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#DemocracyAddaBihar: ऑनलाइन इलेक्शन कैंपेन के लिए हम कितने तैयार है?

Youth Ki Awaaz और ट्विटर इंडिया की साझेदारी में डेमोक्रेसी अड्डा बिहार एडिशन के दूसरे संस्करण का आयोजन 18 सितंबर को किया गया।

कोरोना काल के दौरान होने वाले चुनाव अपने आप में महत्व रखते हैं। इस वार्तालाप की शुरुआत Youth Ki Awaaz हिन्दी के संपादक प्रशांत झा ने की। इस बातचीत में मीडिया से जुड़े राजनीतिक लोगों ने अपनी पार्टी की तरफ से की जाने वाली तैयारियों के अनुभव साझा किए।

चर्चा में जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता डॉ. अमरदीप, भाजपा की तरफ से निखिल आनंद, राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता डॉ. नवल किशोर और  इंडियन यूथ काँग्रेस की तरफ से मौजूद थे वैभव वालिया। Youth Ki Awaaz के सहारे बिहार के मुद्दे पर बात करने की पहल अत्यंत सराहनीय और उपयोगी रही।

पॉलिसी मेकर, एक्टिविस्ट, समाज सुधारक आदि लोगों के विचार और सवालों को जवाबों को देने के लिए यह एक सार्थक मंच साबित हुआ। सत्र में महिलाओं के समावेश के लिए महिला नेत्रियों से संपर्क किया गया मगर कुछ हालातों की वजह से वे शामिल नहीं हो पाईं।

सत्र मुख्य तीन बिंदुओं पर केंद्रित रहा

इस समय बिहार में नीतीश कुमार और भाजपा की गठबंधन वाली सरकार है। Youth Ki Awaaz की तरफ से कुछ सार्थक सवाल रखे गए। सबसे पहला सवाल भाजपा के प्रवक्ता से पूछा गया।

निखिल आनंद से पूछा गया कि एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की मौजूदा सरकार ने 72 हज़ार व्हाट्सएप्प ग्रुप और 9500 आईटी सेल हेड की नियुक्ति की है। सुनने में आया है कि पार्टी ने चुनाव से संबंधित सभी सूचनाओं को डिजिटल मीडिया के सहारे लोगों तक पहुंचाने का आश्वासन दिया है। तो इन बातों को दूसरों तक पहुंचाने के लिए क्या प्रयास किए जाएंगे?

इस पर निखिल आनंद कहते हैं, “आपने जो आंकड़े बताए हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से इसको अप्रूव नहीं करता हूं। हां, यह ज़रूर है कि हमारी संस्था ने सोशल मीडिया और आईटी सेल के सहारे प्रदेश से मंडल, ज़िला मंडल स्तर और शक्ति केंद्रों साथ के साथ बूथ स्तर तक अपने संदेशों को पहुंचाने के लिए डिजिटल मीडिया का सहारा लिया है।”

उन्होंने आगे कहा, “कोरोना के दौरान यह हमारे लिए अभ्यास था  और उस समय हमारे प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल के अधीन कई कार्यकर्ताओं तक हमने डिजिटल मीडिया के सहारे अपनी बातें पहुंचाई, जो वास्तव में सार्थक साबित हुई। कार्यकर्ताओं के साथ ऑडियो और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई। शुरुआत में हमको समझने में थोड़ा समय लगा मगर बाद में हम लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में सफल रहें।”

वो आगे कहते हैं कि 40 हज़ार बूथों पर रेडियों कॉन्फ्रेंसिंग सफल रही और अमित शाह जी की अगुवाई में सबसे पहले हमने वर्चुअल रैली का चलन शुरू किया। जिसमें पहले 45 लाख लोगों ने भाग किया इसके बाद यह संख्या डेढ़ करोड़ को भी पार कर गई।

इसी कड़ी में अगला सवाल नवल किशोर से पूछा गया। उनसे पूछा गया, “टेलिकॉम रेगुलेटरी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट 2019 के मुताबिक प्रत्येक 100 लोगों में से सिर्फ 59 लोगों के पास ही मोबाइल कनेक्शन था और इंटरनेट की बात करें तो 100 व्यक्तियों में से केवल 32 लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में डिजिटल मीडिया कहां तक सार्थक होगा वोट के प्रचार और प्रसार के लिए?”

इसके जवाब में नवल किशोर कहते हैं, “मौजूदा स्थिति कोरोना की वजह से हुई है। इस समय स्मार्टफोन और डिजिटल कंटेंट की ज़रूरत होगी। बड़ी रैली होना नामुमकिन है, तो हम सारे ऐसे माध्यमों को इस्तेमाल में ला रहे हैं, जो आम आदमी तक आसानी से पहुंच रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “बात बीते वर्षों में सोशल मीडिया की करें तो राजद के 2016-2018 तक ट्विटर अकाउंट में 348 हज़ार फॉलोवर्स हैं। राजद का ट्विटर हैंडल 2014 से शुरू हुआ था। वहीं, बीजेपी के कुल फॉलोवर्स 182 हज़ार हैं। जब लोग डिजिटल दुनिया से फैमिलियर नहीं थे, तो शुरुआती चरण में राजद का रेश्यो कम था।”

इसी कड़ी में नवल किशोर बताते हैं, “चुनाव और प्रदेश के विकास में सबसे महत्वपूर्ण बात जो होती है, वह है टर्नओवर की। जो वर्ष 2005 फरवरी से अक्टूबर तक 45% था और अब लुढ़ककर 20% से 15% पर आ गया है। हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य यही है कि डिजिटल मीडिया के माध्यम से हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को इकट्ठा करें।”

अगला सवाल सत्ताधारी दल के अमरदीप से किया गया। उनसे पूछा गया, “आपका दल सबसे पहले वर्चुअल रैली करने वाला पहला दल था। आपका एक प्रोमो आया है जिसमें आप बता रहे हैं  कि हर घर बिजली मगर असलियत शायद कुछ और ही है। सुंदरपुर के लोगों ने साफ कहा है कि बिजली नहीं तो वोट नहीं। तो इस विषय में आप क्या कहना चाहेंगे?”

अमरदीप कहते हैं, “हमको नहीं पता आपके रिपोर्टर किस गाँव की बात कर रहे हैं। यह अपवाद भी हो सकता है। मुझे आश्चर्य होता है कि बिहार में बिजली के लिए भी कोई टिप्पणी कर सकता है। वहां बिजली नहीं होगी कोई स्थानीय कारण भी हो सकता है। जहां तक डिजिटल कैंपेन की बात है, तो 10-12 पंचायतों को छोड़कर इंटरनेट सेवा लगभग हर पंचायती क्षेत्र में है। इंटरनेट की सेवा हर बूथ तक पहुंच रही है और हम बुनियादी तौर पर काम कर रहे हैं।”

अगला सवाल काँग्रेस की ओर से वैभव से पूछा गया कि आपकी फेसबुक फीड पर आज कल एक नारा बहुत वायरल हो रहा है, “बहुत हुआ प्रहार, हम बदलेंगे बिहार। आप विरोधी दल की आलोचना में अधिक लिप्त नज़र आए बनिस्बत इसके कि आप विकास और बदलाव की बात करें। आप बताइए आप बिहार की जनता के लिए क्या क्या करेंगे? यंग लोगों को वर्चुअल रैली के सहारे कैसे प्रभावित करेंगे?”

इस सवाल के जवाब में वैभव कहते हैं, “बिहार महान संतों और बुद्ध की धरती है। यहां बहुत कुछ सकरात्मक हो सकता है। बात करें सोशल मीडिया की तो यहां का हर युवा इस बात से वाकिफ है कि फेसबुक और व्हाट्सएप्प कैसे एक्सेस करना है। लोग अपने मन की बात सोशल मीडिया के सहारे ही कर रहे हैं। बीते दिनों में प्रधानमंत्री जी के जन्म दिवस पर लोगों ने बेरोजगारी दिवस मनाया। यह सब ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था, तो यह सब सोशल मीडिया के कारण ही हुआ। 5 करोड़ युवा बेरोज़गार है। अपनी मन की कुंठा वे सोशल मीडिया पर ही निकाल पाते हैं।”

इसी बीच वीडियो के ज़रिये Youth Ki Awaaz यूजर मुमताज़ ने सवाल किया, “फेक न्यूज़ आज कल आम दिनों में फैल रही है और वोटिंग के टाइम पर तो और भी परेशानी होगी। ऐसे में लोग फेक न्यूज़ और अधिकता से फैलाएंगे। जब बिहार में शिक्षा की स्थिति अच्छी नहीं है, लिटरेसी रेट बहुत कम है, ऐसे में हमको कैसे पता लगेगा कि यह फेक न्यूज़ है या नहीं? हम कैसे संतुष्ट होंगे कि आपके द्वारा जो बातें बताई जा रही हैं, वे वास्तव में सच हैं?”

निखिल इसका जवाब देते हुए कहते हैं, “यह बहुत साफ बात है कि सोशल मीडिया और इनफॉर्मेशन यह सब एक चुनौती हैं। हमारे साथ फेक न्यूज़ से बचने के लिए एक आईटी सेल इस पर काम कर रही है। राजनीति में आरोप और प्रत्यारोप लगाना स्वभाविक है। अगर कोई पार्टी समझदारी से काम करना चाहती है, तो उसमें दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। पहला संगठन और दूसरा विचारधार।”

वो बताते हैं, “ये दोनों किसी भी दल के लिए बुनियादी ढांचे का काम करते हैं। हमारा दल इसी रूपरेखा के अंतर्गत काम करता है। बिहार में बीजेपी के लिए बहुत नेगेटिव एजेंट काम कर रहे हैं मगर हम सकरात्मकता पर अडिग हैं। हमारा बस यही विचार है- जन जन की यही पुकार, आत्मनिर्भर बिहार।”

अगला सवाल नवल किशोर से पूछा जाता है, “शहाबुद्दीन याकूब कुरैशी, जो इलेक्शन कमिशन के चीफ कमिश्नर हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जो भी पार्टियां डिजिटल मीडिया पर अपना कंटेंट देंगी, उनको पहले इलेक्शन कमेटी से अपने कंटेंट को अप्रूव कराना होगा। इस पर आपके क्या विचार हैं?”

नवल किशोर इसका जवाब देते हुए कहते हैं, “यह बात न्यायोचित है। डिजिटल रैली की भी अपनी एक सीमा होनी चाहिए। नीतीश कुमार ने जो वर्चुअल रैली की थी, उसके लिए जितनों ने भाग नहीं लिया उससे ज़्यादा लोगों ने उनके भाषण को नापसंद किया।”

वो आगे कहते हैं, “बिहार में जंगलराज है। दिनों प्रतिदिन अपराध बढ़ता जा रहा है। पिछले तीन दशकों में बिहार में कोई विकास नहीं हुआ। रोज़गार फेल, किसान फेल, शिक्षा फेल और यहां तक कि स्वास्थ्य व्यवस्था भी फेल। ऐसी सरकार से किसी भी प्रकार की उम्मीद लगाना व्यर्थ है।”

इसी कड़ी में अब अगला सवाल वैभव वालिया से पूछा गया, “आप बिहार के किसी यूथ के मुद्दों को कैसे सुन पाएंगे? उनके नज़रिये को कैसे बदलेंगे? सोशल मीडिया पर आप अपने मुद्दों को लोगों तक पहुंचा पाने में सक्षम हैं? कैसे आगे बढ़ाएंगे आप बातों को?”

इस सवाल के जवाब में वैभग कहते हैं, “आज कल यूथ सोशल मीडिया से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। सभी लोग जहां-जहां से जानकारी लेते हैं, वही जानकारियां अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बताते हैं, बातें ट्रेवल करती हैं। आज कल सबसे स्ट्रॉन्ग सोशल मीडिया व्हाट्सएप्प है, उसके बाद लोग यूट्यूब से भी अच्छे खासे रूबरू हैं। हम लोग 1 मिनट की वीडियो या कोई ग्राफिक्स बनाते हैं और लोगों तक पहुंचाते हैं।”

चर्चा के दौरान अमरदीप से पूछा गया, “वोटिंग के बाद भी आप लोग सोशल मीडिया पर ऐसे ही एक्टिव रहेंगे? या फिर ये वन वे कॉनवर्सेशन बन जाएगा।”

इस प्रश्न का जवाब देते हुए अमरदीप कहते हैं, “इस बात से हम पीछे नहीं हट सकते हैं, क्योंकि हमारे पास यही माध्यम है लोगों को सुनने का। वहीं, मैं नवल जी को बताना चाहूंगा कि आप 2018-2019 के सरकारी आंकड़े देख सकते हैं जिनमें हत्या के मामले में 25% और डकैती के मामलों में 74% की कमी आई है। वहीं, अपहरण के केस में 80% की कमी आई है।”

अमरदीप आगे कहते हैं, “आप इन बातों से किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकते हैं। हम चुनाव के बाद भी ज़मीनी स्तर पर काम करेंगे। पहले बिहार का बजट 23 हज़ार करोड़ था, जो अब 2 लाख करोड़ हो गया है। वहीं, अगर फेक न्यूज़ की बात करें तो जनता कोई बेवकूफ नहीं है और ना ही पागल! वह सब समझती है। हमको संवाद करना ही होगा।”

वो आगे कहते हैं, “अगर बात करें बिहार के युवाओं की तो पाएंगे कि कुल आबादी का 16% मतदाता 18-25 आयु वर्ग का है। यानि 1 करोड़ 12 लाख मतदाता इस आयु वर्ग में आते हैं। वहीं, 44% मतदाता 26-39 आयु वर्ग का है।। तो 60% से ज़्यादा लोग ऐसे हैं, जो सोशल मीडिया के साथ खड़े हैं और इनके हर सवाल का जवाब बाद में भी दिया जाएगा।”

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