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दुमका में शौचालय के लिए खेत गई लड़की के साथ तीन युवकों ने किया रेप

एक बार फिर से शर्मसार कर देने वाली खबर आई है। शौच के लिए खेत गई एक किशोरी का तीन युवकों ने अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। यह घटना काठीकुंड थाना क्षेत्र के कुमीरकट्टा गाँव के पास तसर बगान में गुरुवार की सुबह हुई।

फिलहाल स्थानीय लोगों ने तीनों युवकों को पकड़ लिया। जिसके बाद पुलिस को भी सूचना दी गई। पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची तो ग्रामीणों ने आरोपियों को पुलिस वालों को सौंप दिया। पुलिस को मौके पर शराब की कुछ बोतलें भी मिलीं।

ऐसी जानकारी दी जा रही है कि घटना उस वक्त घटित हुई, जब युवती सुबह शौच के लिए जंगल जा रही थी। जंगल के करीब ही शराब पी रहे तीन युवक पहले युवती को उठाकर अपने साथ ले गए फिर तीनों ने मिलकर युवती के साथ दुष्कर्म किया।

आज के इस माहौल में हम लड़कियों की उड़ान भरने की बातें करते हैं। उन्हें ऊंचे-ऊंचे सपने दिखाते हैं। जबकि हमारे समाज में ही एक लड़की शौच के लिए जाने तक महफूज़ नहीं है। उसे घर से बाहर निकलने से पहले भी सौ बार सोचना पड़ता है।

यह वाकई बेहद गंभीर विषय है। जिसको आज भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। हम बात तो बहुत बड़ी-बड़ी करते हैं लेकिन जब किसी लड़की के साथ कोई घटना होती है, तो उसके साथ खड़ा होने वाला भी कोई नहीं होता है। यह समाज उल्टा ताने भी लड़कियों को ही देता है, क्योंकि इज्ज़त की सारी ज़िम्मेदारी तो लड़की के सिर पर ही रख दी गई है। वहीं, लड़के तो बलात्कार करके भी बेकसूर ही रहते हैं।

सिर्फ कैंडल मार्च और चार दिन टीवी पर खबर चलाने भर से किसी लड़की को इंसाफ नहीं मिलने वाला है। इंसाफ तो तब मिलेगा जब आप जीते जी उसको चैन से उसकी ज़िंदगी जीने दें। उससे उसकी आज़ादी को ना छीने और उसके जीवन में उड़ान भरने के लिए उसे प्रोत्साहित करें ना कि बालात्कार करके लोगों को प्रोटेस्ट करने के लिए सम्मिलित करें।

अगर एक पुरुष को आज़ादी से ज़िंदगी जीने का हक है, तो उसको ज़िन्दगी देने वाली महिला का हक इससे और भी कई गुणा ज़्यादा है। वो महिला है कोई हवस बुझाने का पुतला नहीं, जिसे जब मन चाहे कोई भी पुरुष कुचल दे।

हैरानी की बात यह भी है कि ज़िले में इतनी बड़ी घटना घटित हो जाती है और ज़िल प्रशासन द्वारा इस बात को गंभीरता से नहीं लिया जाता है। यह वही काठीकुंड है जहां दुमका के एसपी अमरजीत बलिहार की नक्सलियों ने निर्मम हत्या कर दी थी।

नक्सल इलाके के तौर पर इस काठीकुंड की पहचान काफी खौफनाक रही है। ऐसे में ज़िला प्रशासन की मुस्दैती पर भी सवाल खड़े होते हैं। आखिर क्यों बलात्कारियों के ज़हन में प्रशासन को लेकर खौफ नहीं है? ज़िला प्रशासन को इस बारे में विचार करना होगा।

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