सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने जेईई मेन्स और नीट (यूजी) परीक्षाएं आयोजित करने की तैयारी कर ली है। स्टूडेंट्स, राजनेताओं और कई अन्य सेलिब्रिटीज़ के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार दबाव बनाने के बावजूद, एनटीए और शिक्षा मंत्रालय परीक्षा आयोजित करने के फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है।
क्या है जेईई-मेन्स और नीट-यूजी?
देश मे इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए इन पड़ावों को पार करना होता है। जेईई-मेन की परीक्षा के प्राप्तांक के बदौलत एनआईटी, आईआईआईटी और सरकार द्वारा वित्तपोषित अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला मिलता है।
साथ ही यह आईआईटी में दाखिले के लिए होने वाले जेईई एडवांस्ड का गेटवे भी है। नीट यूजी की परीक्षा देश के सभी सरकरी और निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए होती है। हर वर्ष इन परीक्षाओं में लाखों स्टूडेंट्स शामिल होते हैं।
परीक्षा की तारीख़ क्या है?
जेईई-मेन की परीक्षा ‘कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट’ मोड में एक से छह सितम्बर के बीच आयोजित होनी है, वहीं नीट-यूजी की परीक्षा ‘पेन एंड पेपर मोड’ में 13 सितम्बर को आयोजित होनी है। जेईई-मेन्स का रिजल्ट आने के बाद 27 सितम्बर को जेईई एडवांस की परीक्षा कराई जाएगी।
इस वर्ष नीट की परीक्षा के लिए 15,97,433 और जेईई-मेन्स की परीक्षा के लिए 11,18,673 स्टूडेंट्स ने फॉर्म भरा है।
स्टूडेंट्स क्यों पोस्टपोन कराना चाहते हैं नीट-यूजी और जेईई-मेन्स की परीक्षा?
कोरोना के हर रोज़ बढ़ते आंकड़े और देश के कई हिस्सों में बाढ़ से स्टूडेंट हलकान है। इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स का परीक्षा केंद्र पर इकट्ठा होने से महामारी के तेज गति से फैलने की आशंका है। साथ ही लॉकडाउन की वजह से परिवहन के अधिकतर साधन बंद हैं।
रेलगाड़ियों को सीमित संख्या में चलाया जा रहा है, वहीं बसों की आवाजाही पर रोक बरकरार है। इसके अलावा बिहार और असम में बाढ़ भी एक बड़ा मुद्दा है।
इन सभी मांगों को लेकर स्टूडेंट ट्वीटर पर आवाज़ उठा रहे हैं। प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री और एनटीए के अधिकारियों को टैग कर बड़ी संख्या में ट्वीट हो रहे हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि जब तमाम संस्थान आंशिक या पूर्ण रूप से वर्चुअल मोड में काम कर रहे हैं। ऐसे में 27 लाख स्टूडेंट्स को परीक्षा केंद्र पर जाने के लिए मजबूर करना सही नहीं है।
स्टूडेंट्स के एक तबके का यह भी मानना है कि शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी कुछ निजी संस्थानों के दबाव में हैं। स्टूडेंट ट्विटर पर ट्रेंड चलाकर अपनी बात सम्बंधित मंत्रालय और अधिकारियों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन अब तक स्टूडेंट्स को निराशा ही हाथ लगी है।
समस्तीपुर, बिहार के रहने वाले अंशु महाराज बताते हैं कि महामारी के बीच परीक्षा का आयोजन स्टूडेंट्स के स्वास्थ्य के लिए खतरा है ही, साथ ही यह गैर-समानता की ओर एक कदम है। वर्तमान माहौल में बाढ़ और कोरोना के वजह से स्टूडेंट्स को समान सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
वहीं, एक अन्य स्टूडेंट वेदांत कुमार के मुताबिक कोरोना के मरीज़ो की संख्या में बेतहाशा वृद्धि के बावजूद राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी को परिस्थितियां परीक्षा के माकूल लगना अपने आप मे विचित्र है।
सरकार और एनटीए का क्या कहना है?
स्टूडेंट्स के लगातार दबाव के बावजूद एनटीए परीक्षा आयोजित करने की पूरी तैयारी में है। संस्था ने एक नोटिस जारी कर कोविड-फ्री परीक्षा कराने के नियम बताए हैं, परीक्षा केंद्रों पर स्टूडेंट्स की संख्या कम करने, सैनिटाइजर और पानी ले जाने की इजाज़त देने, सामाजिक दूरी के पालन करने समेत कई अन्य निर्देश शामिल हैं।
11 राज्यों के 11 स्टूडेंट्स द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के जवाब में एनटीए की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को यह विश्वास दिलाया कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी सभी ज़रूरी सुरक्षा व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए इन परीक्षाओं को आयोजित करवाएगी।
उच्चतम न्यायालय ने इस आधार पर स्टूडेंट्स की याचिका को खारिज़ करते हुए कहा कि परीक्षाओं के आयोजन को और स्थगित करने से स्टूडेंट्स का भविष्य खतरे में आ जायेगा।
राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के तमाम दावों के बावजूद स्टूडेंट और अभिभावक हलकान है। पिछले कुछ दिनों में हुई परीक्षाओं में SOP यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर का पूरी तरह फेल हो जाना स्टूडेंट्स के डर का मुख्य कारण है।
यूपी में हुई बी.एड की परीक्षा हो या कर्नाटक का कॉमेडके, परीक्षा केंद्र पर सामाजिक दूरी के नियमों की धज्जियां उड़ती नज़र आई, वहीं इन दोनों परीक्षाओं के बाद इनमें शामिल परीक्षार्थियों में से कई स्टूडेंट्स कोरोना पॉजिटिव पाए गए। ऐसे में एनटीए द्वारा अपेक्षाकृत अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या वाले इन परीक्षाओं का सफल आयोजन सन्देह के घेरे में है।
स्टूडेंट्स के साथ इस मुहिम में अब बड़ी संख्या में सेलिब्रिटी, राजनेता और यूटूबर्स भी जुड़ गए है। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी, लोजपा सांसद चिराग पासवान समेत कई नेताओं ने शिक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर परीक्षाओं के आयोजन को टालने की मांग की है।
वहीं, दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार पर निशाना साधते हुए परीक्षाओं के आयोजन को अभ्यर्थियों के स्वास्थ्य और ज़िन्दगी से खिलवाड़ बताया है।
JEE-NEET की परीक्षा के नाम पर लाखों स्टूडेंट्स की ज़िंदगी से खेल रही है केंद्र सरकार. मेरी केंद्र से विनती है कि पूरे देश में ये दोनो परीक्षाएँ तुरंत रद्द करें और इस साल एडमिशन की वैकल्पिक व्यवस्था करे.
अभूतपूर्व संकट के इस समय में अभूतपूर्व कदम से ही समाधान निकलेगा. @DrRPNishank— Manish Sisodia (@msisodia) August 22, 2020
हठधर्मी भाजपा सरकार कोरोना सुरक्षित परिवहन, परीक्षा केंद्र व ठहरने की व्यवस्था करे बिना अभिभावकों व परीक्षार्थियों की माँग को ध्यान में रखते हुए युवाओं को परीक्षा के लिए बाध्य न करे. #INDIAunitedtoPostponeNEET_JEE#ProtestAgainstExamsInCOVID#PostponeNEET_JEESept#AKTU_Lucknow
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 22, 2020
मशहूर यू-ट्यूबर भुवन बाम, कैरीमिनाटी और आशीष चंचलानी आदि ने भी ट्वीट कर के स्टूडेंट्स के स्वास्थ्य को सर्वोपरि रखते हुए परीक्षाओं को स्थगित करने का निवेदन किया है।
Are NEET and JEE exams getting postponed? While everyone is required to stay home and work, why to put student life at risk and not wait for situation to get a bit normal?
— Bhuvan Bam (@Bhuvan_Bam) August 20, 2020
जेईई मेन के आयोजन में एक सप्ताह का ही वक्त बचा है। ऐसे में सरकार को त्वरित फैसला लेकर इस मामले के निपटारे की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे।