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“तो बढ़े चलो”

माना कि ज़िन्दगी के सफर में धूप तो बहुत तेज़ होगी

अगर उस ना बर्दाश्त करने वाली धूप में तप सको तो बढ़ते चलो।

 

माना कि सफर में भीड़ तो बहुत होगी

अगर उस भीड़ में नई राह बना सको तो बढ़ते चलो।

 

माना कि दिल में गम बहुत है

अगर गम में भी दूसरों को हंसाने का साहस है तो बढ़ते चलो।

 

माना कि मंज़िल अभी भी बहुत दूर है

अगर अपनी मंज़िल की ओर एक कदम बढ़ा सको तो बढ़ते चलो,

माना कि मुश्किलों से भरा होगा यह सफर

अगर खुद पर भरोसा है तो बढ़ते चलो।

 

माना कि राह में साथ नहीं देगा कोई

अगर अकेले ही चलने की हिम्मत है तो बढ़ते चलो,

माना कि मंज़िल तक पहुंचने के लिए सफर में बहुत सारी नाकामयाबियां आएंगी

अगर जीत का हौसला ऊंचा है तो बढ़ते चलो।

 

माना कि सफर में कई बार अंधेरा ही अंधेरा दिखेगा

अगर उस अंधेरे में भी थोड़ा सा आगे चलने का उजाला मन में हैं तो बढ़ते चलो,

ज़िन्दगी में ऐसे भी पल आएंगे जब खुद को बिखरा हुआ पाओगे

अगर उस टुकड़े के साथ मंज़िल तक पहुंचने का जुनून है तो बढ़ते चलो।

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