Site icon Youth Ki Awaaz

कविता: “लहू को पानी की तरह बहा दिया, मेरे अब्बा ने मुझे पढ़ा दिया”

बेरोज़गारी

बेरोज़गारी

पसीने से लथपथ

लहू को पानी की तरह बहा दिया,

कतरा-कतरा निचोड़कर

मेरे अब्बा ने मुझे पढ़ा दिया।

 

कॉलेज की फीस सर पर जब आई

फीस चुकाने में बिक गई घर की गाय,

पाई-पाई जोड़कर अपना खर्च घटा लिया

मेरे अब्बा ने मुझे ग्रेजुएट करा दिया।

 

उस देवता की क्या कहूं

जो खुद साइकिल चलाते हैं,

पढ़ने के लिए मुझे ट्रेन में बिठाते हैं

दिल्ली भी भिजवाते हैं।

 

सपनों को टूटने दिया नहीं कभी चाहे एक ही कुर्ता में कई साल बिता दिया

मेरे अब्बा ने मुझे पढ़ा दिया,

लाखों-लाख मेरी पढ़ाई में खर्च कर

मुझे जब वह बेरोज़गार देखते हैं, ना जाने मेरे अब्बा क्या सोचते हैं।

Exit mobile version