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“मैं लोगों को बताना चाहती हूं कि अकेली महिलाएं भी जीवित रह सकती हैं”

पटना की रहने वाली 38 वर्षीय तबस्सुम अली ने भारत में सिंगल महिलाओं की गरिमा को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए एक कठिन रास्ते का चुनाव किया है।

समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए वह देश के एक कोने से दूसरे कोने तक बाइक चला रही हैं और उन सिंगल महिलाओं को प्रेरित कर रही हैं, जो हमारे पुरुष प्रधान समाज की दकियानूसी मानसिकता के बीच अपने स्वतंत्र दृष्टिकोण के लिए वर्षों से संघर्ष कर रही हैं।

38 वर्षीय तबस्सुम अली, तस्वीर साभार: YKA यूज़र

रॉयल एनफील्ड हिमालयन से मुश्किल सफर को आसान बनाते हुए आगे बढ़ रही तबस्सुम बताती हैं,

मैं एक सिंगल महिला हूं और दो साल पहले ही सिंगल महिलाओं के लिए जागरूकता अभियान की शुरुआत की है। मैं लोगों को बताना चाहती हूं कि अकेली महिलाएं भी जीवित रह सकती हैं।

तबस्सुम ने कौन-सी चुनौतियों का सामना किया?

हमेशा मोटरसाइकिलिंग का शौक रखने वाली तबस्सुम के सामने एक समय सबसे बड़ा चैलेंज उनका खुद का समाज और परिवार ही था। मुस्लिम परिवेश से आने के कारण उनके लिए चीज़ें और ज़्यादा मुश्किल थीं। बशर्ते उन्होंने कई सालों तक बाइकिंग का शौक अपने भीतर ही दबाए रखा।

हालांकि एक बार बाइक सीखने के बाद फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपनी पहली बाइक का ज़िक्र करते हुए तबस्सुम बताती हैं,

बाइक का क्रेज तो मुझे हमेशा से ही था लेकिन जब मैं बाइक चलाना सीख गई, तो मैं कभी-कभी नई मॉडल की बाइक ट्रायल लेने शोरूम चली जाती थी। आज की तारीख में मेरे पास अपनी रॉयल एनफील्ड की हिमालयन है।

मेरी बाइक ने हर मुश्किल सफर में मेरा बखूबी साथ निभाया है। तबस्सुम बताती हैं कि बाइक चलाने के अलावा मेरा मुख्य उद्देश्य रेप सरवाइवर्स को न्याय दिलाने में उनकी मदद करना है। मैं जानती हूं कि रेप जैसे अपराध को मैं पूरी तरह समाप्त तो नहीं कर सकती लेकिन लोगों को जागरूक कर ऐसी घटनाओं को कुछ हद तक कम करने का प्रयास ज़रूर कर सकती हूं।

लोगों को मदद करने के लिए मैंने 2017 में ‘मेक अ न्यू लाइफ फाउंडेशन’ के नाम से एक संस्था भी बनाई, जिसकी मैं फाउंडर और सेक्रेटरी भी हूं। इसके माध्यम से मैं लोगों को निःशुल्क सेवा देती हूं। साथ ही मैं पिछले एक साल से “नेशनल एंटी क्राइम ह्यूमन राइट्स काउन्सिल ऑफ इंडिया” की वीमेन डिवीज़न सेल की स्टेट डायरेक्टर भी हूं। वह बताती हैं,

14 अक्टूबर 2019 को मैंने अपनी दूसरी यात्रा की शुरुआत की, जिसके लिए मैंने रॉयल एनफील्ड की हिमालयन का चुनाव किया चूंकि बाइक चलाने का शौक और समाज के लिए कुछ करना था। समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने के जुनून ने मुझे इस यात्रा के लिए प्रेरित किया।

तबस्सुम के मुताबिक, पटना में रहकर तो वह हमेशा समाज के लिए कुछ-ना-कुछ करती रहती थी लेकिन उनके मन में हमेशा एक बात आती थी कि वह अपनी सोच और सेवा सिर्फ एक शहर या राज्य तक ही सीमित ना रहने दें। वह कुछ ऐसा करना चाहती थी जिससे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को जोड़ा जा सके।

उन्होंने पहली बार 27 जनवरी 2017 में साईकिल से पूरे 29 राज्यों में घूम-घूमकर लोगों को जागरूक करने की शुरुआत की थी, जिसमें मैंने 173 दिन में 12,800 किमी की यात्रा तय की। इस यात्रा के दौरान मैं रास्ते में आने वाले हर स्कूल-कॉलेज में जाती और उन्हें मोटीवेट करने की कोशिश करती थी।

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