जॉब पोर्टल के लॉन्च होने के महज़ 40 दिनों के अंदर ही करीब 69 लाख बेरोज़गार लोगों ने अपना राजिस्ट्रेशन करवाया।

इस पोर्टल का नाम #ASEEM है, जिस पर 40 दिनों में 69 लाख लोगों का रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद अब तक इस पोर्टल पर महज़ 2 फीसदी बोरज़गारों को जॉब मिल पाई है। इस आंकड़े से आप खुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जितना ध्यान सरकार मोर को दाना खिलाने, चाइना को शिकस्त देने, पाकिस्तान की किरकिरी करने में लगा रही है, उतनी मुस्तैदी से अगर वह इन आंकड़ों पर भी ध्यान देती तो यह सूरत-ए-हाल ना होता।

बहरहाल, हमारी सरकार तो मोर-मोर कर रही है मगर उस मोर की तरह देश के हर उस बेरोज़गार की किस्मत खुशनसीब कहां, जिसे पीएम के प्रांगण में आने पर दाना अपने आप थाली में रखा नसीब हो।

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