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“मस्तराम की कहानियां पढ़ने वाला समाज सेक्स पर खुलकर बात करने से क्यों कतराता है?”

इंडिया में सेक्स पर जोक्स बनते हैं, फिल्मे बनती हैं, मीम्स बनते हैं, सेक्शुअल फंतासी से भरी हुई मस्तराम की कहानियां लिखी जाती हैं, दबे छुपे खजुराहो के मंदिरों की फोटोज़ के पन्ने पलटे जाते हैं और तो और इंटरनेट पर तमाम तरह की पॉर्न फिल्में तलाश की जाती हैं।

इन सबके लिए हम भारतीय मॉडर्न हैं लेकिन जब बात आती है कि इस मुद्दे पर खुलकर बात करने और इनसे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने की तो हम सभी चुप्पी साध लेते हैं और तो और बात करने का विषय ही बदल दिया जाता हैं। हम सब खुलकर इस विषय पर बात करने से क्यों बचते हैं?

चरित्र पर सवाल उठने का भय!

जैसे ही टीवी पर सेक्स या रोमांस से जुड़ा कोई सीन सामने आता है, तो बच्चों  के सामने या परिवार वालों के सामने हम इधर-उधर देखने लगते हैं या टीवी बंद कर देते हैं। किसी एडल्ट मैगज़ीन को कोर्स की किताबों  में रखकर पढ़ते हैं तो कभी कमरा बंदकर अकेले में उसमे बनी तस्वीरों में हाथ फेरते रहते हैं।

दोस्तों के सामने गंदे मज़ाक को आम बातों की तरह खुलकर तो लेते हैं मगर सेक्स के मुद्दे पर चर्चा करनी हो तो बगलें झांकने लगते हैं।

किसी अखबार या मैगज़ीन में सेक्स, बलात्कार या ऐसी कोई भी खबर या कहानी जो सेक्स से किसी भी तरह से जुड़ी होती हैं तो उसे हम बड़े ही चाव से पढ़ते हैं। उसको पढ़ने का और उसकी कल्पना करने का जो रोमांच होता है, उस लोभ को कंट्रोल करना भी मुश्किल लगता है।

लेकिन सब हम सबसे छुपकर करते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि किसी परिवार वाले या दोस्त को यह पता चलने पर हमारे चरित्र पर सवाल खड़े हो जाएंगे।

बच्चों के लिए भी सेक्स एजुकेशन बेहद ज़रूरी

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Getty Images

सेक्स और रोमांस का सीधा संबंध हमारी मानसिक और शारीरिक ज़रूरतों से होता है। हर व्यक्ति की अपनी अलग तरह की ज़रूरत होती है, जिसे समझना उस व्यक्ति के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसके साथ ही उसके परिवार वालों को, उसके सेक्स पार्टनर को भी इसका पता होना चाहिए।

सेक्स को कोई ज़ोर-जबरजस्ती से हासिल की हुई चीज़ समझना ही हमारी सबसे बड़ी गलती होती है। इसलिए इसे सही तरीके से समझना बेहद ज़रूरी होता है। बच्चों के लिए भी सेक्स एजुकेशन बेहद आवश्यक होती है, क्योंकि पर्याप्त जानकारी के अभाव में वे गलत माध्यमों से अपनी जिज्ञासा मिटाने की कोशिश में कई बार गलत भ्रांतियों को लेकर अपनी अलग अवधारणा बना लेते हैं। कई बार उन्हें पता ही नहीं होता है कि उनके साथ किसी तरह का मोलेस्टेशन हो रहा है।

हमें समझना होगा कि प्यार और सेक्स का एक साझा संबध होता है लेकिन इसे सही तरीके से समझे बिना कोई भी गलत धारणा तैयार करना खुद के साथ दूसरों के लिए भी हानिकारक है। हमें अपने दोस्तों से या परिवार में (जिस व्यक्ति से आप  खुलकर बात कर पाएं) इस बारे में बात कर पाने का माहौल बनाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि आप अपनी किसी की तरह की जिज्ञासा का सही तरीके से समाधान पा सकें।

इंटरनेट पर भी कई तरह की भ्रामक और गलत जानकारियों को सही मानने से पहले इस मुद्दे पर खुलकर बात करें। यही सही मायनों में आधुनिक सोच की परिचायक होगी।

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