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सरस्वती वंदना VK Sharma

हे मां शारदे,हे मां शारदे,हे मां शारदे,हे मां शारदे।
वाणी में हो शुद्धता, मेरे लेखनी को धार दे।।
प्यार दे,मोहे प्यार दे,हे मां शारदे,हे मां शारदे।।
तूं ज्योतिपुंज,तुं ज्ञान पुंज तूं ही गीत संगीत है।
तू ही महेश्वरी, तूं ही वागेश्वरी, तूं ही प्रेम प्रीत है।।
मैं अबुझ अज्ञानी, तूं मुझ पर ज्ञान बुद्धि वार दे।
हे मां शारदे हे मां शारदे हे मां शारदे हे मां शारदे।।
हे विश्वा वैष्णवी सावित्री,तीव्रा सुरसा महाबला।।
हे,गोमती गोविंदा शिवा,चामुंडा चंडिका महाफला।।
दे,शरण चरणों में अपने,तम, तिमिर से तार दे।।
प्यार दे मोहे प्यार दे,हे मां शारदे हे मां शारदे।।
सूर्य समान नीखरू मैं, रोशनी बनकर बिखरूं मैं।
रोशन करूं धरती अंबर, ऐसा तूं वरदान दे।
हे मां शारदे हे मां शारदे हे मां शारदे हे मां शारदे।।
गुंगा बोले बहरा सुने लंगड़ा दौड़ लगाए।
मूर्ख बने विद्वान जो, शरण में तेरे आए।।
पापियों को तारती, दुष्टों को संवारती।
हे ममतामयी हे करूणमयी हे शूल भारती।
हे विणापाणी हंस वाहिनी, दिव्य ज्योति प्रकाश दे।
प्यार दे मोहे प्यार दे,मुझ पर भी नजर डार दे।
हे मां शारदे हे मां शारदे हे मां शारदे हे मां शारदे।।

VK Sharma

Author of Dil ki awaaz

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