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“अनाज खत्म होने पर कैसे मेरे गाँव के लोगों ने पलायन शुरू किया”

Image credits - The New Humanitarian

ना चोर हूं मैं ना चौकीदार हूं

रोज़गार मांगता बेरोज़गार हूं मैं।

यह बात लगभग वर्ष 2015 की है। नवंबर का महीना था, हल्की ठंड भी लग रही थी। झारखंड में मेरे एक रिश्तेदार हैं, जहां पर पंचायती चुनाव हो रहा था और उस वक्त मैं भी वहीं था। चूंकि मुझे कुछ ज़्यादा ही रूचि है चुनावों में तो हमारे पंचायत के लगभग 70 से 80 लोग या कह सकते हैं वोटर्स हमारे सटे राज्य बिहार में धान काटने हेतु जा रहे थे।

सोन नदी को पार करने के बाद बिहार आ जाता है, तो सभी लोग नांव से नदी के उस पार कर गए। मतदान की तारीख सिर्फ 2 दिन बाद थी, तो हमारे कुछ वोटर्स भी जा रहे थे और ये 70-80 वोट के ज़रिये जीत-हार का निर्णय हो सकता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

मैं और एक मेरे भैया दोनों को यह बात का पता चली तो हम दोनों नदी के पार गए और उनसे अनुरोध किया कि सिर्फ दो दिनों का बात है, आप दो दिनों बाद चले जाइए। सभी लोगों ने अपनी परिस्थितियों का ज़िक्र किया। कुछ लोगो की स्थिति ऐसी थी कि उनके घर का अनाज भी खत्म हो गया था।

उनमें कुछ हट्टे-कट्टे नौजवान भी थे लेकिन रोज़गार के अभाव में वे धान काटने जाने को मजबूर थे। लाख समझाने के बावजूद उन लोगो ने नहीं माना और मानते भी क्यों? अगर वे नहीं जाते तो किसी और को काम मिल जाता।

अंतत: हम सभी थककर वापस लौटने लगे लेकिन मन में कहीं-ना-कहीं यह बात कचोट रहा था कि इस पापी पेट के लिए क्या-क्या करना पड़ता है। किन-किन मजबूरियों और परेशानियों के साथ छोटे-छोटे बच्चों को लेकर अपने घरों से दूर जाना होता है।

यह लेख बेरोज़गारी से संबंधित है और झारखंड-बिहार के लोग यह पढ़ रहे होंगे तो यह जानते होंगे कि हमारे यहां बेरोज़गारी का क्या आलम है। पलायन यहां के लिए आम बात है। आप सोच रहे होंगे कि अभी तो बाहर कोरोना है और पूरे देश में अनलॉक के बीच स्थितियां ठीक नहीं हैं, तो लोग बाहर कैसे जा रहे हैं?

ज़रा रुकिये यह लेख ज़्यादातर देहात क्षेत्र या कह सकते हैं गरीब तबके के बेरोज़गारी से संबंधित है। बेरोज़गारी के भी बहुत सारे प्रकार हैं। मजदूर लॉकडाउन में भी बाहर जा रहे हैं। उन्हें एडवांस पैसा और आने का भी सारा सुविधा दिया जा रहा है। मज़दूर भी जाने के लिए तैयार हैं! सवाल यह भी है कि आखिर तैयार हों क्यों ना? खाने के जो लाले पड़े हुए हैं।

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