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रोहतक फिल्म इंस्टीट्यूट ने Fee ना जमा करने पर स्टूडेंट्स को दी टर्मिनेट करने की धमकी

जीवन-यापन के स्त्रोत कोरोना के चलते निष्क्रिय हो गए हैं। लोगों की नौकरियां चली गई हैं। कोरोना मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग के लिए एक लंबे वक्त तक असर छोड़ने वाले आपदा है। ऐसे में देश की सरकार हर संभव सहायता करने में जुटी है और लोग भी आत्मनिर्भर बनने की कोशिश में हैं। 

देशभर के स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटीज मार्च माह से अनिश्चितकाल तक के लिए बंद हैं। अधिक्तम जगहों पर ऑनलाइन कक्षा ली जा रही हैं और पढ़ाई कक्षा से मोबाइल पर आ पहुंची हैं। ऐसे में कुछ विषय ऐसे भी हैं, जिन्हें ऑनलाइन नहीं पढ़ाया जा सकता है। वह पढ़ाई बिना प्रैक्टिकल के संभव नहीं है। उनमें से एक है सिनेमा की पढ़ाई।

फिल्म एंड टेलीविज़न विभाग रोहतक के स्टूडेंट्स के साथ बेरुखी

फिल्म एंड टेलीविज़न विभाग, सुपवा रोहतक पिछले कुछ दिनों से अपनी मांगों को लेकर एडमिनिस्ट्रेशन से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है लेकिन ऐसा एक भी जवाब उन्हें नहीं मिला जिससे स्टूडेंट्स संतुष्ट हो पाएं।

मार्च महीने में क्लासेज़ बंद होने के बाद से स्टूडेंट्स अपने घरों में बैठे हैं। इस बीच स्टूडेंट् ने उस सेमेस्टर की बची क्लासेज़ और प्रोजेक्ट्स को लेकर संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। UGC की गाइडलाइन्स फॉलो करते हुए यूनिवर्सिटी ने थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स के सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट “फिक्शन फिल्म और स्टूडियो फिल्म” को काट दिए। 

यहां तक कि फर्स्ट ईयर और सेकंड ईयर के भी फाइनल सेमेस्टर प्रोजेक्ट्स कॉन्टिन्यूटी प्रोजेक्ट और DV प्रोजेक्ट काट दिए गए। हद तो यह है कि प्रोजेक्ट्स काटकर उनकी जगह उन प्रोजेक्ट्स को कराने का कोई आश्वासन ना देते हुए यूनिवर्सिटी ने रिज़ल्ट निकाल दिया और स्टूडेंट्स को अगले सेमेस्टर पहुंचा दिया।

मोटे तौर पर समझें तो मार्च के बाद ना तो पढ़ाई हुई, ना प्रोजेक्ट्स हुए, ना प्रैक्टिकल्स हुए, ना इनके लिए कोई आश्वासन मिला। स्टूडेंट्स बिना उन विषयों को पढ़े और समझे अगले सेमेस्टर में प्रमोट हो गए। उन विषयों की ज़रूरत अगले सेम में पड़ने वाली है।

रिज़ल्ट आने के बाद एक नोटिस आता है, जिसमें अगले सेम की फीस देने की बात की जाती है। स्टूडेंट्स एडमिन से संपर्क साधने की कोशिश करते हैं लेकिन जवाब में नया नोटिस आता है, जिसमें फीस के साथ फाइन भरने की धमकी मिलती है।

स्टूडेंट्स की तीन मांगें क्या हैं?

फीस: यूनियन ने एक सर्वे किया और पाया कि आधे से ज़्यादा छात्र मध्यम या निचले वर्ग से आते हैं और लॉकडाउन के कारण उनके परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सभी के लिए एक बार में 36,500 जैसी बड़ी रकम जुटाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है। इसलिए स्टूडेंट्स की मांग है कि इन्सटॉलमेंट में फीस के जमा करने की सुविधा मिले।

प्रोजेक्ट्स और प्रैक्टिकल्स का लिखित आश्वासन: फिल्म बनाने की कला कॉपी-पेन में लिखकर परीक्षा देने की कला नहीं है। फिल्म मेकिंग सीखने के लिए फील्ड पर उतरना पड़ता है। फिल्म इंस्टिट्यूट से पहले भी फिल्में देश-विदेश के फेस्टिवल्स में नाम कमा चुकी हैं। इसलिए स्टूडेंट्स चाहते हैं कि वे भी फिल्म बनाना सीखें, उसकी बारीकियों को समझें। ताकि देश का नाम रौशन करें लेकिन एडमिन स्टूडेंट्स के प्रोजेक्ट्स काट रहा है।

स्टूडेंट्स को पूर्णतः आश्वासन नहीं मिल रहा है कि कोरोना काल के बाद जब भी सब कुछ पटरी पर लौटने लगेगा उनके प्रोजेक्ट्स उन्ही नॉर्म्स के अंतर्गत कराए जाएंगे, जो पहले से निर्धारित हैं। प्रशासन अभी प्रोजेक्ट्स को लेकर साफ तौर पर कुछ नहीं कह रहा है।

स्टूडेंट्स की मांग है कि जब भी स्थिति ठीक हो उनके प्रोजेक्ट्स हों। वे भले ही दो साल बाद हों लेकिन हों। बिना प्रोजेक्ट्स के पास होना यानि चार साल बेरोज़गार रहना है।

ऑनलाइन क्लासेज़: इन विषयों के सिलेबस का 10 से 20 प्रतिशत हिस्सा ही थ्योरी होता है। थ्योरी में भी प्रोजेक्टर के माध्यम से फिल्में दिखाई जाती हैं। स्टूडेंट्स को थ्योरी क्लासेज़ ऑनलाइन लेने में दिक्कत नहीं होती है। ऐसे बहुत बहुत सारे ऐसे स्टूडेंट्स हैं, जो दूर-दराज़ गाँव से आते हैं और वहां इंटरनेट उतनी तेज़ रफ्तार में काम नहीं करता कि वे ऑनलाइन प्रोफेसर की बातें समझ पाएं।

एक स्टूडेंट जम्मू कश्मीर से हैं, जहां अब भी 2G चल रहा है। कुछ स्टूडेंट्स के पास खुद का मोबाइल फोन नहीं है। सबसे ज़रूरी बात जब फैकल्टी से पूछा गया कि आप किस तरह से ऑनलाइन क्लास को प्लान कर रहे हैं, तो उनसे कोई जवाब नहीं मिला। स्टूडेंट अब भी उस मेल का इंतज़ार कर रहे हैं, जिसमें फैकल्टी उन्हें यह समझाएंगे कि वो ऑनलाइन क्लास किस तरह से कंडक्ट करने वाले हैं।

इन सभी समस्याओं के चलते स्टूडेंट्स ने मिलकर फीस ना देने का निर्णय लिया है। स्टूडेंट्स तब तक इस निर्णय पर टिके रहेंगे, जब तक ऊपर लिखी तीनों समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता है। समस्याओं का समाधान करने के बजाये, एडमिन स्टूडेंट्स की कमर तोड़ने की कोशिश कर रहा है। वह फीस थोप रहा है साथ ही कॉलेज से टर्मिनेट कर देने की धमकी भी दे रहा है। ऐसे में इन छात्रों की मदद की जानी चाहिए। अगर आप किसी भी तरह की मदद करना चाहें तो संपर्क करें- filmstudentsunion@gmail.com

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