कश्मीर समस्या के मुद्दे भारत संयुक्त UN सुरक्षा काउंसिल की पुराने एजेंडा की लिस्ट में डालने के लिए आतुर नजर आ रहा है ,मतलब इस समस्या को कुछ ठन्डे बस्ते वाले मुद्दों में डाल दिया जाएँ जिनपर काफी चर्चा हो चुकी है परन्तु अब इनका कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है Iइस सम्बन्ध में प्रस्ताव के पारित होने से चीन और पाकिस्तान बार बार कश्मीर का मुद्दा काउंसिल के सामने नहीं उठा पाएगा जिसे वो काफी समय से उठाना चाह रहे है, परन्तु बार अनाधिकारिक मीटिंग हो पाती है जिसकी कोई खास अहमियत नहीं होती क्योकि इस मीटिंग में कोई नोट नहीं लिखा जाता एवं न ही कोई दिशानिर्देश लिखित रूप से जारी किये जाते है I दूसरी ओर पाकिस्तान बार बार मुद्दे को UN के सामने उठाना चाहता है, UN में उनके प्रतिनिधि UN के अध्यादेश 47 के नियमो को लेकर बात रखते आए है, जिसे अब तक भी लागू नहीं किया जा सका है , अध्यादेश 47 21 अप्रैल 1948 को सामने आया था जिसमे UN की तरफ से इसपर कहा गया था कि समस्या को हल करने के लिए पहले पाकिस्तान को कश्मीर से (पाकिस्तान अधिकृत एवं भारतीय कश्मीर ) से पहले अपने “लोगो” को वापिस बुलाएइ (यहाँ पर उन “लोगों” को वापिस बुलाने की बात कही है जिन्होंने कश्मीर पर कब्जे के लिए हमला किया था)I फिर भारत अपनी सेना को कश्मीर क्षेत्र से कम करेगा तथा हालत के समान्य होने पर UN का प्रतिनिधि दल क्षेत्र का दौरा करंगे, एवं हालत के माकूल पाए जाने पर यहाँ लोगो से जनमत संग्रह कराया जायगा जिसमे लोग स्वेच्छा से भारत या पाकिस्तान को चुन सक्रते हैI
अगर इतिहास एवं वर्तमान स्तिति को देखे तो यह स्तिति कभी कश्मीर में आ ही नहीं सकी है, जिसमे पाकिस्तान की तरह से सेना या “लोगों” को वापिस बुलाने या क्षेत्र से कम करने की बात की गयी होI यहाँ तक की पाकिस्तान ने इस क्षेत्र की परिस्थियों में काफी जबरन बदलाव लाने की कोशिश की जाती रही है, चाहे वो सिंध या पंजाब प्रान्त के लोगों को यहाँ लाकर बसाना हो या क्षेत्र की हिन्दू आबादी को प्रताड़ित करनाI
दूसरी ओर भारत पाकिस्तान के बीच में परिस्थति हमेशा तनावपूर्ण ही रही हैI जिससे वर्तमान स्तिति को देखते हुए UN भी इस मुद्दे को ठन्डे बक्से में रख के बैठा है I परन्तु भारत इससे अधिकारिक तौर पर पुराने एजेंडा की लिस्ट में रखना चाहता है,क्योकिं 1965 के बाद UN काउंसिल में अधिकारिक तौर पर कभी चर्चा नहीं की गयी है I परन्तु सवाल यह है कि भारत की इस कोशिश को वीटो धारी चीन कितना कामयाब होने देता है,वह तो वक्त ही बताएगाI