दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत हुए डेढ़ महीने बीत चुके हैं। प्राथमिक जांच में मौत की वजह आत्महत्या सामने आई थी और आज भी उनके परिवार एवं पुलिस के द्वारा यही माना जा रहा है मगर इस दौरान लगातार उनकी मौत खबरों में बनी हुई है और रोज़ाना नए-नए बयान सामने आ रहे हैं।
एक तरफ फिल्म इंडस्ट्री में परिवारवाद की बात सामने आ रही है, तो वहीं अब सुशांत का परिवार उनकी प्रेमिका पर सुशांत को धोखा देने और पैसों के लेनदेन में हेराफेरी का आरोप लगा रहा है मगर इन सबके बीच यह समझ में आ पाना मुश्किल है कि क्या मीडिया को इस मामले पर इतना समय देना चाहिए?
निः संदेह किसी की भी मृत्यु दुःख का विषय है और यदि उस मृत्यु के पीछे किसी का षड्यंत्र हो तो उसकी जांच की जानी चाहिए मगर क्या हमारे देश में इतने दिनों में सिर्फ सुशांत की ही मृत्यु हुई है? नहीं ना! फिर यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि सुशांत नें आत्महत्या की है, किसी ने उनकी हत्या नहीं की और ना ही जीते जी उन्होंने कोई ऐसी बात कही जिससे लगे कि कोई उन्हें आत्महत्या की ओर धकेल रहा है।
फिर ऐसा क्यों है कि हर कोई उन्हें न्याय दिलाने का झंडा लेकर खड़ा हो गया है। उनकी आत्महत्या की जो भी वजह हो मगर इतना निश्चित है कि इससे अधिक सामाजिक, आर्थिक, मानसिक विषमता की परिस्थितियों में करोड़ों लोग जीते हैं!
कोरोना काल में जितनी मृत्यु या परेशानी बीमारी से हुई है, उससे कई गुना अधिक लोगों के रोज़गार जाने या आर्थिक साधन कम होने से हुई है। क्या मीडिया में इस पर कोई चर्चा नहीं होगी? क्या राजनीतिज्ञ भी चुप्पी साध लेंगे?
पहले फिल्म इंडस्ट्री, मीडिया और अब दो राज्यों की पुलिस से लेकर राजनेता भी इस मामले में कूद पड़े हैं मगर इन सब के बीच सबसे संयमित प्रतिक्रिया सुशांत के पिता और परिवार की रही है, जिन्हें इस घटना से सबसे अधिक दुःख हुआ है।
ज़ाहिर सी बात है कि भावनात्मक जुड़ाव के कारण वे इस मामले की सही जांच चाहेंगे, जो होनी भी चाहिए मगर अन्य लोग विशेषकर पुलिस और मीडिया को देश के अन्य ज्वलंत मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।