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कोरोना काल में बाल विवाह और जबरन शादी करा देने के मामलों में आई है तेज़ी

बाल विवाह

बाल विवाह

विश्व में फैली महामारी से अपराध जगत में मजबूत तौर पर अपराधीकरण में इज़ाफ़ा हुआ है। चाहे वह चोरी, डकैती हो या बलात्कार, महिला शोषण, बाल-विवाह का मामला हो।

इस हालात में लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है। यह बहुत ही दयनीय और पीड़ादायक स्तिथि है। जहां लोगों के काम धंधे बन्द हो गए, वहीं देश के पिछड़े इलाकों में अपराध और शोषण भी बढ़ता जा रहा है।

कई निरीक्षण करने के बाद मैंने पाया कि महिलाओं के विरुद्ध कई प्रकार की प्रताड़नाएं विकसित हो रही हैं। जिनमें से प्रमुख है- बाल विवाह यानी कि लड़कियों को स्कूल से हटाकर शादी में झोंका जा रहा है।

एक अनुभव तो मेरी आँखों के सामने हुआ, जो मैं यहां पर साझा करना चाहूंगा। पिछले हफ्ते मुझे ख़बर मिली कि जिस क्लास का मैं क्लास टीचर हूं, उसकी सबसे मेधावी और होनहार छात्रा जिसकी उम्र महज 15 साल है, उसके पिता उसकी शादी करने जा रहे हैं।

मैं उनके पास गया और इस बात की वजह जाननी चाही। उन्होंने साफ शब्दों में कहा,

“हमारे पास अब कोई भी स्त्रोत नहीं अपने जीवन को काटने का, हमने लड़कों को भी स्कूल से छुड़वा दिया, और लड़कियन को भी बाबू जी। ना हमारे पास पइसा है फोन दिलवाने का और ना ही दूर-दूर तक कऊनो मदद। हम बूढ़े हो रहे हैं अपने जीवन-जीते भर में ही बिटिया की शादी कर देवेंगे।”

यह बात सुन कर मुझे बहुत अचंभा हुआ। मैंने उनको समझाने की बहुत कोशिश की, मगर मुझे सफलता नहीं मिल सकी। वहीं दूसरी तरफ एक तेरह साल की लड़की ने अपने माता-पिता से परेशान होकर घर ही छोड़ दिया।

प्रतीकात्मक तस्वीर

उसकी रूचि पढ़ने में है, मगर परिवार उसकी शादी करवाना चाहता है। लड़की ने घर छोड़ दिया और अपनी अध्यापिका के घर चली गई। उन्होंने यह बात पुलिस को बताई और फिर थाने में उसके परिजनों और उनकी बेटी को कॉउंसलिंग कर के घर भेज दिया गया और चेतावनी दी गई कि आप जो भी कर रहे हैं यह अपराध है।

क्या कहती है यूनिसफ की रिपोर्ट?

यह बात तो मेरे सामने आई, वहीं दूसरी और 2019 यूनिसेफ की रिपोर्ट में आंकड़े बेहद चौकाने वाले थे। विश्व की हर तीन बालिकाओं में से एक भारतीय ही है। देश की 22 करोड़ लड़कियों में से 10 करोड़ ऐसी हैं, जिनकी शादी 15 साल से कम उम्र में ही कर दी गई। अब यह आंकड़ा और बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है।

देश और तकनीक बहुत आगे तक बढ़ गयी है फिर भी लोगों की सोच वहीं की वहीं है। जहां कई आंदोलन और नियम ऐसे बने जिसमें बाल विवाह को अपराध की श्रेणी में रखा गया, ऐसे में कोरोना महामारी के दौरान मौजूदा आंकड़े अत्यंत भयावह हैं। इस विषय से महिलाओं की मोर्टेलिटी रेंज में इज़ाफा होगा।

प्रतीकात्मक तस्वीर

परिवारों को बहाना भी मिल गया है। अक्सर लोगों को यही कहते सुना कि इसी दौरान शादी कर दो, खर्चा भी कम होगा और 50 लोगों में ही लड़की अपने घर की हो जाएगी। अब चाहे लड़की दस साल की ही क्यों ना हो। लोगों के विचार यह हैं कि इससे अच्छा मौका कभी नहीं मिलेगा।

सरकार ने कार्यक्रमों पर ज़्यादा लोगों के शामिल होने पर रोक लगा रखी है। मैंने उनको डराने की कोशिश भी की। मैंने कहा,

“क्या आप लोगों को पता है कि बाल विवाह अपराध है? सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act), 2006 लागू किया हुआ है। आप लोगों को पता होना चाहिए कि इस अधिनियम के अनुसार अगर कोई पुरुष अपनी बेटी करावता है या किसी लड़की से शादी करता है, जिसकी आयु 18 साल से कम है उसको दंड दिया जाएगा। इसके अंतर्गत 2 साल की जेल या 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों सज़ा हो सकती है।”

देख लो अब आप लॉकडाउन में पैसे बचाने के चक्कर में आपको कहीं दोगना-तिगुना जुर्माना नहीं देना पड़ जाए। मुझे उम्मीद है कि उनपर मेरी इस बात से प्रभाव ज़रूर पड़ा हो।

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