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कंपनी के विनिवेश के पीछे सरकार की मंशा

सरकारी क्षेत्र में बढ़ते नुकसान को देखते हुए भारत सरकार ने 34 बड़ी कंपनियों को निजी हाथों में बेचने का फैसला किया है. मोदी सरकार 2014 में इसी स्ट्रेटजी के साथ सरकार में आई थी और अब अपनी स्ट्रेटजी को वो अमल में लाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
इस विषय में वित्त मंत्रालय से अनुराग ठाकुर ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजानिक उद्देश्य को ध्यान में रख कर ये फैसला लिया गया है. 2014-2019 तक सरकार ने विनिवेश के जरिए 2.8 लाख करोड़ रुपये जुटाए जो 2004- 2014 की तुलना में अधिक था जबकि 2004- 2014 के बीच 1. 07 लाख करोड़ रुपये जुटाए.
यूं तो विनिवेश का मुख्य उद्देश्य कंपनियों को नुकसान से उबारने के लिए बताया गया. लेकिन जो संदेहास्पद और अजीब बात वित्त मंत्रालय से सामने आई वो ये है कि सरकार मुनाफा कमाने वाली कंपनियों को भी बेच रही है. सरकार के इस कदम के पीछे का उद्देश्य को अभी साफ नहीं है लेकिन इससे सरकार की मंशा पर सवालिया निशान ज़रूर खड़ा हो गया है.
इससे पहले पाँच कंपनियों जैसे CCI, BPCL तथा SCI जैसी कंपनियों का 100% विनिवेश हो चुका है. इसके साथ ही साथ सरकार AIR INDIA और LIC जैसी कंपनियों का 100% विनिवेश करने का प्लान बना रही है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार PSU को बेचने की बजाये सरकार को सिंगापुर मॉडल ऑफ इफिशियंट कन्ट्रोल को अपनाकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके. कई देशों में PSU अहम भूमिका निभा रहे हैं और भारत के लिहाज से भी PSU 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने में मददगार साबित हो सकता है.

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