Site icon Youth Ki Awaaz

मायानगरी

गुमशुम, मासूम सा बच्चा

     सपने बुन के चला था
सपनों से अपनों की दूरी में
     रिश्ता मजबूरी से जोड़ लिया
सपनों की तलाश में घर अपना छोड़ा
    नशे, धुएं की आदत ने उसको
गलत राह पर छोड़ दिया,
       गुमशुम , मासूम सा बच्चा
 सपने बुन के चला था।।
 
सपनों की मायानगरी ने खेल ऐसा खेला
    पढ़ाने में होशियार बच्चा, मारा मारा फिरता
राह ठानी थी जिसने, सत्य के विजय की
     झूठे  के पथ वो चल पड़ा,
गुमशुम ,मासूम सा बच्चा
    सपने बुन के चला था।
 
 नशे की लत में युह पड़ा वो,
        होश ना आया उसे दिनों तक
चरस, गांजे,के शौक में लूटपाट 
          मचा दी उसने,
देश, विदेश, से ड्रग्स ले आते
         रात दिन सब नशे में डूब जाते
दुनिया दारी से दूर चल पड़ा था,
          गुमसुम,मासूम सा बच्चा
सपने बुन के चला था।।
 
होने लगी पैसों की तंगी,
  लालायित रहता नशे की खातिर
चोरी, डकैती, लूटपाट से मन भरा
    लगे, करने मासूमों के खून।
गुमशुम, मासूम सा बच्चा
     सपने बुन के चला था।।
 
सनकी बनके खून अब करता
    मासूमों में जख्म अब करता
नशे, की लत में मासूम का
      नाम रख दिया “सीरियल किलर”
मासूम सा बच्चा अंधकार में फसा वो
       सपनों की दुनिया में किलर बन गया बेचारा
गुमशुम , मासूम सा बच्चा
   सपने बुन के चला था।।
 
 
“सीरियल किलर” कविता में  एक मासूम बच्चा बड़ा होकर कैसे हत्यारा बन जाता है, बचपन में वह सपनों कि दुनिया में रहता है, हमेशा सच की राह पर चलने का प्रण लेता है।
परन्तु जब बड़ा होने के बाद अपने सपनों को पूरा करने के लिए शहर जाता है, तो वह माया जाल में फस जाता है, धीरे धीरे उसे नशे कि आदत लग जाती, है चोरी लूटपाट में पैसे नहीं मिलते तो वह मर्डर करने लग जाते है।।
Exit mobile version