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मध्य प्रदेश: मुख्यमंत्री के झूठे वादे से नाराज़ 5 गाँवों के लोगों ने की इच्छा मृत्यु की मांग

जब से देश आज़ाद हुआ, गाँव आबाद हुआ तब से रास्ता नहीं दिखा। साल दर साल गुज़रते रहे उम्मीद बनी रही। इसी बीच सूबे के मुखिया वोट के जुगाड़ में ही सही लेकिन रास्ता भटक कर पड़ोस के गाँव से होकर गुज़रने वाले मुख्य मार्ग तक पहुंचे तो आशान्वित हो कर गाँव वाले अपना दुख-दर्द बयां करने पहुंचे।

लौटे तो चेहरे पर खुशी और हाथों में आश्वासन के लडडू थे। सूबे के मुखिया ने भरोसा तो दे दिया था लेकिन वक्त गुज़रने का सिलसिला फिर भी चलता रहा और आश्वासन के लडडू हाथों में ही फूट गए। उम्मीद, भरोसा, आश्वासन सब टूटा तो निराश और नाराज़ हुए गाँव वालों ने सीधे देश के राष्ट्रपति को पत्र लिख दिया और दुर्दशा से बेहतर मानते हुए इच्छा मृत्यु की अनुमति मांग कर हर किसी को हैरान कर दिया।

रामनगर के करौंदी गाँव में आज तक नहीं बनी सड़क

प्रशासनिक अनदेखी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते करौंदी गाँव के लोग बरसात के चार महीने नरकीय जीवन जीने को मज़बूर है। रामनगर जनपद के अधीन आने वाला यह करौंदी गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।

आज़ादी के बाद भी इस गाँव में एक सड़क तक नहीं बन पाई। करौंदी के ग्रामीणों को बाज़ार जाना हो, तहसील जाना हो, किसी बीमार को अस्पताल ले जाना हो या फिर स्टूडेंट्स को स्कूल जाना हो सभी को लगभग 10 किमी का लंबा चक्कर लगाना पड़ता है, क्योंकि इटमा कोठार के पास बनी मुख्य सड़क करौंदी से 10 किमी दूर है।

गाँव के लोग इस स्थिति को लेकर परेशान हैं। उन्हें प्रशासन की ओर से मिले आश्वासन ने भी निराश किया, तो वे देश के राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगने के लिए मज़बूर हो गए। इच्छा मृत्यु की मांग करते हुए गाँव वालों ने लिखा कि इस दुर्दशा से वे तंग आ गए हैं, इससे बेहतर है कि वे जीवन त्याग दें।

आपातकालीन स्थिति में मरीज़ को खाट पर ले जाने को मज़बूर गाँव वाले

बरसात में आपातकालीन स्थिति में गाँव के लोग खाट की डोली बनाकर दस किलोमीटर दलदल भरी डगर पर सफर करते हैं। ऐसे में, यहां के ग्रामीण अब महामहिम से इच्छा मृत्यु की इजाजत की मांग करने को मज़बूर हुए हैं।

कुल पांच गाँव प्रभावित हैं इस समस्या से

करौंदी पंचायत और उससे लगे पांच गाँव के लोगों को इटमा कोठार के पास मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए 10 किमी कच्ची सड़क पार करनी पड़ती है। बारिश के मौसम में इस सड़क पर सफर किसी जंग को जीतने से कम नहीं है।

गौरतलब है कि यह करौंदी गाँव शिवराज सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल के गृह क्षेत्र में है। यह अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। पटेल के पूर्व अमरपाटन क्षेत्र के विधायक डॉ राजेन्द्र सिंह विधानसभा के उपाध्यक्ष और उसके पहले दिग्गी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं।

मांग के साथ गाँव के लोग

भाजपा के नेता स्व. रामहित गुप्ता भी इसी क्षेत्र से चुनकर वित्त मंत्री बने थे। हमेशा मंत्रियों और प्रभावशाली नेताओं के ही पास क्षेत्र के नेतृत्व रहा है लेकिन फिर भी आज़ादी के बाद से अब तक करौंदी के ग्रामीणों को सड़क नहीं मिल पाई।

मुख्यमंत्री की जन आशीर्वाद यात्रा में भी मिला था भरोसा

गाँव के मोलई कोल और राजेंद्र कुशवाहा ने बताया कि हर बार चुनाव के वक्त वोट मांगने आए नेताओं ने आश्वासन दिया लेकिन मतदान के बाद उन्हें याद नहीं रहा। बीते विधानसभा चुनाव के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी जन आशीर्वाद यात्रा लेकर पहुंचे तो उनसे भी पीड़ा बताई गई थी। आश्वासन तब भी मिला लेकिन हमेशा और अन्य नेताओं की तरह उन्हें भी करौंदी की जनता का दर्द याद नहीं रहा।

ऐसा नहीं कि गाँव तक पहुंचने की सड़क पर कोई ज़मीनी विवाद है। दलदल भरी पगडण्डी से लोगों का आना जाना बना रहता है। ज़िला प्रशासन और स्थानीय बड़े जन प्रतिनिधि हर चुनावी वर्ष में कभी प्रधानमंत्री सड़क योजना में तो कभी मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में शामिल होने की बात कहकर लोगों को उम्मीद जगा देते हैं लेकिन आज तक इस गांव की न तस्वीर बदली और न ही यहां के निवासियों की तकदीर में कोई बदलाव आया।

सीईओ ज़िला पंचायत ने भी दिया आश्वासन

ज़िला पंचायत सीईओ ऋजु बाफना ने फिर आश्वासन दिया है कि गाँव में सड़क की समस्या के निदान के लिए राजस्व अमले को वास्तविक जानकारी लेने भेजा जा रहा है। यदि कुछ निजी भूमि होगी तो उस भूमि को दानपत्र में लेकर जल्द सड़क बनाई जाएगी।

सतना ज़िले के रामनगर तहसील स्थित करौंदी कोलहाई खारा बड़ा इटमा जजनगरा ग्राम के ग्रामीणों ने आवागमन के लिए रास्ता नहीं होने से व्यथित होकर ट्विटर और राष्ट्रपति कार्यालय के पोर्टल में आवेदन कर सामूहिक इच्छा मृत्यु की मांग की है।

बता दें दो दिन पूर्व ही करौंदी निवासी राजभान विश्वकर्मा ने दो माह से ट्रांसफार्मर जला होने, साथ ही आवागमन की रास्ता नहीं होने पर राष्ट्रपति कार्यालय में आवेदन कर इच्छा मृत्यु की मांग की थी।

गाँव के परेशान लोग

मांग कर रहे ग्रामीणों की अगुआई करने वाले सुभाष पाण्डेय ने बताया हम सभी ग्रामीणों द्वारा अनेकों बार आवेदन और ज्ञापन के माध्यम से रोड की मांग की गई है, लेकिन शासन प्रशासन से झूठे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है।

हमें रोड की आड़ में जनप्रतिनिधियों के द्वारा ठगा जा रहा है। हमारी उम्मीदें अब शासन प्रशासन से टूट चुकी हैं। मात्र 9 डिसमिल जमीन का अधिग्रहण नहीं होने की वजह से सभी सुविधाओं से वंचित हैं।

घुट-घुटकर मरने से अच्छा है कि अपने प्राण त्याग दें, एक ही दिन का कष्ट होगा। जिस तरह की कार्य प्रणाली है वैसे में कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। शासन की पूरी मंशा समझ में आ रही है इसलिए महामहिम राष्ट्रपति अनुमति दें।

मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी नहीं खुली रोड

बता दें पिछले वर्षों में जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान प्रदेश के मुखिया सहित मंत्री प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में सुभाष पाण्डेय की अगुआई में सैकड़ों ग्रामीणों द्वारा मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा था। अपनी सभी समास्याओं से अवगत कराया था। जिस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा एक महीने में रोड खुलवाने का आश्वासन दिया गया गया था।

यह आश्वासन गाँव वालों के लिए बस एक आश्वासन ही बनकर रह गया। साथ ही बिगत सप्ताह रोड नहीं होने की वजह से रामभान के पिता की मृत्यु सही समय में उपचार नहीं हो पाने से हो गई।

प्रभावित गाँवों में 90 फीसदी लोग बाणसागर से विस्थापित

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बाणसागर बांध निर्माण के दौरान हमें पहले ही बनी बनाई गृहस्थी से अलग किया गया लेकिन हम सभी लोग यहां जैसे तैसे मेहनत मज़दूरी करके जीवन-यापन कर रहे हैं लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसी मूलभूत सुविधाओं से आज तक वंचित हैं। बांध निर्माण के दौरान हमें बलिदान की भेंट तो चढ़ाया गया लेकिन मूलभूत सुविधाओं से हम आज भी वंचित हैं।

गाँव में प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था है लेकिन हायर सेकंडरी की पढ़ाई के लिए बच्चों को गाँव से बाहर जाना पड़ता है। खेतों के मेड़ों से राशन दुकान, वृद्धा पेंशन के लिए दूसरे गाँव जाना पड़ता है, जिससे आवागमन में असुविधा होती है। आज तक भूमि स्वामी होने का पट्टा नहीं दिया गया जैसे-तैसे हम अपना गुज़र बसर कर रहे हैं।

किसानों ने मवेशियों के चारागाह की समास्या बताई

गाँवों में चारागाह की भूमि का अभाव होने की वजह से एक मात्र करौंदी का जंगल पहाड़ था। जहां पुस्तैनी से बड़ा इटमा खारा के पशु गौवंश आते जाते रहे लेकिन 25 वर्ष पूर्व आम रास्ता बंद हो जाने से आस-पास के गाँव में आवारा पशुओं की संख्या बढ़ रही है, जिससे किसानों की खेती चौपट हो रही है।

अगर रास्ता दोबारा चालू हो जाता है तो चरनोई पर्याप्त मात्रा में हो जाएगी, जिसमें हम किसानों की खेती में सुविधा होगी। आवारा पशुओं की वजह से किसान परिवार अपना प्रमुख व्यवसाय खेती छोड़ मज़दूरी करने पर विवश हो गए हैं।

भूतपूर्व सरपंच राकेश पाण्डेय गुड्डा के कार्यकाल में रोड का मापन हुआ था। साथ ही राजस्व के नक्शे में लाल स्याही से रोड को अंकित किया गया था। इसके साथ ही आने वाले कार्यकाल के दौरान कुछ भूमियों पर अधिग्रहण की कार्यावाही भी की गई थी। मात्र 9 डेसीमल में अधिग्रहण की कार्यवाही ना होने की बजह से रास्ता अवरुद्ध हो गया है।

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