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आदिवासी स्टूडेंट श्यामलाल मुर्मू ने जब लोगों को समझाया जल, जंगल और ज़मीन का महत्व

“सब ठीक है, यह नया कुर्ता भी अच्छा लग रहा। अब बस मन लगाकर पढ़ना है हमको।” श्यामलाल मुर्मू खुद को कॉलेज के वॉशरूम के आईने में देखकर समझा रहा था।

हमारा नाम श्यामलाल मुर्मू है। हम झारखंड के हजारीबाग ज़िले के एक छोटे से गांव से हैं। आज पुणे शहर के सबसे अच्छे सरकारी कॉलेज में हमारा पहला दिन है। हम यहां पीजी करने आए हैं, हमारा ग्रेजुएशन झारखंड से ही हुआ है।

हमने सबसे पहले क्लास में आकर अपने बैग को फर्स्ट बेंच में रख दिया था। अभी कक्षा अपने समय अनुसार 9:00 बजे शुरू होने वाली है। कक्षा में लगभग सारे छात्रों का आज पहला दिन है, सारे लोग देखने में अच्छे परिवार के लग रहे हैं।

सबसे बड़ी बात यह है कि किसी का रंग मेरे रंग से मेल नहीं खाता इसलिए लोग कक्षा में हमको घूर-घूर कर देख रहे हैं, हम रंग में काले हैं ना इसलिए। यहां कोई ब्रांडेड जूता पहना है, तो कोई घड़ी कोई तो ऊपर से लेकर नीचे तक अलग-अलग ब्रांड का विज्ञापन कर रहा है। मगर मेरी पोशाक साधारण-सी है।

टीचर ने आते ही सबसे पहले अपने बारे में बताया फिर हमें एक-एक करके अपना इंट्रो देने को कहा। कुछ लोग के बाद मेरा नंबर आया हम बोले:- “मेरा नाम श्यामलाल मुर्मू हैं” सर इतना सुनते ही मेरे बातों को बीच में काटते हुए बोले “तो तुम ही हो जो जिसका फर्स्ट रैंक है इंटेरेंस परीक्षा में” मैं बोला “जी सर।” इतने में मुझसे दो बेंच आगे की एक लड़की ने कहा, “यह जी सर क्या है, यस सर बोलो।”

टीचर ने फिर मुझसे मेरे घर के बारे में पूछा, मैंने बताया सर झारखंड।

फिर से उस लड़की ने कहा, “ That’s why you look like Wild Animal, Jungli.”

हम उसे फिर जवाब नहीं दिए, क्योंकि जवाब देना उचित नहीं समझा और टीचर की तरफ देखने लगे। उन्होंने फिर पूछा अपने बारे में कुछ बताओ। हम बोले, “सर हम झारखंड के काफी छोटे से गांव से आते हैं, 10 वी में हम स्टेट बोर्ड टॉपर थे और 12 वी में जिला टॉपर, ग्रेजुएशन में भी हमारा रिजल्ट काफी अच्छा रहा है आज हम यहां है और यहां भी अच्छी पढ़ाई करने की उम्मीद से आए हैं।”

पता नहीं उस लड़की को हमसे क्या दिक्कत थी। इस बात को सुनने के बाद उसने फिर कहा, “तुम तो ST हो इसलिए तुम्हें एडमिशन मिला है, वरना तुम्हारे जैसे लोग यहां पहुंच कहां पाते हैं।”

इस बात पर हमने कहा, “हां मैं ST हूं, मगर यहां पर अपनी मेहनत से परीक्षा पास करके और मेरिट लिस्ट में सबसे अव्वल आकर आया हूं और रही बात जंगली होने की, तो आप जंगल के बारे में क्या जानते हो? हम आदिवासी लोगों के लिए जंगल ही घर है, हमें उस जंगल से प्रेम है।”

मैंने अपने टीचर की तरफ और सारे लोगों की तरफ देखते हुए कहा कि क्या आपको पता है की हमारे देश में पेड़ों की कितनी कमी है? जहां एक तरफ कनाडा में 10,163 पेड़ प्रति व्यक्ति, ऑस्ट्रेलिया में 4,964 पेड़ प्रति व्यक्ति, फ्रांस में 203 पेड़ प्रति व्यक्ति और चाइना जैसे इतने बड़े देश में 130 पेड़ प्रति व्यक्ति हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर

वहीं, हमारे देश भारत में प्रति व्यक्ति सिर्फ 28 पेड़ हैं। जो कि हर साल घटता जा रहा है। जबकि एक अनुमान है कि एक इंसान की ज़रूरत पूरा करने के लिए 61 पेड़ प्रति व्यक्ति की आवश्यकता है। अब ज़रा आप ही सोचो कि हम कितने पीछे हैं। मुझे गर्व है अपने समुदाय के लोगों पर जो अपना पूरा जीवन पेड़, पौधे और जंगल की रक्षा करने में बिता देते हैं।

जब अमेजॉन, कैलिफोर्निया, ऑस्ट्रेलिया, जैसे जगहों के जंगलों में आग लगती है तब आप जैसे लोग हर जगह एक ट्रेंड शुरू करते हैं; Pray for Amazon forest, Pray for this and that forest, मगर जब खुद के देश के जंगल और पेड़ बचाने की बात होती है, तो किसी का ध्यान इस पर नहीं जाता है और जो लोग काम कर रहे होते है उन्हें आदिवासी, जंगली, वाइल्ड एनिमल कहकर पुकारा जाता है।

हमने आगे कहा, “खैर, इन सब बातों का कोई मतलब नहीं बनता यहां शायद यह आप सबको समझ ना आए। माफ कीजिएगा सर मगर मेरा बस यही कहना है आदिवासी लोग जो जंगल में रह रहे हैं उन्हें अपनी सभ्यता, जंगल, ज़मीन, नदियों और खेतों से बहुत प्यार है। वह भी हमारे समाज का एक वर्ग है जिसे शायद हम समझने की कभी कोशिश नहीं करते मगर उन पर टिप्पणी ज़रूर कर देते हैं।”

प्रतीकात्मक तस्वीर

इसके बाद घंटी बजी और वह क्लास समाप्त हो गई। सर ने कहा आज की बात कभी और डिस्कस की जाएगी। उस लड़की का हमको एक नज़र से देखना यह बता रहा था कि वह शर्मिंदा है। हम उसको देखकर मुस्कुराए और वह भी फिर मुस्कुराई और नज़रें हटा ली। सारी क्लास की नज़र कुछ पल के लिए मेरी ओर थी। यानी श्यामलाल मुर्मू की ओर। तब मुझे खुद लगा आज की पहला क्लास ज़िंदगी भर याद रहेगी।

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