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अखलाक के हाथ के साथ देश में सर्वधर्म को बढावा देने वाली सोच को भी काटा गया है

भारत में हमेशा से ही सब धर्म के लोग साथ में रहे हैं इसलिए हर धर्म से जुड़ी कुछ बाते सर्वधर्म बन गयी हैं यानी कुछ ऐसी बातें या स्थान जिन्हें हर धर्म के लोग मानते हैं । कुछ उदाहरण हैं महाराष्ट्र में होने वाली गणपति पूजा और विसर्जन जिसमें सभी धर्म के लोग बढ़ चढ़ के हिस्सा लेते हैं । मुंबई में स्थित हाजी अली दरहाग जहाँ सभी धर्म के लोग जाते हैं । अमृतसर में स्थित गोल्डन टेम्पल (गुरुद्वारा) वहाँ पूरे देश से हर धर्म के लोग आते हैं ।

ऐसे ही अगर एक नंबर इस देश में सर्वधर्म है तो वह है 786 । इस नंबर पर सभी की आस्था रही है । मैंने बचपन में अपने साथ पढ़ने वाले कितने ही हिन्दू बच्चों को इस नंबर के नोट इक्खट्टे करते देखा है जिसे वह कभी खर्च नहीं करते थे । बड़ा हुआ तो देखा कि दोस्त कोशिश करते थे कि उनकी मोटर साईकल या स्कूटी को ऐसा नंबर मिल जाए जिसमें 786 आता हो । 786 नंबर के लॉकेट और ब्रेसलेट कई हिन्दू दोस्त बहुत शान से पहनते थे । यहाँ तक कि इसी देश में एक फ़िल्म भी बन चुकी है बिल्ला नंबर 786 जिस फ़िल्म के हीरो भी एक हिन्दू मिथुन दा थे और फ़िल्म के अंदर भी उनका नाम शंकर था । शायद आज के नफरत के माहौल में लोग आपको यह बता ना पाएं पर आज भी मैं ऐसे बहुत से हिंदुओं को जानता हूँ जो 786 नंबर का नोट मिलते ही उसे संभाल के रख लेते हैं और खर्च नहीं करते और यह बच्चे नहीं हैं मुझसे भी उम्र में बहुत बड़े लोग हैं ।

अखलाक का हाथ जो इसलिए काटा गया है क्योंकि उस पर 786 लिखा हुआ था वह सिर्फ अखलाक का हाथ नहीं है बल्कि पूरे भारत की सर्वधर्म को अपनाने वाली सोच का हाथ काटा गया है । अखलाक के हाथ के साथ साथ इंसानियत का भी हाथ कटा है जो अब इस देश में रोज़ मर रही है । आवाज़ उठाईए अखलाक के लिए भी और इंसानियत के लिए भी । इंसाफ और हक की आवाज़ बनिए ।

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