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क्या कोरोना और बाढ़ की बदहाली को ही ‘बिहार में बहार’ माना जाए?

Bihar in the time of Corona and Floods

Bihar in the time of Corona and Floods

डब्ल्यूएचओ के एक अनुमान के अनुसार, भारत में सबसे बुरा हाल यदि किसी राज्य का होगा, तो वह है बिहार। बिहार का हाल इसलिए बुरा होगा, क्योंकि यहां की सरकार और जनता दोनों कोरोना वायरस को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।

सरकार में बैठे लोग जहां अपने चुनाव को जीतने के लिए तैयारी में लगे हुए हैं, तो सरकारी महकमा भी चुनाव कराने की तैयारी में जुटा हुआ है। इस बीच यदि कोई तैयारी छूटी हुई है, तो वह कोरोनावायरस से लड़ने की बिहार सरकार की तैयारी है।

मरीज़ बढ़ रहे हैं लेकिन टेस्टिंग नहीं

ऐसा इसलिए क्योंकि दिन-प्रतिदिन बिहार में कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, वहीं टेस्टिंग की संख्या उस तादाद में नहीं बढ़ी है जिस तादाद में बढ़ानी चाहिए। महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात जैसे राज्य अधिक से अधिक टेस्टिंग कर रहे हैं जिसके कारण वहां हालात सुधर रहे हैं लेकिन बिहार इसमें बहुत पीछे चल रहा है।

कोरोना टेस्ट: प्रतीकात्मक तस्वीर

कोरोना वायरस से केवल आम जनमानस परेशान नहीं है, बल्कि हमारे सिस्टम के बड़े-बड़े पदों पर बैठे हुए लोग भी इसकी चपेट में हैं। इसके कारण भी विभाग के उप सचिव उमेश रजक बिहार सरकार के विधान पार्षद इत्यादि की मौत हो गई है, फिर भी सरकार सजग नहीं है।

आलम यह है बिहार देश के सबसे कम टेस्ट करने वाले राज्यों की सूची में नंबर एक पर है, मसलन जहां दिल्ली में 10 लाख पर 32 हज़ार से अधिक लोगों का टेस्ट किया गया। तमिलनाडु में 10 लाख पर 18 हज़ार से अधिक लोगों का टेस्ट किया गया राजस्थान में 10 लाख पर 12 हज़ार से अधिक लोगों का टेस्ट किया गया, तो बिहार में या आंकड़ा तीन हज़ार से भी नीचे है।

सरकार कर रही है जमकर लापरवाही

यहां आकड़ें दर्शाते हैं कि सरकार कितनी भारी लापरवाही बरत रही है। यदि टेस्ट नहीं होंगे, तो मरीज़ों का पता नहीं चलेगा और मरीज़ का पता नहीं चलेगा तो फिर किस तादाद में यह बीमारी फैल चुकी है, यह भी पता नहीं लग सकता है। इस लिहाज से बिहार की स्थिति अत्यंत ही गंभीर है और हो सकता है कि बिहार दुनिया का दूसरा वुहान बन जाए।

यह वायरस इतना खतरनाक है कि यदि यह बूढ़ों और बच्चों को होता है, तो उनके बचने की संभावना बहुत कम होती है। इसलिए कोरोना वायरस के खिलाफ जंग को मजबूती से लड़ने के लिए सरकार को कोशिश करना चाहिए लेकिन विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों अपने-अपने पीठ थपथपाने मे लगे हुए हैं।

परेशान जनता को कोई देखने-सुनने वाला नहीं है

मैं बिहार का हूं पर मुझे मालूम है कि बिहार की जनता मेहनतकश और ईमानदार है। अपने काम पर विश्वास करती है लेकिन भोली-भाली जनता को सरकार ने उसके स्थिति पर छोड़ दिया है, चाहे वह बाढ़ का कहर हो या कोरोना वायरस महामारी। गाँवों में परेशान लोगों को कोई देखने-सुनने वाला नहीं है।

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

भारी बरसात और बाढ़ के कारण बिहार के अधिकतर हिस्सों में फसल बर्बाद हो गई है। इससे किसानों को भारी पैमाने पर आर्थिक नुकसान हुए है लेकिन इस दौड़ में ना फसल बीमा योजना का ज़िक्र हो रहा है और ना ही बिहार सरकार की कोई सहायता योजना पर कोई सवाल पूछता है कि क्या योजनाएं सिर्फ अखबारों में विज्ञापन देने के लिए बनी हैं?

हकीकत यही है कि ग्राउंड पर कहीं भी इन योजनाओं का संचालन सही तरीके से नहीं हो रहा।

क्या इसे ही बिहार में बहार माना जाए?

डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ साफ कहा है कि टेस्टिंग ट्रेसिंग के ज़रिए ही कोरोना वायरस के चेन को तोड़ा जा सकता है। यदि बिहार सरकार इसमें नाकाम है, तो इसका मतलब है कि बिहार सच में डब्ल्यूएचओ के भविष्यवाणी पर खरा उतर सकता है।

जनता भी कम दोषी नहीं है। सरकार लगातार यह चेतावनी दे रही है कि मास्क का उपयोग करें, हाथों को धोते रहें लेकिन ग्राउंड पर जनता इसका बिल्कुल ध्यान नहीं रख रही है। ऐसे में, मेरे हिसाब से जितनी गलती सरकार की है उससे ज़्यादा गलती बिहार के जनता की है।

बाढ़ से परेशान लोग : प्रतीकात्मक तस्वीर

सरकार में बैठे मुलाज़िम जो अपनी जान पर खेलकर समाज की सेवा कर रहे हैं। मैं उन पर कोई सवाल नहीं उठा रहा लेकिन हमारा सवाल सत्ता में बैठे हुए उन राजनेताओं से हैं, जो कहते हैं कि हमने बिहार को विकसित और समृद्ध बिहार बना दिया है। बिहार में बहार है, किसी प्रकार की कोई कुव्यवस्था नहीं है।

हकीकत यह है कि कोरोना वायरस के इलाज में लगे स्वास्थ्य कर्मचारियों को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। बड़ी संख्या में जांच करवाने के लिए लोग जांच केंद्रों पर पहुंच रहे हैं, लेकिन उस हिसाब से जांच किट तक की व्यवस्था नहीं है।

इस लिहाज से यह कहा जा सकता है कि चीन ने जो गलती की सरकार उस गलती को बिहार में दोहराने जा रही है। यदि ऐसी स्थिति आगे भी जारी रही, तो फिर बिहार की स्थिति बेहद खराब हो सकती है।

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