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कभी राम तो कभी बुद्ध के जन्मस्थान के दावे क्यों करता है नेपाल?

गौतम बुद्ध को भारतीय कहें या नेपाली? इस बात पर अब चर्चा शुरू हो गई है। इस का कारण है विदेश मंत्री एस जयशंकर का हाल ही का बयान।

शनिवार 8 अगस्त को भारतीय उद्योग परिसंघ के वेबिनार में बोलते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी और गौतम बुद्ध ऐसे दो महान भारतीय पुरुष हैं, जिनके विचारों को पूरी दुनिया मानती है।इस वक्तव्य पर नेपाल ने नाराज़गी जाहिर की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व में बता चुके हैं नेपाल ही बुद्ध का जन्मस्थान

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली।

इसे नकार नहीं सकते हैं कि गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में हुआ था। इसके अलावा 2014 में नेपाल के संसद को सम्बोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल को दुनियाभर में शांति का सन्देश फ़ैलाने वाले गौतम बुद्ध की भूमि कहा था।

ऐसा नेपाल की ओर से कहा गया कि बौद्ध धर्म का प्रसार नेपाल से दुनिया में अन्य जगह पर हुआ। नेपाल से आई इस प्रतिक्रिया के बाद भारत ने कहा कि एस. जयशंकर के कहने का मतलब यह नहीं था। वो दोनों देशो को मिले हुए बुद्ध के संयुक्त शिक्षा के बारे में बोल रहे थे।

कुछ दिनों पहले भगवान राम की वास्तविक अयोध्या नेपाल में होने के दावे किए गए थे और यह भी कहा गया कि भगवान राम नेपाली थे। ऐसा दावा नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी शर्मा ओली ने किया था।

इस वजह से वह सवालों से घिर गए थे और दोनों देशो में प्रतिक्रियाएं शुरू हो गई थीं और अब गौतम बुद्ध पर चर्चा शुरू हो गई है। नेपाल के जानकार विशेषज्ञ श्रीधर खत्री कहते हैं कि इस तरह की चर्चा दोनों देशो के सम्बन्धों के लिए योग्य नहीं है।

इतिहासकार की नज़र में गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध। फोटो साभार- Getty Images

इतिहासकार कहते हैं कि बुद्ध के काल में 2500 साल पहले नेपाल का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं था और भारत भी एकसंघ देश नहीं था। तब इन प्रदेशों में छोटी-छोटी गणराज्य थी और उसी एक गणराज्य कपिलवस्तु के सिद्धार्थ एक राजकुमार थे। उनके पिता शुद्धोधन एक शाक्य राजा थे और माता मायादेवी यह आज के नेपाल में रही देवदही की थी।

ज्येष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रूपा कुलकर्णी-बोधी ने कहा, “राजकुमार सिद्धार्थ का जन्म लुम्बिनी के पास के बाग में हुआ मगर उस वक्त बाग पर किसका अधिराज था? वह जन्म से बुद्ध नहीं थे, वह राजकुमार सिद्धार्थ थे और घर छोड़कर जंगल गए थे। वह जहां-जहां गए वह स्थान भारत में है। उन्हें जहां ज्ञान प्राप्ति हुई, वह जगह भी भारत में ही है जिसे आज बोध गया कहा जाता है।”

बुद्ध का जन्म जहां हुआ वो कपिलवस्तु कहां है, इस बात पर विशेषज्ञों के दो मत हैं। भारत में पिपरहा और नेपाल में तिलौराकोट ये दोनों जगह कपिलवस्तु हो सकती है, ऐसा कहा जाता है।

रूपा कुलकर्णी-बोधी कहती है, “बुद्ध अब जापान के भी हैं, चीन के भी हैं और बौद्धांतारों के भी हैं, वह पूरी दुनिया के हैं। बुद्ध ने दुनिया को धम्म दिया, एक जीवनशैली दी। बुद्ध चाहते थे कि दुनिया में किसी भी तरह का झगड़ा ना हो, द्वेष ना हो और यही भूलकर लोग उनके नाम पर झगड़ रहे हैं।”

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