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“कुकिंग के ज़रिये मैं अपने मानिसक तनाव को दूर करता हूं”

जीवन एक सफर है और इस सफर में हमारे साथ अच्छा भी होता है और बुरा भी! कुछ अनुभव बहुत निराशाजनक होते हैं और कई बहुत खूबसूरत।

कभी-कभी हमारे जीवन में कई पड़ाव ऐसे आते हैं, जिनसे जीत पाना हमारे लिए थोड़ा मुश्किल होता है और हमारे जीवन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे या तो हम परेशान रहने लगते हैं या अवसाद से ग्रसित हो जाते हैं।

समय रहते अवसाद का उपचार ज़रूरी है

अवसाद एक बीमारी है, जो हमारे शरीर के रसायनों के अनियमित होने के कारण होती है। कभी-कभी अवसाद हमारे जीवन को समाप्त करने की वजह भी बन जाता है और कभी-कभी हम इस पर काबू भी पा लेते हैं।

लोग दवाईयां खाते हैं, मनोचिकित्सक के पास जाते हैं और अपना इलाज करवाते हैं, आमतौर पर ऐसा ही होता है। कई लोगों को बहुत जल्दी फर्क पड़ जाता है, तो कई लोग सालों साल इस उधेड़बुन में लग जाते हैं कि हम कमज़ोर हैं असहाय हैं।

अवसाद से उबरने के लिए दवा एकमात्र उपचार नहीं है

अवसाद में दवाईयां हमारे शरीर के रसायन को बैलेंस करती हैं मगर हमारे मन और आत्मबल को कहीं ना कहीं पीछे छोड़ देती हैं। परिणामस्वरूप हम दवाईयों के आदी हो जाते हैं और खुद के मनोबल की ओर ध्यान नहीं देते हैं।

हम अपने आत्मविश्वास और मानसिक संतुलन को अपनी पसंद की चीज़ों को स्वीकार कर काफी हद तक सुधार सकते हैं। मानसिक अवसाद के प्रभाव को कम करने के लिए प्रकृति ने हमें कई आयामों को सौंपा हुआ है।

कला के ज़रिये अवसाद से उबरने की कोशिश

कला के ज़रिये ना सिर्फ हम खुद को संतुष्ट रख सकते हैं, बल्कि अपने मानसिक संतुलन को भी बनाए रख सकते हैं। कला के कई उदाहरण हैं। जैसे- नृत्य, पाक कला और चित्रकारी आदि।

मैंने इन सब तथ्यों का प्रयोग खुद के लिए किया और यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है, जो मैंने पिछले 8 सालों में महसूस किया। मैं अवसाद से पीड़ित एक कमज़ोर और असहाय व्यक्तित्व की तरह दवाइयों के सहारे जी रहा था।

मगर मेरी अंतरात्मा संतुष्ट नहीं हो पाती थी। मैं एक स्वावलंबी व्यक्तित्व वाला इंसान था और अवसाद के कारण मेरा आत्मविश्वास और जीने की इच्छा बिल्कुल क्षीण हो गई थी।

अवसाद के दौरान कुकिंग ने मुझे एक नई स्फूर्ति प्रदान की है

मैं कलात्मक श्रेणी का व्यक्ति हूं। बचपन से ही मुझे कला में अत्यधिक रुचि थी। मैं बचपन से ही पाक कला और चित्रकारी के लिए प्रेरित रहा। जब मैं अवसाद से पीड़ित था और मेरे विचार अत्यधिक नकरात्मक थे, उस समय हर रूचि को खत्म कर चुका था, सिवाए खाना पकाने की रुचि के।

मैं जब कभी भी खाना पकाकर लोगों को खिलाता उसके बाद मैं अपने शरीर में अलग से स्फूर्ति महसूस करता था। लगभग 3-4 सालों तक समझ ही नहीं पाया कि खाना पकाने की रूचि मेरे अंतर्मन में बदलाव ला रही है।

यह मेरे मानसिक अवसाद के प्रभाव को कुछ समय के लिए बिल्कुल रोक देती है। मैंने 3 साल पहले पहली बार खुद को आज़माया और यह सिलसिला 2 महीनों तक चलता रहा। इन दो महीनों के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि पाक कला मेरे जीवन को किस तरह सकरात्मक रूप से प्रभावित कर रही है।

स्वस्थ मस्तिष्क से स्वस्थ शरीर का निर्माण होता है

मैं आज भी खुद को ताज़ा महसूस करता हूं। कुकिंग करना मुझे हर हाल में मंज़ूर है और यहां तक कि अगर मैं बुखार से पीड़ित हूं या शरीर के दर्द से कराह रहा हूं, मैं खाना पकाने की कला से खुद का इलाज कर लेता हूं जिससे मेरा मष्तिष्क और मज़बूत हो जाता है।

यह बात सत्य है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मष्तिष्क का वास होता है  मगर मेरे लिए यह बात उलट साबित होती है। मैं मानता हूं स्वस्थ मष्तिक से हमारा शरीर भी स्वस्थ बन सकता है।

सकारात्मक इच्छा शक्ति बड़ी-से-बड़ी बीमारी और बड़े-से-बड़े अवसाद से लड़ सकती है और उसको जड़ से खत्म कर सकती है। सब कुछ ना सही मगर हां, इच्छा शक्ति और मष्तिष्क का मेल हमारे जीवन को बदलने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है।

सब्ज़ी काटने से भी हम अवसाद की सीमा को कम कर सकते हैं

सब्ज़ियों के काटने से आपको महसूस होगा कि अगर आप किसी भी तरह की मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं, तो यह विधि आपके ज़रूर काम आएगी और आवश्यक भी है।

हम अपने मन के अनुरूप ही चलते हैं मगर कभी-कभी यह धारणा हमारे और दूसरों के लिए घातक सिद्ध होती है, कई बार हम आक्रामक होते हैं और खुद पर या दूसरों पर शारीरिक या मानसिक आघात पहुंचाने लगते हैं।

हम मानते हैं कि यह बीमारी का हिस्सा है मगर इस व्यवहार की गति को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है। सब्ज़ियों के काटने से हमको एक प्रकार की शांति मिलती है और हमारा आक्रामक व्यवहार सब्ज़ी काटने की प्रक्रिया में लग जाता है।

इससे हमारे शरीर के हॉर्मोन्स और केमिकल जो अवसाद को पनपने में मदद करते हैं, वे किसी-ना-किसी तरह बाहर की ओर प्रवाहित होने लगते हैं और हमको मानसिक संतुष्टि प्राप्त होने लगती है।

भोजन या मसालों की सुगंध भी स्वयं को शांत अनुभव कराती है

खाने की तरह-तरह की महक से आपके मष्तिष्क में एक प्रकार का प्रवाह निर्मित होता है, जिसे ऑलफेक्टरी ‘Olfactory Sensations’ कहते हैं। यह किसी भी चीज़ की खुशबू हो सकती है।

खाने से पहले मसालों की महक हो या खाना पकने के बाद उसकी सुगंध, आज कल हम अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत केयरफुल रहने लगे हैं और कई प्रकार की बूटियों और घासों का इस्तेमाल करते हैं। फूलों की चाय पीते हैं और कई बार पुदीने और धनिए का रायता बनाते हैं।

कुछ खुशबू जो आपके लिए महत्वपूर्ण रहेंगी जैसे-

  1. छोटी इलायची मन और मष्तिष्क को सुचारु रूप से सक्रिय रखता है।
  2. पुदीना और धनिया की पत्तियां अधिक सक्रिय और ऊर्जावान महसूस करने में मदद करने के लिए।
  3. नींद की सहायता के लिए चमेली।
  4. लैवेंडर, मेरे पसंदीदा में से एक। जो विश्राम के लिए मददगार है।
  5. वजन घटाने में मदद करने के लिए वेनिला।
  6. केवड़ा जल आपको प्रेम और आलिंगन का आभास करवाता है। आपका मष्तिष्क और मन दोनों को प्रफुल्लित करने में मदद करता है।

ऐसी बहुत सी महक हैं, जिसको महसूस करने पर आपको पता भी नहीं चलेगा कि आपको इसने कहां तक छुआ है। स्ट्रेस और अवसाद को बैलेंस करने के लिए यह एक बहुत अच्छी थेरेपी साबित हो सकती है।

स्वयं भोजन बनाइए और तनाव को दूर भगाइए

खाना पकाने से सिर्फ आपका लाभ नहीं होता है, बल्कि आपके अपने भी इस दायरे में आते हैं और अपने स्वास्थ्य के अनुसार आप खाना बना सकते हैं। जिससे आपका शरीर अच्छा रहने के साथ साथ आपका मष्तिष्क और आपका तनाव भी चुटकियों में छू मंतर हो जाएगा। परिवार को खिलाने से आप एक सहानुभूति और प्रेम का एहसास महसूस करते हैं।

जब आप देखते हैं आपके द्वारा बनाए हुए खाने को आपके दोस्त या आपके परिवार वाले चाव से खाते हैं और आपकी तारीफ करते हैं, तो उससे आपके शरीर में एंडोर्फिन हॉर्मोन का निर्माण होता है, जो आपके अवसाद और तनाव को कम करने के लिए मददगार साबित होता है।

ऐसे में आप तनाव को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकते हैं। अपने बच्चों, दोस्तों और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए एक अच्छा उदाहरण ले सकते हैं। उनकी रूचि के अनुसार उनकी खुशियों का आधार बन सकते हैं।

आपकी रचनात्मकता आपको गर्व अनुभव कराएगा

जब आप स्वस्थ आदतों को अपनाते हैं, तो आपका परिवार, दोस्त और सहकर्मी समर्थन का एक बड़ा स्रोत हो सकते हैं। उन्हें अपने प्रयासों में शामिल होने के लिए कहें। स्वस्थ रहना उनके लिए भी महत्वपूर्ण है।

खाना पकाते समय आप खुद महसूस करेंगे कि आप कितने क्रिएटिव हैं और आप किन-किन चीजों की रचना कर सकते हैं। सलाद में, चावलों में, चटनी के साथ आप तरह तरह के प्रयोग कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको अपनी रचना के बारे में पता लगेगा और आप आत्मविश्वास की लहर में सराबोर हो जाएंगे।

आपको महसूस होगा कि आप कितने रचनात्मक हैं, जिसका आपको कभी बोध नहीं हुआ। यह सारे तथ्य मेरे द्वारा कई दिनों तक आजमाए हुए हैं और खुद मैं इन बातों का साक्षी रहा कि पाक कला ने मेरे जीवन में किस तरह बदलाव किए।

अवसाद और तनाव आपकी इंद्रियों को सुन्न कर सकता है और खाना पकाना उन्हें सक्रिय करता है। यह सुगंध, स्वाद, स्पर्श, दृश्य खुशी और यहां तक ​​कि ध्वनि के साथ एक संवेदी अनुभव है जिसको मैंने आपके साथ साझा किया।

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