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“पिछले 13 दिनों से सत्याग्रह पर रहकर सरकार से परीक्षाएं ना कराने का अनुरोध कर रहा हूं”

मैं पिछले 13 दिनों से सत्याग्रह पर हूं। सरकार से यह बात कह रहा हूं कि महामारी के दौरान किसी भी प्रकार की परीक्षा ना आयोजित की जाए। बढ़ते कोरोना संक्रमण के साथ-साथ बिहार, असम, बंगाल और अन्य राज्यों में बाढ़ की भयंकर स्थिति है।

साथ ही कई राज्यों-ज़िलों में लॉकडाउन लगा हुआ है। यातायात की अनियमित और असुरक्षित व्यवस्था है। ऐसे में, लाखों स्टूडेंट्स को बिना बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था किए, बिना स्टूडेंट्स की समस्याओं को सुने, परीक्षा आयोजित कराना लाखों स्टूडेंट्स के साथ अन्याय है।

स्टूडेंट्स की बातों को अनसुना करते हुए सरकार परीक्षा आयोजित कर रही है। कल से शुरू BHU प्रवेश परीक्षा में अधिकांश स्टूडेंट्स अनुपस्थित थे। पिछले दिनों आयोजित यूपी बी.एड और बीईओ की परीक्षा में क्रमशः 20% और 55% स्टूडेंट्स अनुपस्थित रहे।

फिर भी सरकार कोरोना के समय में परीक्षाएं करा रही है, इन लाखों स्टूडेंट्स के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी आखिर कौन लेगा?

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लाखों स्टूडेंट्स सत्याग्रह कर रहें हैं कि महामारी, बाढ़, लॉकडाउन को देखते हुए परीक्षाएं स्थगित कर दी जाएं। स्थिति सामान्य होने या बुनियादी सुविधाओं का इंतज़ाम कर परीक्षाएं दोबारा आयोजित हों लेकिन सरकार जिस प्रकार से स्टूडेंट्स की आवाज, समस्याओं और हित को नज़रअंदाज़ करते हुए परीक्षा करवा रही है, लाखों स्टूडेंट्स और उनके परिजनों के साथ यह एक तरह का खिलवाड़ है।

करोड़ों मज़दूरों की दयनीय हालात का घाव अभी भरा नहीं है। करोड़ो मज़दूरों को जिस विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित किया गया, अब यही हाल लाखों स्टूडेंट्स और उनके परिजनों के साथ हो रहा है।

इस अन्याय के खिलाफ सत्याग्रह जारी है।

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