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वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने का डिजिटल सच अद्भुत है!

अरे भैया ई बिहार है , यहाँ डिजिटल का मतलब ही बेवकूफ बनाना होता है।
 
उ कहते है ना कि अंधेरी नगरी चौपट राजा, बिल्कुल वही हालत है अपन बिहार का। हमरा जैसन आदमी को इतना तकलीफ है तो हमर भाई का तो पूछिये ही मत। कहने को सब डिजिटल है लेकिन सब कुछ ठप है क्यों कि ये बिहार है। नीचे दो तस्वीरे है जो आपको बिहार के राजधानी पटना की है हालत बताती है।
 
पहली तस्वीर ड्राइविंग लाइसेंस लर्निग के लिए है ये जो ऑनलाइन अप्लाई करने के बाद प्राप्त होता है, इसके दूसरे नंबर पर लिखे हुई बातों को पढियेगा तो डिजिटल होने के नाम पर ये सिर्फ बेवकूफ बना रहे है। आप सारा काम ऑनलाइन कर दिजीये लेकिन उसके बाद भी वो मान्य नही होगा , आपको प्रिंट लेकर जमा करने जाना होगा और उसमें पूरा दिन चला जायेगा।
 
दूसरी तस्वीर नए वोटर को जोड़ने का रिसीप्ट है लेकिन वो भी पूरा डिजिटल के नाम पर बस खेल कर रहे है। फॉर्म भरने पर एक BLO की नियुक्ति की जाती है जो कभी घर तक या हम तक पहुँचते ही नही है, हमारे घर पर पीज़ा, अमेज़न और फ्लिपकार्ट का पार्सल जरूर पहुच जाता है लेकिन ये पता नही यही का होकर हमारे घर तक कभी नही पहुँचते है।
 
मेरा ये कहना कि हम इस चीज को डिजिटल ही वेरीफाई क्यों नही कर देते है जब आपके पास मेरा आधार है, पैन कार्ड है, पासपोर्ट है यहाँ तक कि दसवीं क्लास का मार्कशीट भी। बिल्कुल वैसे ही जैसे आपने उद्योग आधार को किया है। हांलाकि जब आप डिजिटल की बात करते है तो उसका सीधा मतलब होता है की आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठे हो आपका काम चंद मिनटों में हो जयेगा, आपको किसी भी तरह की समस्या नही होगी लेकिन हमारे यहाँ सिर्फ फॉर्म भरने की प्रक्रिया को डिजिटल कर दिया और उसके बाद का सारा काम ऑफलाइन ही रखा गया जिसका असर ये भी है की पारदर्शिता नही हो पायी और काम भी धीमा हो गया|
 
मेरे घर से 3 लोग नए वोटर है और मेरे कॉलोनी से करीबन 200 लेकिन चार चार बार ऑनलाइन और ऑफलाइन अप्लाई करने के बाद भी पिछले तीन साल से वोटर में नाम नही जुटा है ।
 
मैं चाहू तो एक फोन घुमाकर अपना ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर कार्ड आराम से बनवा सकता हूँ लेकिन आज मेरा सवाल ये है कि मैं इतनी छोटी और निजी बात के लिए फोन क्यों करू। दूसरा पहलू ये भी है कि किसी भी युवा को इस वोटर कार्ड से कोई फायदा नही है तो फिर वो क्यों इतना माथा पच्ची करेगा, युवा आज अगर थोड़ा समय निकाल कर फॉर्म ऑनलाइन या ऑफलाइन भर देता वो भी बहुत है लेकिन सरकारी अफसरों की ये हालत दयनिय है।
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