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हरियाणवी गानों में बेहिचक घरेलू हिंसा को बढ़ावा देने का चलन कब बंद होगा?

“हल्का दुपट्टा तेरा मुंह दिखे, मारूंगा तनने दारू पीके मारूंगा रे ससुरी के मारूंगा घने, घूंघट ओपन तन्ने जो किया, जे लिकड़ी घर ते बाहर, सोड़ तेरी भरनी ही भरनी”

यह सभी हरियाणा के प्रचलित गाने हैं जिन पर लोग थिरकते नाचते हैं। मुझे इन गानों को सुनकर पहले तो अजीब लगा और फिर मन में रोष उठा, क्योंकि इन सभी गानों में सरेआम औरत पर हाथ उठाने की बात कही गई है। गाने और फिल्में हमारे समाज और संस्कृति की छवि होती हैं। ऐसे गाने दर्शाते हैं कि हमारे समाज में बीवियों पर हाथ उठाना गलत नहीं, बल्कि आम-सी बात मानी जाती है।

क्या यह गाने घरेलू हिंसा को बढ़ावा देते हैं?

गानों और फिल्मों में ऐसे चित्रण से घरेलू हिंसा को मान्यता मिलती है। लोगों को ऐसा करना गलत नहीं लगता। लोग इन गानों से सीखते हैं, कॉपी करते हैं और घरेलू हिंसा का चक्रव्यूह चलता रहता है। इसलिए सवाल उठता है कि क्या ऐसे गाने घरेलू हिंसा को समर्थन देते हैं?

प्रतीकात्मक तस्वीर, तस्वीर साभार: सोशल मीडिया

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019 के मुताबिक 52% महिलाओं ने और 42% आदमियों ने यह कहा कि पति का बीवी पर हाथ उठाना जायज़ है।

आंकड़े दर्शाते हैं कि महिलाएं खुद किस कदर पितृसत्ता में रंगी हुई अपने शोषण को मंज़ूरी देती है। तभी तो कोई हैरानी नहीं कि मैंने खुद महिलाओं को इन गानों पर नाचते हुए देखा है।

अगर हम तथ्यों की बात करें तो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के मुताबिक, 33% महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हुई हैं। जबकि हरियाणा में यह आंकड़ा 31% है जोकि दूसरे राज्यों की तुलना में अधिक ही है।

दूसरी भाषाओं के गानों से तुलना कीजिए

पंजाबी और हिंदी गानों से अगर तुलना की जाए तो हरियाणवी में ही ऐसे गाने बनते हैं जिनपर महिला हिंसा को मान्यता दी गई है। पंजाबी और हिंदी गानों में क्या हम ऐसे शब्दों की कल्पना कर सकते हैं? बहरहाल हिंसा मुक्त जीवन हर व्यक्ति का अधिकार हैं और एक पूर्ण जीवन के लिए ज़रूरी भी।

जैसा कि आप जानते होंगे की महिला हिंसा आजकल एक अहम मुद्दा है। कोरोना के इस दौर में हमारे लिए और ज़्यादा ज़रूरी है इन सब पर बात-चीत और सोच विचार करना चाहिए, क्योंकि घरेलू हिंसा के मामले इस दौरान अविश्वसनीय रूप से बढ़ी हैं। जहां एक तरफ महिलाओं पर घर के काम-काज की ज़िम्मेदारी  बहुत बढ़ गई है, वहीं दूसरी तरफ उन पर हो रही हिंसा भी दुखद रूप से बढ़ी है।

मेरी नज़र में गानों में इस तरह के बोल का प्रयोग बंद होना चाहिए, क्योंकि एक तो यह घरेलू हिंसा को बढ़ावा देते हैं और दूसरी ओर हरियाणवी सभ्यता की छवि भी खराब करते हैं। आपके क्या विचार हैं? क्या गानों में बीवी पर हाथ उठाने की बात करना सिर्फ हास्य है या समाज की सच्चाई? क्या गानों में ऐसे शब्दों का प्रयोग बंद नहीं होना चाहिए?

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