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रघुराम राजन ! एक था टाइगर ?

हाल में ही भारत देश  की पहली तिमाही के जीडीपी के  आ गए हैं और इसमें  जीडीपी -23.9 प्रतिशत दर्ज की गयी हैI  इस पर हमारे पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की एवं कुछ सुझाव भी दिए है, अगर उनके सुझाव रुपी ब्लॉग को ध्यान से देखे तो  यहां पर सबसे पहले डॉ राजन का कहना है  कि  जीडीपी का  -23.9 काफी ज्यादा खराब है I यह और भी ज्यादा खराब हो सकता था अगर इसमें असंगठित सेक्टर को भी जोड़ दिया जाताI उनके अनुसार  इटली और अमेरिका में सबसे ज्यादा कोविड का प्रभाव रहा है  लेकिन फिर भी  इटली की जीडीपी  -12.4 हैं और अमेरिका की -9.5 है, जो तुलना करें तो भारतीय जीडीपी के काफी ख़राब होने के  संकेत देता है I  यह महामारी लगातार फैल रही है एवं  ऐसा फिलहाल कुछ दिख नहीं रहा है, जिससे इसे जल्दी से रोका जा सके एवं जैसे जैसे समय बढ़ रहा है इसका प्रभाव बढ़ता  ही जा रहा है सारे उद्योग धंधे  इससे प्रभावित हैI  परिणाम स्वरुप बाजार से जुड़ा हर वर्ग इसकी चपेट में है, परिस्तिती ऐसी है जिसमे सरकार का रोल  काफी अहम् हो जाता हैI परन्तु रघुराम राजन जी के अनुसार  जो सरकार ने अभी तक किया है वह काफी कम है, चाहे उसमें  सरकार द्वारा राशन का बांटा  जाना  हो, लोन की किश्त  के बारे में बातें  हो या छोटे लघु उद्योग के संबंध में जो जारी किया गया पैकेज हो I उन्होंने इस  बात की तरफ  इसलिए इशारा किया क्योंकि  कही या कहीं उनका मानना यह है कि, केंद्र सरकार अभी अपने पैसों को या कहे संसाधनों को बचा कर रखती नजर आ रही है,शायद उनके मन में कहीं ना कहीं यह डर है कि यह कुछ लंबा खिंच गया तो आगे कोई और हालत बिगड़ते है या वर्तमान स्तिति बनी रहती है  तो उस समय सर्कार के पास पैसा नहीं होगा, और हो सकता है कि  उस परिस्थिति में सरकार को  शायद ज्यादा पैसा खर्च करना पड़े, इसलिए सरकार आज हाथ रोक के खर्च करती नजर आ रही हैI इस पर  डॉ राजन का कहना है कि, यह स्ट्रेटजी जो सरकार अपना रही है वह सही नहीं हैI  उसके लिए उन्होंने कुछ उदाहरण दिए हैं उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि मान लीजिए हमारी  इकोनामी एक मरीज की तरह है, जिस मरीज को सबसे पहले आवश्यकता है कि उसको सर्व प्रथम उसको आराम दिया जाए, उसकी दवाइयां दी जाए ताकि वह इस बीमारी से जल्द से जल्द  ठीक हो सकें और वर्तमान हालात यह है कि देश के सभी हाउसहोल्ड ,आज अपने आपको पेशेंट की तरह देख रहे हैं एवं आराम एवं दवाई की उम्मीद कर रहे है अर्थात कि अगर उसके हाथ में पैसा नहीं जाएगा तो वह अपने बच्चों की फीस नहीं भर पाएगा, घर की ईएमआई नहीं दे पाएगा,अपने लोन नहीं चुका पाएगा, अपने उद्योगों को पुन चालू नहीं कर पाएगा  और जो अपने दिन प्रतिदिन होने वाले खर्च हैं उसको कम कर सकता है कि वह इन सब चीजों में से कुछ चीजें हमेशा के लिए बंद कर देंI  मतलब अपने बच्चों को पढ़ाई बंद कर दे, उन्हें काम पर लगा दे या फिर अपने घर की किस्त देनी बंद कर दे I जो छोटे उद्योग है वो अपने लोगों को तनखा नहीं दे पाए, उसका कर्ज बढ़ता जाए,और  शायद उसे कीमत्न भी प्रभावित हों I यह जो समस्या है उसको अभी हमें अभी देखने की एवं सुधार की जरूरत है वरना आगे आगे और भी भयंकर रूप ले सकती हैI  जो आप पैसा मार्केट में डाल दे उसे टॉनिक  की तरह इस्तेमाल करना होगा जिससे यह  आगे जाकर हमें रिकवर करने में मदद करेगा और आगे जाकर हम बच पायंगे I आज महामारी का भार इतना बढ़ रहा है कि शायद आगे तक वह बचे ही ना रह  पाएI  तो सरकार को जरूरत है कि सरकार अभी इन मुद्दों पर ध्यान दे अन्यथा रिकवरी  करने के सपने सपने बनकर ही रह जाएंगे और भविष्य के बजाय हमें आज ही खर्च करने की जरूरत हैI  

 उन्होंने बताया  जो सरकारी बाबु ,जो “V”  शेप रिकवरी बता रहे हैं, वह सब भ्रम में उन्होंने इस बात का उदाहरण दिया कि अमेरिका ने अपनी जीडीपी का लगभग 20% खर्च कर चूका है (कर्जमाफी वगैरा,बेरोजगारों को भत्ता देने आदि )लेकिन फिर भी यह माना जा रहा है कि 2021 के अंत में जाकर भी वह पुरानी  जीडीपी नहीं पकड़ पाएंगेI  डॉ राजन का बार-बार यही कहना है कि सरकार को यहां पर ज्यादा से ज्यादा खर्च करने की आवश्यकता है, लेकिन उनका मानना है कि भारत ज्यादा से ज्यादा लोन ले और अपने मार्केट में लिक्विडिटी को बढ़ाएं  रखें जिसकी वजह से वह लम्बे समय तक सहारा पा सकती है I सरकार को इस पर कानून लाना चाहिए और जिसमे  यह बताएं कि अगर हम अभी ज्यादा खर्च करने वाले है  लेकिन जैसे-जैसे महामारी खत्म होती है तो, हम अपने खर्च पर कंट्रोल करना शुरू करंगे ,कि आगे जाकर सरकार  और ज्यादा खर्चे नहीं बढाए जाएँगे I

 रघुराम राजन ने  खर्च करने के लिए  मनरेगा क्षेत्र को  काफी उपयुक्त बताया,  उन्होंने बताया कि मनरेगा से  ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बड़े स्तर पर जुड़े हुए है जिन पर हम सीधा खर्च कर सकते हैंI  उन्होंने एक बात का जिक्र और किया कि जो लोगों को  कैश ट्रांसफर किया जा रहा है उसे शहरी क्षेत्रों  में ज्यादा खर्च करना चाहिए क्योंकि उनके अनुसार गांव में तो छोटी मोटी योजनाएं चलती ही रही है, लेकिन जो शहर में लोग रह रहे हैं उनकी परिस्थिति उनके अनुसार कुछ ज्यादा ही खराब हैI  इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने बैंक सुधार के लिए जल्द से जल्द अपनापैसा देना चाहिए अर्थात  जो सर्विस सरकार ने ली  है उसका बकाया  बैंक को चुकाया जाना  चाहिए, ताकि जो पैसे की तरलता बनी रहे और जिसकी वजह से कंपनी उद्योगों के पास ज्यादा से ज्यादा पैसा आ सकेI  रघुराम राजन ने  छोटे-छोटे कारोबार के बारे में कहा कि  छोटे कारोबारियों को जीएसटी टैक्स रिबेट देना चाहिए, कारोबारियों को कारोबार के लिए अच्छा माहोल देना चाहेये  ताकि  कारोबारी अपने कार्य पर वापस लौट आए, अन्यथा उनके पूरी तरह से खत्म होने का काफी डर हैI  पब्लिक सेक्टर बैंक को रीकैपिटलाइज करने के सुझाव दिए क्योंकि उनके अनुसार  आने वाले समय में बहुत सारे एनपीए होने वाले हैं एवं  बहुत सारे लोग शायद बैंक का पैसा चूका ही नहीं पाएं जिससे बैंक पर बोझ बढेगा इसलिए बैंकिंग ढांचे को सुधारने के लिए काफी कुछ किया जा सकता हैI  इसके अलावा उन्होंने प्राइवेट फर्म के रोल के बारे में भी बात की जिसमें ऐमेज़ॉन, रिलायंस, वॉलमार्ट जैसे सप्लायर है जिनके व्यापार पर बहुत कम ना के बराबर ही प्रभाव पड़ा हैI इनके बारे में रघुराम जी कहते है कि अगर यह बड़े ग्रुप अगर अपने छोटे  छोटे  सप्लायर हैं या इनपर आश्रित उद्योग को कुछ क्रेडिट फैसिलिटी/पैसा  दे तो उससे  ज्यादा उनकी काफी मदद की जा सकती है I  छोटे स्पलायर को  फंड भी दिया जाना चाहेये  तभी उनको खत्म होने से बचाया जा सकता हैI  रघुराम राजन जी ने  भविष्य में  जो पैसे से लेकर समस्या होने वाली है, उसके बारे में उन्होंने लिखा है उनका यह कहना है कि जिन  लोगों ने अपने घर के लिए, कार के लिए या अपने काम धंधे के लिए लोन लिया है,उसके संबंध में सरकार को कोई ऐसा प्रावधान लेकर आना चाहिए जिससे उन्हें डूबने से टूटने से बचाया जा सके I उनको एक तरह से विश्वाश में लिया जाए कि आपका पैसा नहीं डूबने के कगार पर नहीं है (लोन लैप्स नहीं होंगे )I डॉक्टर राजन का मानना है कि सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर पर और ज्यादा खर्च करने की जरुरुत है, क्योंकि कंस्ट्रक्शन की वजह से बहुत ज्यादा नौकरियों का उदय होता है ,कई सरे  छोटे-छोटे सेक्टर उससे बनकर आते हैं क्योंकि यह देश के मूलभूत सेक्टर है जो सीधे तौर से ग्राउंड से जुड़े हुए हैं और सीधा सीधा हमारे जी डी पी को दुरुस्त  करने में मदद करेंगेI  उन्होंने यह कहा कि राज्य सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर ज्यादा पैसा खर्च करती है, तो एक तरह से केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को मदद करनी चाहिए या उनके फंड बढ़ा देना चाहिएI  इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसा ट्रांसफर होने के लिए जीत सुनिश्चित की जा सकती हैI

 निर्यात को लेकर भी उन्होंने काफी सारी चीजें सुझाई है, उन्होंने यह बताया कि भारत के मुकाबले विश्व के बाकि देश  जल्दी ही रिकवर कर जायंगे , इसीलिए  भारत सरकार अपने एक्सपोर्ट का फायदा उठा सकता है, इसलिए जो अभी हाल में टैरिफ बढ़ाएं उनको टैरिफ को कम करना चाहिए और कम से कम टैक्स अपने सामान को अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतारना चाहिए, जिसकी वजह से वहां का प्रतिस्पर्धा झेल  सकेI

 इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में भूमि अधिग्रहण  की,मजदूर  की, कार्य क्षमता की फाइनैंशल सेक्टर आदि चीजों में कई अड़चनें आ रही है,तो इसके संबंध में सरकार को कुछ कदम उठाने चाहिए जिसकी वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को और तेजी से लाया जा सकेI  हालांकि उन्होंने इस बात की सराहना की कि कृषि क्षेत्र में जो सरकार द्वारा सुधार लाए  गए हैं वह काफी अच्छे हैं ,इसी तरह दूसरे चीजों में भी इन्फॉर्म लाने की आवश्यकता है I

निष्कर्ष यह है कि भारत को मजबूत वृद्धि की  बहुत ज्यादा आवशयकता है, यह लोगों को रोजगार देने के साथ-साथ भी अपने पड़ोसी मुल्कों को भी सही जवाब देने में काफी अहम हैI उन्होंने भारत के नौकरशाहों  की तारीफ करते हुए कहा कि वो काफी मेहनत कर रहे है परन्तु उनको अपनी संकुचित  सोच से बाहर निकलकर ज्यादा पैसे खर्च करने की पॉलिसी के सुझाव बढ़ाने चाहिए।

अब इस पर आगे देखने लायक ही होगा कि सरकार रघुराम राजन के सुझाव को अपनाने की कोशिश करती है या सुझाव समझकर छोड़ देती है

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