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वो तस्वीर

वो मेरे सामने बैठी थी , लाल सूट और सर में बिल्कुल सफेद सा एक हेयर बैंड जैसा कपड़ा था उसका एक हाथ उसके बालो को सहला रहा था वो रेशम से उसके हल्के सुनहरे बाल उनको देखकर ऐसा लग रहा था जैसे सुबह की सूरज की पहली किरण निकल कर सारे संसार मे अपनी सुनहरी रोशनी फैला रही हो, बीच मे उन बालों से खेलती उनको सहलाती उसकी कमल सी पंखुड़ियों जैसी उंगली , बार बार बालो से उलझ रही थी कभी कोई बालों की लट उंगली के ऊपर होती थी तो कभी उसकी उँगलियां बालों के ऊपर समझ मे नही आ रहा था उसकी उंगलियां बालो को सहला रही थी या उसके रेशमी बाल उसकी उंगलियों को सहला रहे थे , वो मेरे सामने बैठी थी और मैं अभी भी उसके हाथ और उसके बालों को देख रहा था मेरे मन मे एक भावनाओं का एक समंदर सा हिलोरें मार रहा था मैं सोच रहा था भगवान ने कैसे कितनी मेहनत करके उसके एक एक अंग को बनाया होगा , मेरी नजरे थोड़ा सा ऊपर उठी तो जाकर उसकी नजरों में अटक गई वो तिरछी नजर से एक हल्की सी मुस्कान के साथ मुझे देख रही थी उसकी प्यारी सी हल्की सुर्ख आंखों में एक सम्मोहन सा था पता नही क्या था जो किसी को भी एक नजर में सम्मोहित कर सकता था , ऐसा लगा जैसे मेरी नजरे उसकी नजरो से टकराकर फ्रीज हो गई थी मैं उसकी आँखों मे एकटक देखे जा रहा था मुझे उसकी आँखों के हल्के लाल रेशे दिख रहे थे उसकी आँखों की कशिश दिख रही थी ऐसा लग रहा था जैसे एक नशा है उनकी आँखों में जिसे देखने के बाद कोई भी अपने होश खो दे , वो पल वही पर रुक गया था मैं उसकी आँखों की गहराई में उतरता चला रहा था मुझे न तो खुद का पता था न अपने आस पास का बस मुझे उसकी आँखे अपनी तरफ खींचती चली जा रही थी , ऐसा लग रहा था कि मेरी आत्मा मुझसे निकल कर इसकी आंखों में समाई जा रही थी , वो अभी भी मेरी तरफ वैसे ही तिरछी नजर से देख रही थी और मैं सहमा सा सम्मोहित सा उसकी आँखों को देखे जा रहा था , मुझे नही पता था कितनी देर तक मैं उसकी नशीली आँखों के नशे में डूबा रहा , मैं एक दम से होश में आया और मेरी नजरें थोड़ा सा उसकी आंखों से हटकर उसके चेहरे पर आ गई थी वो अभी भी हल्का सा मुस्कुरा रही थी , उसकी हल्की सी मुस्कान की वजह से उसके ऊपर के कुछ सफेद दूध से दांत दिख रहे थे , उसका प्यारा सा मासूम चेहरा इतना खूबसूरत लग रहा था जैसे स्वर्ग से कोई परी धरती पर आ गई हो, सुदंरता की प्रतिमूर्ति थी वो , शायद स्वर्ग की कोई अप्सरा भी इतनी मासूम और खूबसूरत नही होगी जितनी कि वो लग रही थी , मैं अभी भी चुपचाप उसके चेहरे को देख रहा था, वो इतनी प्यारी लग रही थी कि ऐसा लग रहा था उसे सारी जिंदगी भी प्यार करो तो कम है , उतनी मासूम सी खूबसूरत लड़की को शायद मैने पहले कभी नही तभी तो मैं अभी भी उसी की तरफ देखे जा रहा था और मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि हे प्रभु कभी इसको कोई कष्ट मत देना इसकी यह मुस्कान कभी इसके इन गुलाब सी पंखुड़ियों जैसे होठों से अलग मत होने देना , मेरी सारी खुशियाँ इसे दे देना और इसके सारे गम मुझे , मेरे दिमाग मे उस वक्त पता नही क्या क्या चल रहा था और वो सामने बैठे अभी भी मुस्कुरा रही थी , जैसे कह रही हो मुझे सब पता है आपके दिमाग मे क्या चल रहा है । जैसे ही मैने यह सोचा कि यह समझ रही है मैं क्या सोच रहा हूँ तो मैं झेंप सा गया और एक हल्की सी मुस्कान मेरे होठों पर आ गई । मेरा हाथ मोबाइल को पकड़े पकड़े अब थक गया था, मैने उसकी प्रोफाइल पिक को बंद किया और फ़ोन को साइड में रख कर अपनी आँखों को बंद करके चुपचाप लेट गया ।

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