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“धोनी, नहीं भूल पाऊंगा आपकी यादगार पारियां”

पूरा क्रिकेट जगत इस समय काफी सदमे में है, क्योंकि विश्व के सबसे सफल और कप्तान कूल ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। उन्होंने इंस्टाग्राम पर की गई पोस्ट के ज़रिये अपनी रिटायरमेंट का ऐलान किया। इसके कुछ क्षण बाद ही सुरेश रैना ने भी इंस्टाग्राम पर पोस्ट करके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अपने जीवन से अलविदा कहा।

इसके बाद ही सोशल मीडिया पर लोगों ने सुरेश रैना और महेंद्र सिंह धोनी को शुक्रिया कहा। तकरीबन 26 बार महेंद्र सिंह धोनी और सुरेश रैना ने वनडे में 50 रन की पार्टनरशिप की है, जो कि मिडल ऑर्डर बल्लेबाज़ों की जोड़ी में सबसे अधिक है। 

क्या फेयरवेल मैच होना सम्भव है?

अब एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीसीसीआई भी चाहता है कि धोनी को फेयरवेल मैच मिले और इसके लिए बोर्ड विचार कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा है कि फिलहाल कोई अंतरराष्ट्रीय सीरीज़ नहीं हो रही है।

ऐसे में आईपीएल के आयोजन के बाद हम देखेंगे कि क्या किया जा सकता है, क्योंकि धोनी ने देश के लिए बहुत कुछ किया है और वो इस सम्मान के हकदार हैं। हम हमेशा उनके लिए एक फेयरवेल मैच चाहते थे लेकिन धोनी एक अलग खिलाड़ी हैं। जब उन्होंने अपने संन्यास की घोषणा की तो किसी ने भी इसके बारे में सोचा नहीं था।

जब धोनी को टीम इंडिया की कप्तानी मिली

साल 2007 सात के वर्ल्ड कप में बुरे प्रदर्शन के बाद जब धोनी की टीम को कप्तानी मिली तो किसी ने नहीं सोचा था कि वो टी-20 वर्ल्ड कप जीतेंगे लेकिन उन्होंने इस उपलब्धि को हासिल किया। वह भी यह कमाल एक युवा टीम के साथ किया।

वो बड़े साधारण इंसान हैं, जिन्होंने आसमान की बुलंदियों को छुआ है। 2007 का टी-20 विश्वकप, 2011 का ODI वर्ल्ड कप, 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी से लेकर भारतीय टीम को टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन बनाने तक वह ना तो रुजे और ना ही उनके कदम थमे।

धोनी का तरीका अलग था। जब भी मैच जिताने की बात आती थी तो वो समय लेकर मैच खत्म करके ही जाते थे। ज़्यादातर ऐसे भी कई किस्से हुए हैं कि उन्होंने छक्का मारकर कई मैच जिताए। विराट कोहली यह भी कहते हैं कि एम एस धोनी ही हमेशा उनके कप्तान रहेंगे।

चहल और कुलदीप यादव का यह भी मानना है कि धोनी ने उन्हें बॉलिंग करते वक्त भी कई महत्वपूर्ण बातें सिखाईं, जिससे उन्हें कई सफलता भी मिलीं। धोनी क्रिकेट तो खेलते ही थे लेकिन सबसे बड़ी बात यह थी कि वह विपक्षी टीमों के दिमाग के साथ भी खेलते थे।

अर्थात वह जान लेते थे कि कौन सी रणनीति कब इस्तेमाल करनी है और क्यों करनी है? एक बार अगर धोनी ने तय किया तो उनका डीआरएस लेना लगभग 95% सही होता था। मतलब अगर धोनी कह रहे हैं कि आउट है, तो आउट है।

शानदार बल्लेबाज़, एक सफल विकेटकीपर और कप्तान 

धोनी ने ओडीआई में लगभग 10,000 से ज़्यादा रन बनाए थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 224 रन चेपॉक स्टेडियम में कौन भूल सकता है! शायद ही किसी ने सोचा हो कि 2016 का टी-20 विश्वकप मैच बांग्लादेश से 1 रन से जीतकर धोनी इतिहास रच देंगे।

हर बार लगता था कि धोनी हैं संभाल लेंगे। विकेटकीपिंग करते वक्त गेंदबाज़ों को सही ज्ञान देना और टिप्स देने के पीछे से कोई आवाज़ नहीं आएगी। यही बातें याद आएंगी जो अब केवल यादें बनकर रह जाएंगी। 

क्रिकेट से हटकर भी उनका एक अलग ही अंदाज़ है। चाहे वह उनका आर्मी एवं देश के प्रति लगाव हो या फिर अपनी बेटी जीवा के साथ समय बिताना। हालांकि सबसे बड़ी खुशखबरी है कि अभी हम आईपीएल 2020 में उन्हें हम कप्तानी करते हुए देखेंगे।

धोनी ने हमें यह सिखाया कि किस तरह रांची शहर का एक लड़का अपने जीवन में लगातार संघर्ष करने के बाद अपनी काबिलियत का प्रदर्शन दिखाते हुए भारतीय क्रिकेट में इतिहास रचते हुए कमाल कर सकता है।

धोनी का जीवन हमें कई सीख भी देता है और सिखाता है कि हमें कभी ज़िंदगी में हार नहीं माननी चाहिए। धोनी ने हमें यह भी सिखाया कि प्रेशर को कैसे फेस कर अंतिम ओवरों में मैच जीतना है।

आखिर में मैं उनका धन्यवाद करना चाहता हूं, जिन्होंने हर बार विश्वास दिलाया कि धोनी हैं जो संभाल लेंगे और मैच को भी खत्म किया। शायद यही ज़िंदगी है अर्थात हम चाहेंगे कि यह बेमिसाल व्यक्तित्व अपनी दूसरी इनिंग में खुश रहें।

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