Site icon Youth Ki Awaaz

9/11 की एक और कहानी

हिंदुस्तान में एक बहुत प्रचलित कहावत है कि जब पाप का घड़ा भर जाता है तो वो फूट जाता है ।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूएसए ने नाटो संगठन और सीआईए संस्था की स्थापना उसने दुनिया भर में दबदबा कायम करने और उसे बरकरार रखने के लिए किया । शांति के नाम पर शक्ति संतुलन पर अधिक ध्यान केन्द्रित करते हुए उसने लगभग हर छोटे बड़े महत्वपूण देशों के आंतरिक मामलों में दख़लअंदाजी की । सोवियत के विघटन के बाद एक ध्रुवीय दुनिया होने का यूएसए ने भरपूर फायदा उठाया । यूएसए का प्रभाव इस कदर काबिज हो गया कि यूएसए को अमेरिका नाम से ही आज पूरी दुनिया में जाना जाता है जबकि अमेरिका दो महाद्वीपों के नाम हैं ।
यूएसए की संस्था सीआईए ने लगभग सभी गैर यूएसए समर्थित लैटिन अमेरिका के देशों में अपने एजेंट लगाए, पूंजीवादी और अमेरिका विरोधी देशों में अपने पिट्ठूओं को बैठानें में पूरी ताकत लगाई चाहे वो क्यूबा हो, बोलिविया हो या चिले हो ।
अमेरिका महाद्वीप के बाहर भी यूएसए ने भयंकर तबाही मचाई जो किसी से छिपा नही है । लेकिन जब 9/11 की बात आती है तो तात्कालिक राष्ट्रपति जार्ज बुश इसे अमेरिका की सबसे विनाशकारी तबाही बताते हैं ।
ये बताते वक्त शायद वो भूल गये कि इससे ज्यादा तबाही उन्होने पूरी दुनिया में फैलाई है जिसके लिए यूएसए में कभी पश्चाताप की भावना नही पनपी ।
अमेरिका में 9/11 की घटना बेशक दुखद रही लेकिन अगर हम नौ सितंबर सन् दो हजार एक से ठीक अट्ठाइस साल पीछे जाएँ तो अमेरिका और उसकी क्रूर संस्था सीआईए का एक घिनौना खेल देखने को मिलेगा । ये महज संयोग है कि जिस दिन सीआईए ने चिले के राष्ट्रपति की हत्या करवाई उसके ठीक अट्ठाईस साल बाद अमेरिका को अपने इतिहास का सबसे काला दिन देखना पड़ा ।
यूएसए के वर्चस्व के कारण ही 9/11 की डब्ल्यू टी ओ और पेंटागन ध्वस्त होने की घटना को प्रमुखता से हर अख़बार में तवज्जो दी जाती रही है, इसी वर्चस्व में चिले की घटना धूमिल हो जाती है या जानबूझकर भुला दी जाती है ।
आज हम लैटिन अमेरिकी देश चिली की 9/11 पर चर्चा करेंगे क्योकि ये इतिहास का वो हिस्सा है जिसे भुलाए जाने से बचाना है ।
सीआईए द्वारा चिले के राष्ट्रपति की हत्या से ठीक पहले उन्होने रेडियो पर देश के नाम संदेश दिया जिसका अनुवाद इस प्रकार है ।
“Workers of my country, I have faith in chile and it’s future. Others men will overcome this dark and bitter movment when treason seeks to prevail. Keep in mind that, much sooner then later, the great avenues will again be opened, through which will pass free men to construct a better society. Long live chile ! Long live the people ! Long live the workers !
These are my last words, and I am certain that my sacrifice will not  be in vain. I am certain that, at the very least, it will be a moral lesson that will punish felony, cowardice, and treason.

– SALVADOR ALLENDE

“मेरे मुल्क के मेहनतकश मजदूरो ! चिले और इसका भविष्य बहुत ही अच्छा है, इस बात का मुझे पूरा भरोसा है । जब देशद्रोह करने वाली ताकतें अपनी सत्ता पूरी तरह कायम कर लेंगी तब भी चिली के लोग उस मुश्किल और अंधियारे से पार पा लेंगे । हमें यह कभी नही भूलना चाहिए कि देर सबेर वें परिस्थितियाँ बनेंगी ही जिसमें आजाद लोग बेहतर समाज की रचना के लिए आगे बढ़ेंगे । चिले जिंदाबाद ! चिलेवासी जिंदाबाद! मजदूर जिंदाबाद !
ये मेरे आखिरी शब्द है और मुझे पूरा भरोसा है कि मेरी कुर्बानी बेकार नही जाएगी और मैं महा-अपराध, कायरता और देशद्रोह के खिलाफ एक नैतिक सबक बनकर मौजूद रहूँगा” ।
– साल्वाडोर अयांदे

11 सितंबर 1973 को चिले के तात्कालिक राष्ट्रपति साल्वाडोर अयांदे ( Salvador Allende) ने ये बात रेडियो पर अपने अंतिम भाषण में कही । इस रेडियो टेलिकास्ट के कुछ ही घंटे के बाद चिले की जनता ने अपने प्रिय नेता की मौत की खबर सुनी ।
 अयांदे को क्यो मारा गया ? किसने मारा ? ये जानने से पहले हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि अयांदे कौन थे ?
तो ये जानना जरूरी है कि अयांदे ‘सोशलिस्ट पार्टी ऑफ चिली’ के फाउंडर लीडर मनै पार्टी के दीन दयाल उपाध्याय थे । और 1970 के प्रेसिडेंशियल इलेक्शन जीत कर राष्ट्रपति बने थे । अयांदे गरीबों और मजदूरों के लिए कुछ करना चाहते थे ।
उन्होने चिले के एजुकेशन सिस्टम को ठीक किया, बच्चों के लिए फ्री दूध की व्यवस्था की, भूस्वामियों से जमीन लेके गरीबों को बांटा, यही नहीं उन्होनें विदेशी कंपनिया जो चिले में खनिजो का खनन करके मोटा मुनाफा कमा रहीं थी उनका खाना-पीना भी बंद कर दिया । इसलिए भूस्वामी और रईस उनके खिलाफ आ गये और इस खिलाफत मे चर्च ने भी एलीट क्लास को समर्थन दिया साथ ही कुछ अवसरवादी राजनैतिक पार्टियों ने भी उनकी सुर में सुर मिलाया ।
गाँवों मे कहते हैं कि जब कोई अच्छा काम करता है तो उसके बहुत से दुश्मन हो जाते हैं अयांदे के साथ भी ऐसा ही हुआ, उनके सारे दुश्मन संगठित हो गये और उनका लीडर था-यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका । जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शांति और सोशलिज्म से जबसे ज्यादा किसी को दर्द उठता है तो वो है-अमरीका और उसके कारपोरेट चेलें ।
अमेरिका कई देशों में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से टांग अड़ाता रहा है । तेल के लिए मध्य एशिया मे कूटनीति-राजनीति खेल रहा है । उसने सोशलिस्ट देश क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो पर अनगिनत हमले करवाए । सोवियत यूनियन को तोड़ने के लिए तरह-तरह के क्लासिफाइड ऑपरेशन चलवाए और सोशलिज्म के विपरीत सरमायेदारी का वर्चस्व पूरी दुनिया में फैलाने मे लगभग सफल रहा है ।
अयांदे की हत्या में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का पूरा-पूरा समर्थन था और उसी के समर्थन से जनरल ऑगस्टो पिनाॅशे अयांदे के बाद चिले का तानाशाह बना जिसने 17 साल चिले पर राज किया । इस दौरान पिनाॅशे के खिलाफ आवाज उठाने वालो को टार्चर किया किया । कहते हैं पिनाॅशे के राज मे 3000 से ज्यादा लोगो की हत्या की गयी और बहुत से लोग कश्मीरियों की तरह ‘डिसएपेयर’ हो गये जिनका कभी कुछ पता नही चला ।
गोलीबारी से कुछ वक्त पहले जब पिनाशे उन्हे बंदूक के नोक पर आत्मसमर्पण कर इस्तीफा देकर देश छोड़ जाने की मांग कर रहा था तो वो उसे खारिज कर रेडियो पर ‘देश के नाम संदेश’ पढ़ रहे थे । ईमान पर बने रहने के लिए करेज़ की जरूरत है वरना बहुत से नेताओ को जान पर बनते देश से गद्दारी करते भी देखा गया है ।
अयांदे की कुर्बानी को इतिहास याद रखेगा ।
अयांदे जैसे महान क्रांतिकारी को क्रांतिकारी सलाम ।
-सम्राट विद्रोही

Exit mobile version